पन्ना टाइगर रिजर्व का मड़ला ग्राम में स्थित प्रवेश द्वार। (फाइल फोटो)
* पन्ना टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की रहस्यमयी मौतों के बीच सेही के शिकार ने बढ़ाई चिंता
* सेही के पेट में पाए जाने वाले आंशिक पचे खाद्य पदार्थ के गोले बेज़ोअर से बनाई जाती हैं औषधियां
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत वन्यजीवों की रहस्यमयी मौतों के बीच सेही (साही) के अवैध शिकार (Poaching) का मामला सामने आने से हड़कंप मचा है। स्वाभाव से शर्मीले और मासूम से दिखने वाले इस खतरनाक वन्यजीव का शिकार पन्ना पार्क के गंगऊ अभ्यारण में हुआ है। वन और वन्य प्राणियों की सुरक्षा के मुद्दे पर गंभीर सवालों से घिरे पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने अपनी नाकामी और बदनामी के डर से सेही शिकार (Porcupine Hunting) प्रकरण पर चुप्पी साध रखी है। घटना पर गंगऊ परिक्षेत्र कार्यालय में अज्ञात शिकारी के विरुद्ध वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम की धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध हुआ है। वन अमले ने घटना को गंभीरता से लेते हुए पुलिस डॉग और मुखबिर तंत्र के सहयोग से शातिर शिकारी का सुराग भी लगा लिया है लेकिन आरोपी की गिरफ्तारी होना शेष है। पन्ना पार्क के मौजूद हालात के मद्देनजर सेही के शिकार की घटना ने वन्यजीव प्रेमियों की चिंता बढ़ा दी है। कुछ लोग इस घटना को वन्यजीव तस्करी की आशंका से जोड़कर देख रहे हैं। दरअसल सेही का अवैध शिकार मांस के अलावा उसके पेट में पाए जाने वाले गोले (पथरी) लिए भी किया जाता है। जिसे बेज़ोअर कहा जाता है। कथित तौर पर औषधीय गुणों से भरपूर बेज़ोअर सोने से अधिक कीमती होता है। फ़िलहाल आधिकारिक तौर पर इस बात का पता नहीं चल सका कि सेही का शिकार मांस के लिए हुआ या फिर बेज़ोअर के लालच में किया गया।
पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत गंगऊ अभ्यारण की बगौंहा बीट सेही के शिकार की घटना का पता जंगल में मिले उसके कांटों और आंतों से चला।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत आने वाले गंगऊ अभ्यारण की बीट बगौंहा कक्ष क्रमांक- 247 में मंगलवार 20 जनवरी को दोपहर के समय मैदानी वन अमले को पैदल गश्त के दौरन वनमार्ग किनारे बड़ी तादाद में सेही के कांटे, उसकी आंतें और खून लगी हुई लकड़ी मिली थी। सूचना मिलने पर परिक्षेत्राधिकारी (रेन्जर) अमर सिंह ने मौके पर पहुंचकर स्थल का निरीक्षण किया। प्रथम दृष्टया मामला शिकार का प्रतीत होने पर वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी गई। घटना को गंभीरता से लेते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व के उप संचालक मोहित सूद एवं सहायक संचालक देवेन्द्र अहिरवार भी मौके पर पहुंचें। पन्ना से आये पुलिस डॉग स्कवॉड से आसपास के इलाके की सर्चिंग कराई गई। इस दौरान अज्ञात शिकारी के संबंध में कुछ अहम सुराग मिले। लेकिन संदेही व्यक्ति घटना के बाद से ही फरार है। इसलिए अभी तक यह साफ़ नहीं हो पाया है कि सेही का शिकार मांस के लिए किया गया था या फिर बेज़ोअर हांसिल करने के मकसद से उसे बेरहमी से मारा गया। वन विभाग की टीम और मुखबिर तंत्र सरगर्मी से फरार आरोपी की तलाश में जुटा है। शिकार की घटना के संबंध में पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक एवं उप संचालक से संपर्क किया गया लेकिन उनके मोबाइल फोन रिसीव नहीं हुए।
सेही का शिकार करने से कतराते हैं टाइगर-तेंदुआ
सेही (साही) ।
बड़ी बिल्लियों यानी शेर और बाघ को जंगल का राजा कहा जाता है। बेहद ही खूंखार, आक्रमक स्वाभाव वाले इन मांसाहारी जीवों से अधिकांश जंगली जानवर ख़ौफ़ खाते हैं। जंगल में शेर, बाघ या तेंदुआ की आसपास मौजूदगी की भनक लगने मात्र से ही अधिकांश वन्यजीव मत्यु के भय से कंपित होने लगते हैं। लेकिन कुछ वन्यजीव ऐसे भी हैं जिनपर हमला करने से पहले टाइगर (बाघ) और तेंदुआ सौ बार सोचते हैं। अथवा दर्दनाक मौत के डर से उनका शिकार करने की जल्दी हिम्मत नहीं जुटा पाते। ऐसे ही एक जीव का नाम है सेही जिसे साही भी कहा जाता है। दरअसल मासूम से दिखने वाले इस रहस्यमयी और अद्भुत जीव के शरीर पर पाए जाने वाले बेहद नुकीले कांटे इसे खतरनाक बना देते हैं। जब भी कोई जानवर सेही पर हमलावर होता है तो यह अपने बचाव में काटों को खड़ा करके फैला लेता है। बाघ-तेंदुए या अन्य कोई जीव जब सेही का शिकार करते हैं तो इसके काटों से गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं, क्योंकि हल्का सा दाब पड़ने पर ये शरीर से अलग होकर दूसरे वन्यजीव के शरीर में धंस जाते हैं। पंजों में कांटा लगने पर बड़ी बिल्लियां के शिकार करने की क्षमता पर सीधा असर पड़ता है। जाहिर है कि बिना शिकार के मांसाहारी जीव ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह सकते।
बेज़ोअर के लिए होता है सेही का शिकार
सेही का शिकार उसके शरीर में मौजूद आंशिक रूप से पचे खाद्य पदार्थों के गेंदनुमा आकृति वाले गोले के लिए किया जाता है। जिसे बेज़ोअर के नाम से जाना जाता है। कुछ लोग सेही का मांस भी खाते हैं। बेज़ोअर को लेकर फैली भ्रांतियों और अंधविश्वास के चलते इसे लोग इसे शक्तिशाली औषधीय गुणों से भरपूर मानते हैं। बेज़ोअर का उपयोग पारंपरिक औषधियां बनाने में किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खासकर दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों में बेज़ोअर की काफी डिमांड है। कथित तौर चीन में बेज़ोअर का उपयोग पारंपरिक औषधियां बनाने में किया जाता है। कुछ लोगों का मानना है इसके औषधीय गुणों में कैंसर, डायबिटीज, बुखार आदि बीमारियों का प्रभावी उपचार मौजूद है। हालांकि इसके वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। बेज़ोअर की तस्करी के लिए सेही का शिकार तेजी से बढ़ रहा है। वन्यजीवों के व्यापार पर नजर रखने वाली संस्थाओं के अनुसार इंटरनेशनल मार्केट में बेज़ोअर के कुछ ग्राम के पाउडर का मूल्य सैंकड़ों-हजारों डॉलर तक हो सकता है।
कमजोर सुरक्षा से संकट में बाघों का संसार
फाइल फोटो।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में सेही के अवैध शिकार की घटना तब सामने आई है जब वहां पखवाड़े भर के अंदर 2 तेंदुओं और 1 भालू की रहस्यमयी मौत का मुद्दा पहले से ही काफी गर्माया हुआ है। बेजुबान वन्यजीवों की मौतों को लेकर वन्यजीव प्रेमियों तथा खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा ने पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के प्रति खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है। साथ ही तीनों घटनाओं की निष्पक्ष जांच कराए जाने की मांग प्रमुखता से उठाई है। इधर, अपने खिलाफ बन रहे माहौल को देखते हुए पार्क के जिम्मेदार अधिकारियों ने सेही के शिकार मामले की मीडिया को भनक तक नहीं लगने दी। अपनी नाकामी और लापरवाही छिपाने के लिए पूर्व में भी मादा तेंदुआ शावक का शव मिलने की जानकारी को कई दिनों तक मीडिया से साझा नहीं किया था। पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के रवैये की सोशल मीडिया पर कड़ी आलोचना होने पर पारदर्शिता का भरम बनाए रखने के लिए मृत मादा तेंदुआ का शव मिलने के 5वें दिन प्रेस नोट जारी किया गया था। बहरहाल हालिया घटनाओं को देखते हुए कई लोगों का मानना है कि पन्ना टाइगर रिजर्व का मौजूदा प्रबंधन वन और वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर संवेदनशील नहीं है। वर्तमान में पन्ना पार्क में जब तकरीबन एक सैंकड़ा बाघ आबाद हैं साथ ही तेंदुए भी अच्छी खासी तादाद में हैं तब सुरक्षा व्यवस्था व्यवस्था चाक-चौबंद होने के बजाए बेहद ही लचर स्थिति में नजर आ रही है। इस कारण न सिर्फ वन अपराध बढ़ रहे बल्कि बाघ समेत दूसरे वन्यजीवों पर संकट भी लगातार गहरा रहा है।