* बारिश के अलर्ट के बाद भी नींद से नहीं जागे जिम्मेदार अधिकारी
* सिर्फ निर्देश जारी कर खानापूर्ति करने तक सीमित रही भूमिका
* 50 हजार क्विंटल चना-सरसों भी परिवहन के इंतजार में पड़ा
* अनाज की बर्बादी के लिए जबावदेही तय कर क्या की जाएगी कार्रवाई ?
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) अरब सागर में उठा चक्रवाती तूफ़ान निसर्ग महाराष्ट्र होता हुआ मध्य प्रदेश तक आ पहुंचा है। इस तूफ़ान के असर से प्रदेश के पन्ना जिले में पिछले 24 घण्टे तक रुक-रुककर बारिश होती रही। ज्येष्ठ के महीने में सावन जैसी झड़ी लगने जिले के अधिकांश गेहूं और दलहन-तिलहन खरीदी केन्द्रों में तबाही का मंजर नजर आ रहा है। खरीदी केन्द्रों में डंप करीब पौने दो लाख क्विंटल आनाज का समय रहते परिवहन न होने और बारिश की चेतावनी के बाद भी खरीदी केन्द्रों में खुले आसमान के नीचे रखे अनाज के बचाव के पुख्ता इंतजाम न करने का दुष्परिणाम हजारों क्विंटल गेहूं तथा चना-सरसों के पानी में तरबतर होने के रूप में सामने आया है।

जिले के अधिकांश खरीदी केन्द्रों से जिस तरह की तस्वीरें और वीडियो आ रहे हैं वे लापरवाही की भेंट चढ़े अनाज की बर्बादी के मंजर को चींख-चींखकर बयां कर रहीं हैं। खरीदी केन्द्रों पर लबालब भरे पानी के बीच कहीं अनाज के बारदाना अव्यवस्थित तरीके से फैलाव में रखे होने के कारण बारिश के पानी में भीगते रहे हैं तो कहीं पर बारदानों को बारिश के पानी से बचाने के लिए पॉलिथीन तक उपलब्ध नहीं रही। आवश्यक व्यस्थाओं को मजाक बनाने के कारण सबसे ज्यादा अनाज सिमरिया, रैपुरा, महेवा, तारा, सुनवानी आदि केन्द्रों पर भीगा है।

गौरतलब है कि 26 मई को समर्थन मूल्य पर किसानों से गेहूं की खरीदी बंद होने के 9 दिन बाद भी खरीदी केन्द्रों से अनाज का पूर्ण परिवहन भण्डारण केन्द्रों के लिए नहीं हो सका। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो 4 जून तक की स्थिति में जिले के गेहूं उपार्जन केन्द्रों में करीब 1 लाख 30 हजार क्विंटल से अधिक गेहूं डंप था। इसके अलावा 57704 क्विंटल चना-सरसों परिवाहन के इंतजार में पड़ा है। जिले में हजारों क्विंटल अनाज के बारिश में भीगने से जहां खरीदी करने वाली समितियों के नाकाफी इंतजामों की पोल खुल गई है वहीं इसने जिले में व्याप्त प्रशासनिक अंधेरगर्दी को भी उजागर किया है। मई महीने में जिले में चार बार बेमौसम बारिश में आनाज भीगने के बाद भी करोड़ों रुपए मूल्य के अनाज की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार उदासीन बने रहे। जिससे चक्रवाती तूफ़ान के असर से गुरुवार से जारी प्री-मानसून की बारिश में 24 घण्टे से अधिक समय तक हजारों क्विंटल अनाज भीगकर बर्बाद होता रहा।

मालूम हो कि चक्रवाती तूफ़ान निसर्ग के असर से प्रदेश में तेज बारिश होने का अलर्ट मौसम विभाग ने काफी पहले जारी कर दिया था। लेकिन गेहूं और चना-सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीदी एवं निगरानी व्यवस्था से जुड़े आधा दर्जन विभागों के अधिकारी समय रहते बारिश से अनाज के बचाव की व्यवस्थाएं सुनिश्चित नहीं करा सके। इनकी भूमिका सिर्फ कोरे निर्देश जारी करने तक ही सीमित रही। दिए गए निर्देशों का धरातल पर कितना अमल हुआ उससे इन अफसरों कोई सरोकार नहीं रहा। जिसका नतीजा करोड़ों रूपये मूल्य का अनाज बारिश में बुरी तरह भीगने के रूप में सामने आया है। अब अपनी लापरवाही को छिपाने के लिए कई अधिकारी यह दलील दे रहे हैं कि पिछले वर्ष जिले में 8 लाख क्विंटल से अधिक गेहूं का खरीदी हुई थी जबकि इस बार लगभग दो गुना 15 लाख क्विंटल उपार्जन होने से व्यवस्थाएं चौपट हुई हैं। इनकी दलील है कि उन्हें अधिकतम 11-12 लाख क्विंटल खरीदी होने की उम्मीद थी।

विचारणीय बात यह है कि इस बार रबी सीजन में मौसम की मेहरबानी से गेहूं का बम्फर उत्पादन होने की बात मार्च के महीने में स्पष्ट हो चुकी थी। अब सवाल यह है कि गेहूं खरीदी व्यवस्था से जुड़े जानकार क्या इस तथ्य से अनभिज्ञ रहे। इसके अलावा कोरोना महामारी की रोकथाम हेतु मार्च माह के ही अंतिम सप्ताह में पहले देशव्यापी लॉकडाउन का ऐलान हो चुका था। जिसके बाद लगातार चार लॉकडाउन तक जिले में अधिकाँश गतिविधियां बंद रहीं और इसी बीच 71 केन्द्रों पर गेहूं की खरीदी समर्थन मूल्य पर संपन्न हुई। लॉकडाउन के चलते यह भी तय माना जा रहा था कि इस बार मण्डियों में गेहूं की बिक्री न होने से खरीदी केन्द्रों में ही अधिकतम गेहूँ की बिक्री किसानों के द्वारा की जायेगी। लेकिन इन सब बातों नजरअंदाज कर प्रशासनिक बेपरवाही जारी रही। फलस्वरूप गेहूं खरीदी कार्य शुरू होने के बाद से लेकर अब तक परिवहन की व्यस्था असंतोषजनक बनीं है। मगर इसकी साहब लोगों को जरा भी चिंता नहीं रही।

खरीदी के दौरान केन्द्रों का निरीक्षण करने वाले कथित जिम्मेदार अफसर चद्दर का चश्मा लगाकर फोटो खिंचवाते रहे और व्यवस्था में सुधार कराने के बजाए रटे-रटाए निर्देश देकर औपचारिकता पूरी करते दिखे। खरीदी केन्द्रों में बड़े क्षेत्र में अव्यवस्थित तरीके से फैलीं अनाज की बोरियां को स्टेक में रखवाने और केन्द्रों में अनाज को बारिश से बचाने के लिए पॉलिथीन आदि की पर्याप्त उपलब्धता की जानकारी लेना तक जिम्मेदारों ने उचित नहीं समझा। इसलिए गुरुवार तड़के 3 बजे के आसपास से बारिश का सिलसिला शुरू होने के बाद दोपहर तक कई जगह उपार्जन केन्द्र प्रभारी पॉलिथीन खरीदे करते नजर आये। सिमरिया केन्द्र में बारिश के बीच मैदान में फैली रखीं बोरियों को उस स्थान से दूसरी जगह शिफ्ट कराया जा रहा था जहां पानी का भराव हो गया था। खरीदी केंद्र तारा में तो अनाज से भरी बोरियों को ढकने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम पन्ना के प्रबंधक स्वयं पॉलिथीन मंगवाने की बात स्वीकार कर रहे हैं। इनके प्रयास आग लगने के बाद कुंआ खोदने वाली कहावत जैसे ही हैं।

उधर, जब चना-मसूर-सरसों की खरीदी करने वाली संस्था मध्य प्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित पन्ना के प्रमुख डीएमओ इंद्रपाल राजपूत से खरीदे गए दलहन-तिलहन की मात्रा और भण्डारण हेतु शेष अनाज की मात्रा के संबंध में पूंछने पर पहले तो उन्होंने जानकारी देने से ही इंकार करते हुए नोडल अधिकारी एवं उप संचालक कृषि ए.पी. सुमन से सम्पर्क करने की सलाह दी। लेकिन बाद में खरीदी को लेकर उनकी भूमिका से जुड़ा सवाल पूंछने पर अचानक साहब की भाषा ही बदल गई और फिर उनके द्वारा जानकारी उपलब्ध कराई गई। लेकिन गुरुवार को दिन भर बारिश होने के बाबजूद उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि किन केन्द्रों पर चना-सरसों भीगा है। इससे जिले के अधिकारियों की कार्यप्रणाली का स्वतः अंदाजा लगाया जा सकता है।
