पूरक पोषण आहार ठेका : आंगनवाड़ी के बच्चों के निवाले पर नेताओं की नजर, चहेतों को उपकृत करने महिला एवं बाल विकास विभाग ने किया बड़ा खेल !

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सांकेतिक फोटो।

स्व सहायता समूहों से प्रस्ताव आमंत्रित करने सिर्फ 8 दिन समय दिया

उसमें भी 3 दिन अवकाश रहने से बैंक चालान बनवाकर फार्म नहीं खरीद पाए कई समूह

*  विज्ञप्ति सूचना की जानकारी देर से मिलने के कारण प्रस्ताव प्रस्तुत करने से हुए वंचित

फार्म जमा करने का आज अंतिम दिन, फ़ार्म बिक्री की समयसीमा एक दिन पूर्व हो चुकी है समाप्त

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) महिला एवं बाल विकास विभाग में व्याप्त अंधेरगर्दी एवं कमीशनखोरी के चलते पन्ना जिले में योजनाओं का क्रियान्वयन शासन की मंशानुरूप धरातल पर सही तरीके से नहीं हो पा रहा है। जिसका दुष्परिणाम यह है कि पन्ना के माथे लगा कुपोषण एवं मातृ-शिशु मृत्यु दर की अधिकता कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा है। कागजों पर कुपोषण मिटाकर योजनाओं के बजट को पलीता लगाने में जुटे इस महकमे के अफसरों के धतकर्मों की फेहरिस्त यूँ तो काफी लंबी है लेकिन इनका एक बेहद चौंकाने वाला कारनामा प्रकाश में आया है।
मामला पूरक पोषण आहार को शहरी क्षेत्रों में ठेके पर देने से जुड़ा है। जिले के समस्त नगरीय निकाय क्षेत्रों के 144 आंगनवाड़ी केन्द्रों में दर्ज 3-6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती/धात्री माताओं एवं किशोरी बालिकाओं को ताजा पका हुआ पूरक पोषण आहार (भोजन) प्रदाय करने के लिए महिला स्व सहायता समूहों से ऑफ लाइन प्रस्ताव आमंत्रित किये गए हैं। समूहों से प्रस्ताव आमंत्रण (ठेका) को लेकर जारी की गई विज्ञप्ति सूचना में कई पेंच हैं। जिसे लेकर विभाग के अंदर-बाहर हलचल तेज हो गई है।
आम चर्चा है कि पूरक पोषण आहार के ठेके में होने वाला खेल इसकी विज्ञप्ति सूचना प्रकाशन के प्रारूप की अघोषित/अस्पष्ट जानकारी एवं टाइमिंग को हथियार बनाकर खेला जाना है। चतुर-चालाक अफसरों ने राजनैतिक संरक्षण प्राप्त करने के लिए कथित तौर पर सत्ताधारी दल के नेताओं को पूरक पोषण आहार का ठेका देने का मन बना लिया है। विभाग के अंदरखाने से छन-छनकर बाहर आ रहीं सूचनाओं पर भरोसा करें तो इस कवायद के पीछे अफसरों की मंशा नेताओं के साथ सांठगांठ कर बच्चों के पोषण आहार को डकार कर अपने सुपोषण के स्तर को बढ़ाना है। अगर कभी-कभार शिकवा-शिकायत हुई तो सत्तपक्ष के नेताओं के प्रभाव की मदद से उसे निपटाया जाएगा।

जानिए विज्ञप्ति में क्या है झोल

समाचार पत्र में प्रकाशित विज्ञप्ति सूचना की कटिंग।
पन्ना जिले से प्रकाशित बताए जा रहे एक हिंदी दैनिक में जनसम्पर्क संचालनालय भोपाल के माध्यम से जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग पन्ना के द्वारा पूरक पोषण आहार प्रदाय करने हेतु महिला स्व सहायता समूहों के प्रस्ताव आमंत्रण सूचना की विज्ञप्ति प्रकाशित कराई गई। विज्ञप्ति के प्रारूप में क्रमांक के दाहिनी तरफ दिनांक 01 मार्च 2021 दर्ज है। जबकि इसका प्रकाशन समाचार पत्र में दिनांक 8 मार्च को हुआ। विज्ञप्ति में दिनांक 8 से लेकर 15 मार्च तक कार्यालयीन समय प्रातः 10:30 से सायं 5 बजे तक प्रस्ताव आमंत्रित किए गए। विज्ञप्ति में उल्लेख है कि निर्धारित प्रारूप (आवदेन फार्म) एवं शर्तें दिनांक 14 मार्च 2021 तक कार्यालयीन समय में निर्धारित मूल्य 100/- (एक सौ रुपए मात्र) के चालान की मूल प्रति जमाकर कार्यालय से प्राप्त की जा सकती है। अर्थात प्रस्ताव आमंत्रण हेतु निर्धारित फार्मेट (प्रारूप) एवं इससे संबंधित शर्तें सिर्फ 14 मार्च तक ही मिलेंगी जबकि फार्म (प्रस्ताव) जमा 15 मार्च तक होंगे।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि, 8 मार्च से 14 मार्च तक 7 दिनों का समय फार्म खरीदी एवं शर्तों की जानकारी हेतु निर्धारित किया गया। लेकिन इस बीच तीन दिन अवकाश रहा। बताते चलें कि 11 मार्च को महाशिवरात्रि, 13 को महीने का दूसरा शनिवार एवं 14 को रविवारीय अवकाश रहा। इन तिथियों में बैंक बंद रहने कारण महिला समूहों को प्रारूप (फ़ार्म) खरीदी हेतु चालान बनवाने के लिए सिर्फ चार कार्य दिवस का ही समय मिला।

छुट्टी के दिन कार्यालय खोलकर बेंचे और जमा किये फार्म

प्रस्ताव आमंत्रण को लेकर इतना कम निर्धारित करने अथवा शार्ट नोटिस पर प्रस्ताव बुलाने को लेकर जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग पन्ना ऊदल सिंह ठाकुर से सवाल पूंछा गया तो उन्होंने अपनी रौ में बताया कि 7-8 दिन का पर्याप्त समय दिया गया। समय जरा भी कम नहीं रहा। साहब को याद दिलाया कि इस अवधि में 3 दिन तो शासकीय अवकाश रहा। थोड़ा विचार करने के उपरांत ठाकुर साहब बोले अवकाश रहा तो क्या हुआ हमारा कार्यालय तो बंद नहीं रहा। अवकाश के दिनों में भी हमने फ़ार्म बिक्री एवं जमा करने का कार्य किया है। आमतौर पर सरकारी अवकाश के दिनों में न तो कार्यालय खुलते हैं और न ही कोई सामान्य कार्य होता है। इसलिए अवकाश के दिन आमजन सरकारी कार्यालय में नहीं जाते।
महिला बाल विकास विभाग को अगर शासकीय अवकाश के दिनों में भी कार्यालय खोलकर सेवाएं प्रदान करनी थीं तो इसकी जानकारी आम-ख़ास को उसी विज्ञप्ति में दी जानी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस संबंध में सवाल करने पर जिला कार्यक्रम अधिकारी खांटी बाबू स्टाइल में विज्ञापन की भाषा का लेकुना समझाते हुए बोले- उसमें कार्यालयीन समय (शब्द) का उल्लेख किया गया है, शासकीय कार्य दिवस का कहीं जिक्र नहीं है इसलिए अवकाश के दिनों में भी कार्यालयीन समय पर प्रस्ताव जमा किए और निर्धारित प्रारूप (आवेदन पत्र) की बिक्री भी की गई है।

क्या यह नई तरह की टेण्डर फिक्सिंग है ?

सांकेतिक फोटो।
अब सवाल यह उठता है कि महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों का अगर कोई छिपा हुआ एजेण्डा नहीं है और उनकी मंशा भी सही है तो समाचार पत्रों में प्रकाशित विज्ञप्ति (विज्ञापन) में स्पष्ट तौर इस बात खुलासा किया जाना चाहिए था कि पूरक पोषण आहार के ठेके से संबंधित कार्य सरकारी अवकाश के दिनों में भी सम्पन्न होंगें। शायद यह खुलासा पूरक पोषण आहार का ठेका चहेते नेताओं को दिलाने की योजना के तहत जानबूझकर नहीं किया गया। क्योंकि इससे अभिरुचि रखने वाले समूहों के बीच कड़ा मुकाबला होने का डर था। बहरहाल, अधिकांश समूहों को तो प्रस्ताव आमंत्रण विज्ञप्ति जारी होने की ख़बर ही काफी देर से लगी और अवकाश के चलते बैंक चालान न बनवा पाने के कारण वे इस निविदा प्रक्रिया में शामिल नहीं हो सके।
सर्वविदित है कि पन्ना में जिला मुख्यालय में बैंक चालान एकमात्र बैंक स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में बनाए जाते हैं। चालान के लिए लंच के पूर्व फ़ार्म जमा करना पड़ता है, उसके बाद फ़ार्म स्वीकार नहीं होते है। इन तमाम पेचीदगियों एवं तथ्यों के मद्देनजर नगरीय निकायों के आंगनवाड़ी केन्द्रों में पूरक पोषण आहार प्रदाय करने हेतु समूह के चयन में पारदर्शिता और कॉम्पटिशन से किनारा कर कुछ लोगों के लिए राह आसान बनाई गई है। विभागीय कर्मचारी दबी जुबान इसे एक तरह की टेंडर फिक्सिंग बता रहे हैं। उधर, जिला कार्यक्रम अधिकारी ऊदल सिंह का कहना है हमारी नियत साफ़ है, किसी को लाभ पहुँचाने के इरादे से कुछ भी गलत नहीं किया गया। इसके बाद भी अगर किसी को कुछ सोचना है तो वह इसके लिए स्वतंत्र है।