* नियमित कर्मचारी का दर्जा देने और पारिश्रमिक में वृद्धि की उठाई मांग
* पखवाड़े भर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं जिले की आशा-ऊषा कार्यकर्ता
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) स्वास्थ्य विभाग के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आशा-ऊषा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी अपनी मांगों को लेकर पखवाड़े भर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एन.एच.एम.) के अंतर्गत कार्यरत आशा-ऊषा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी की पन्ना जिले में हड़ताल के चलते कोरोना संकटकाल में फील्ड में स्वास्थ्य विभाग की गतिविधियां लड़खड़ा गईं हैं। हड़ताली महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मांग है कि, उन्हें नियमित कर्मचारी का दर्जा प्रदान करते हुए 24,000/- (चौबीस हजार रुपए) मासिक मानदेय दिया जाए।
अपनी लंबित मांगों के निराकरण को लेकर आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं के द्वारा मंगलवार 15 जून को पन्ना जिला मुख्यालय में विशाल पैदल मार्च निकाला गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय परिसर से शुरू हुआ पैदल मार्च इंद्रपुरी कॉलोनी स्थित संयुक्त कलेक्ट्रेट भवन पहुंचा, जहां हड़ताली महिला कर्मचारियों के द्वारा मुख्यमंत्री के नाम पन्ना एसडीएम को एक ज्ञापन सौंपा गया।
कोरोना की पहली और दूसरी लहर में अग्रिम पंक्ति योद्धा के रूप में अपनी और अपने परिवार की जान जोखिम में डालकर बगैर किसी सुरक्षा संसाधन के माहमारी से बचाव एवं रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली आशा-ऊषा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी बेहद अल्प पारिश्रमिक पर अपनी सेवाएं दे रहीं है। बगैर किसी सम्मानजनक मानदेय के पूरी निष्ठा और लगन के साथ चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में कार्य कर रहीं इन कार्यकर्ताओं के लिए मौजूदा दौर में बेतहाशा महंगाई के चलते अपना और परिवार भरण-पोषण करना बेहद मुश्किल हो गया। सम्मानजनक जीवन यापन और सुरक्षित भविष्य की चिंताओं से घिरीं आशा-ऊषा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी के द्वारा काफी समय से अपने हितों के संरक्षण के लिए आवाज बुलंद करते हुए कई मांगें की जा रहीं हैं।
ये हैं मुख्य मांगें
आशा-ऊषा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी द्वारा मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में उल्लेखित मांगों मुख्य रूप से- नियमित कर्मचारी का दर्जा देने, प्रतिमाह 24,000/- (चौबीस हजार रुपए) मानदेय प्रदान करने, निर्धारित योग्यता रखने वालीं कार्यकर्ताओं को 6 माह के प्रशिक्षण उपरांत एएनएम के रिक्त पदों पर नियुक्त करने, कार्यक्षेत्र के ग्रामों में भ्रमण हेतु यात्रा भत्ता देने, स्थाई विकलांगता या मृत्यु होने की स्थिति में आश्रितों को 50 लाख की आर्थिक सहायता व परिवार के सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने, महामारी के दौरान काम करते समय स्वयं के अथवा परिवार के किसी भी सदस्य के बीमार पड़ने पर इलाज का सम्पूर्ण खर्च उठाने तथा इस अवधि में प्रतिमाह 10,000/- रूपये अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि के रूप में प्रदान करने, फील्ड में कार्य के दौरान होने वाली अभद्रता एवं हमले आदि घटनाओं पर तत्परता से कार्रवाई करने सहित अन्य मांगें शामिल हैं।
इस दौरान हड़ताली आशा-ऊषा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के उपेक्षा पूर्ण रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए पत्रकारों से चर्चा में स्पष्ट किया कि जब तक हमारी न्यायोचित मांगों का निराकरण नहीं हो जाता तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। ज्ञापन सौंपने वालों में मुख्य रूप से आराधना दुबे,नाजमा बानो, कमला गंगेले, मीतू दत्ता, शहनाज बानो, रुकमणी प्रजापति, रेखा दुबे, अर्चना पाठक, मंजू चनपुरिया, मीनाक्षी बिंदुआ, सुधा विश्वकर्मा, देवी मण्डल, विभा सिंह, मीना पटेल सहित जिले भर की आशा-ऊषा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी शामिल रहीं। उल्लेखनीय है कि, कोरोनाकाल में लॉकडाउन की पाबंदियों के बीच हड़ताली आशा-ऊषा कार्यकर्ता एवं आशा सहयोगिनी के द्वारा हाथों में तख्तियां लेकर नारेबाजी करते हुए जिला मुख्यालय में कलेक्ट्रेट तक विशाल पैदल मार्च निकालना शहर में चर्चा का विषय बना है।