* पूर्णता की समयावधि 18 माह, 13 महीने में हुआ सिर्फ 15 प्रतिशत निर्माण
* जल संसाधन विभाग की प्राथमिकता वाली स्कीम को लेकर जिम्मेदार उदासीन
* वर्तमान में मौके पर दर्जन भर से कम मजदूरों से कराया जा रहा है काम
* ठेकेदार को पूर्व में तीन नोटिस देने के बाद भी असंतोषजनक बनी है भौतिक प्रगति
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) झीलनुमा तालाबों के शहर पन्ना के वाशिंदों को हर साल गर्मी के मौसम में पेयजल समस्या से जूझना पड़ता है। अल्प वर्षा होने की स्थिति में जल संकट कहीं अधिक विकराल रूप ले लेता है। शहर में पानी को लेकर हाहकार चौतरफा हा-हाकार मचने लगता है। नगरीय क्षेत्र की सीमा के विस्तार तथा आबादी में कई गुना वृद्धि होने के परिणाम स्वरूप मौजूदा पेयजल संसाधन (व्यवस्था) शहर की प्यास बुझाने में नाकाफी साबित हो रहे है। साल-दर साल जटिल होते पेयजल संकट से उत्पन्न चुनौती का बेहतर तरीके सामना करने के लिए जिला मुख्यालय पन्ना के कुंजवन वार्ड के नजदीक खोरा नाला पर नवीन तालाब निर्माण कार्य की योजना तैयार की गई थी। करीब 2 वर्ष पूर्व खोरा तालाब योजना को स्वीकृति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह व जल संसाधन संभाग पन्ना के तकनीकी अधिकारी शायद इसके निर्माण कार्य को समयसीमा में पूर्ण कराने को लेकर गंभीर नहीं है! खोरा तालाब ठेकेदार के द्वारा बरती जा रही घोर लापरवाही तथा निर्माण कार्य की कछुआ चाल जिम्मेदारों की बेपरवाही की ओर इशारा करती है।
करीब छह करोड़ की लागत वाले खोरा तालाब के निर्माण को लेकर जल संसाधन विभाग एवं ठेकेदार के मध्य अनुबंध निष्पादित होने के बाद कार्यादेश दिनांक 01 जनवरी 2023 को जारी किया गया था। अनुबंध में कार्य पूर्णता हेतु 18 माह की समयावधि निर्धारित की गई है। गत दिनों रडार न्यूज़ ने खोरा तालाब निर्माण कार्य का जायजा लिया गया। मौके सिर्फ15 प्रतिशत कार्य होना पाया गया। फिलहाल तालाब के फ़िल्टर का कार्य चल रहा है। जिसमें दर्जन भर से कम मजदूरों से कार्य कराया जा रहा है। तालाब की पार कई माह से खुदी पड़ी है। सबकुछ इतना आराम से चल रहा है जैसे किसी को कोई चिंता ही नहीं है।
बता दें कि, अनुबंध की शर्त अनुसार 18 माह में कार्य पूर्णता के हिसाब से साल भर में करीब 60 फीसदी निर्माण कार्य हो जाना चाहिए था। लेकिन वर्तमान में भौतिक प्रगति महज 10 से 15 प्रतिशत पर ही अटकी है। जल संसाधन विभाग के द्वारा पूर्व में ठेकेदार को 3 नोटिस थमाने के बावजूद तालाब निर्माण की कछुआ चाल बदस्तूर जारी है। मौके पर मिले ठेकेदार के सुपरवाइजर से कार्य की पूर्णता को लेकर सवाल पूंछने पर उसने बताया, तालाब बनने में 3 से 4 साल का समय लगेगा। जानकारों की मानें तो, यह तभी सम्भव होगा जब कार्य मौजूदा गति में सुधार हो। अगर इसी रफ़्तार से निर्माण कार्य चलता रहा तो तालाब बनकर तैयार होने में छह साल का लंबा अरसा लग जाएगा।
यहां सवाल उठता है, जिला मुख्यालय से सटे प्राथमिकता वाले कार्य की प्रगति जब इतनी अधिक असंतोषजनक बनी है तो सुदूर क्षेत्रों में चल रहे जल संसाधन विभाग के अन्य कार्यों की हालत क्या होगी, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। सवाल यह भी है, जल संसाधन विभाग के शीर्ष अधिकारी तथा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारी निर्माण कार्यों की समीक्षा बैठकों में आखिर करते क्या हैं? खोरा तालाब निर्माण की कछुआ गति का मामला इनके संज्ञान में क्यों नहीं है ? इधर, सालभर से नोटिस पर नोटिस खेल रहे जल संसाधन संभाग पन्ना के तकनीकी अधिकारी लापरवाह ठेकेदार के खिलाफ सख्त एक्शन कब लेंगें? या फिर अभी भी नोटिस थमाकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर लेंगे। ऐसे अनेक बाजिव सवाल हैं जिनके जवाब जिम्मेदारों के पास नहीं है।