* पन्ना जिले के रैपुरा में जंगली सुअर के शिकारी को रूपए लेकर छोड़ने का मामला
* निलंबित चालक का आरोप रेंजर ने रफा-दफा कराया था शिकार का प्रकरण
* वन कर्मचारी संघ ने रेंजर के खिलाफ कार्यवाही न होने पर आंदोलन की दी चेतावनी
शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में दक्षिण वन मण्डल अंतर्गत रैपुरा वन परिक्षेत्र में पिछले दिनों जंगली सुअर के शिकारी पूरन बसोर को रैपुरा स्थित पुराना रेंज कार्यालय में रात भर हिरासत में रखने के बाद वन अपराध दर्ज किए बगैर उसे छोड़ने और फिर शिकारियों के घर से जब्तशुदा माँस को वनकर्मियों से नदी में फिंकवाकर इस बहुचर्चित मामले को रफादफा करने में रेंजर देवेश गौतम की मुख्य भूमिका होने का खुलासा हुआ है। इस प्रकरण में कथित तौर पर संलिप्तता के आरोप में निलंबित किये गए वनकर्मियों में शामिल वाहन चालक दशरथ सिंह राजगौंड़ ने मीडिया के सामने आकर यह आरोप लगाया है कि शिकार के मामले को रैपुरा रेंजर देवेश गौतम के इशारे पर दबाया गया। इसके लिए रेंजर ने शिकारी पूरन से 50 हजार रुपए की रिश्वत ली थी। साथ ही उसने शिकार की घटना में शामिल दो अन्य आरोपियों से भी रुपये दिलाने का वादा किया था। वाहन चालक दशरथ सिंह का आरोप है कि इस मामले टाईगर स्ट्राईक फोर्स सतना और उप वन मंडलाधिकारी पवई के द्वारा पृथक-पृथक की गई जाँच में संबंधित वनकर्मियों तथा आरोपी सहित अन्य लोगों ने अपने बयान (कथनों) में इस बात का उल्लेख किया है। इससे प्रत्येक व्यक्ति की संलिप्तता-भूमिका पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है। बाबजूद इसके वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मुख्य आरोपी रैपुरा रेंजर के खिलाफ तत्काल प्रभाव से कार्यवाही न कर उन्हें बचाने में जुटे है। अन्य वनकर्मियों की तरह रेंजर को प्रभारी मुख्य वन संरक्षक वृत्त छतरपुर ने निलंबित न कर प्रतिवेदन को आवश्यक कार्यवाही के लिए भोपाल भेज दिया। जबकि रेंजर के खिलाफ एक्शन लेने के लिए प्रभारी मुख्य वन संरक्षक वृत्त छतरपुर सक्षम है।
सीसीएफ पर रेंजर को बचाने का आरोप

ज्ञातव्य है कि जंगली सुअर के शिकारी को छोड़ने और रुपए लेकर शिकार के मामले को रफादफा करने का खुलासा उस समय हुआ जब सप्ताह भर पूर्व टाईगर स्ट्राईक फोर्स सतना की टीम द्वारा गुप्त सूचना पर प्रकरण की जांच के सिलसिले में दलबल के साथ रैपुरा पहुँचकर दबिश दी गई। पूर्व में वन विभाग की हिरासत से छूटे आरोपी पूरन बसोर निवासी जमुनिया को जाँच टीम ने हिरासत में लेकर उससे गहन पूँछतांछ की और शिकार हुए सूअर के अवशेष सहित अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्य तत्परता से जब्त किये गए। तब जाकर पन्ना में बैठे वन विभाग के बड़े अधिकारियों को अपने मैदानी अमले के शर्मनाक आपराधिक कृत्य का पता चला था। इस मामले वन विभाग की चौतरफा बदनामी होने और जिम्मेदार अधिकारियों की सजगता को लेकर गंभीर सवाल उठने पर दक्षिण वन मण्डल की डीएफओ मीना कुमारी मिश्रा ने टाईगर स्ट्राईक फोर्स सतना के जाँच प्रतिवेदन के आधार पर 7 अप्रैल को पप्पू कुशवाहा बीटगार्ड रतनगांव, संदीप तिवारी बीटगार्ड जमुनिया, दशरथ सिंह वाहन चालक और कमलेश्वर प्रसाद अग्निहोत्री, वनपाल परिक्षेत्र सहायक रैपुरा को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके अलावा रेंजर के विरुद्ध कार्यवाही हेतु प्रस्ताव प्रभारी मुख्य वन संरक्षक वृत्त छतरपुर को भेजा गया। इस बेहद संवेदनशील मामले में सीसीएफ छतरपुर के. एस. भदौरिया ने प्रस्ताव पर अपनी ओर से तत्परता से कोई कार्यवाही न कर गेंद पीसीसीएफ भोपाल के पाले में डाल दी। निलंबित वनरक्षक दशरथ सिंह और वन कर्मचारी संघ पन्ना के जिलाध्यक्ष महीप कुमार रावत का कहना है कि कार्यवाही संबंधी प्रस्ताव को भोपाल भेजकर रेंजर देवेश गौतम को अपना बचाव करने का अवसर जानबूझकर दिया गया। इनके द्वारा यह आशंका जताई जा रही है कि रैपुरा में रहते श्री गौतम गवाहों को प्रभावित और साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकते है।
जानिए क्या हुआ था उस दिन !

निलंबित वाहन चालक का दावा है कि होली के त्यौहार के समय वे लोग जंगल गश्ती करते हुए रतनगांव की ओर से वापस लौट रहे थे, रास्ते में एक श्वान (कुत्ता) मांस का टुकड़ा मुँह में दबाकर जा रहा था। उसे जब डंडे का भय दिखाया गया तो वह मांस का टुकड़ा छोड़कर भाग निकला। जाँच करने पर पाया गया कि वह जंगली सूअर का कान है। वाहन में सवार वनकर्मियों ने आसपास के इलाके की छानबीन की तो एक खेत में खून के निशान पाए गए। उक्त खेत में जमुनिया निवासी पूरन बसोर खेती करता है। वाहन चालक दशरथ के अनुसार वनकर्मी जमुनिया चौकी में उसे और वाहन को छोड़कर पूरन के घर गए जहाँ से उसे पकड़ कर कुछ सामान जब्त कर लाए। उसके द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर ग्राम कुआंखेड़ा में भी दो दलितों के घर छापा मारकर आपत्तिजनक सामान जब्त किया गया। कुछ देर बाद सभी लोग वाहन से वापस रैपुरा लौट गए जहाँ पुराने रेंज कार्यालय में पूरन को बंदी बनाकर रखा गया। शाम के समय वनकर्मियों द्वारा उसे रेंजर देवेश गौतम के समक्ष पेश किया गया। रात भर हिरासत में रखने के बाद पूरन को अगले दिन सुबह छोड़ दिया गया। कुछ देर बाद दो वनकर्मी रेंजर के निर्देश पर मुझे लेकर वाहन से अधराड़ की नदी की तरफ गए और वाहन को दूर खड़ा कराकर वहाँ कुछ सामान फेंक आए। जब इस मामले की भनक लगने पर टाईगर स्ट्राईक फोर्स जाँच करने पहुँची तो उक्त वनकर्मियों ने अपने बयान में शिकार के जब्तशुदा मांस को नदी में फेंकना बताया। रेंजर के इशारे पर मामले को रफादफा करने खुलासा जाँच टीम के समक्ष किया गया। दशरथ की मानें तो जाँच टीम के आने के पूर्व उसे इस कृत्य की जानकारी तक नहीं थी, निर्दोष होने के बाबजूद उसे निलंबित किया गया।
.. तो फिर बाघ विहीन हो जायेगा पन्ना
