किशनगढ़-बिजावर मार्ग किनारे वन क्षेत्र में स्थित ढ़ाबा को हटाया
छतरपुर। रडार न्यूज पन्ना टाइगर रिजर्व में तेज-तर्राट आईएफएस अधिकारी बासु कन्नौजिया के उपसंचालक के पद पर पदस्थ होने का असर धीरे-धीरे ही सही पर अब दिखने लगा है। वन्य जीवों और उनके रहवास की सुरक्षा पुख्ता करने के उद्देश्य से संरक्षित वन क्षेत्र के अतिक्रमण को चिन्हित कर उसे हटाने की मुहिम शुरू हो गई है। जिससे अतिक्रमणकारियों में हड़कंप मचने लगा है। कुछ समय पूर्व पन्ना जिले में टाइगर रिजर्व के अमानगंज परिक्षेत्र अंतर्गत वन भूमि पर खेती करने, मवेशियों की चराई के लिए अस्थाई ठिकाना बनाने और झोपड़ी बनाकर रहने वालों को बेदखल करने की कार्रवाई की गई थी। इसी क्रम में सोमवार 17 सितम्बर 2018 को छतरपुर जिले में किशनगढ़-बिजावर मार्ग किनारे वन क्षेत्र में स्थित ढ़ाबा को हटाने की कार्रवाई की गई। वन परिक्षेत्र किशनगढ़ बफर की बीट बसुधा के कक्ष क्रमांक-पी-521 में अतिक्रमण कर अवैध तरीके से बनाये गए राजा ढ़ाबा को हटवाकर वन भूमि को मुक्त कराया गया। इस दौरान ढ़ाबा संचालक देवेंद्र सिंह व उसका पुत्र करन सिंह परमार मौके पर मौजूद रहे और नुकसान से बचने के लिए अपना सामान स्वयं निकाल ले गए। कई वर्षों से घने जंगल में सड़क किनारे स्थित इस ढ़ाबे को हटाने की कार्रवाई प्यार सिंह ठाकुर, अधीक्षक केन घड़ियाल अभ्यारण खजुराहो एवं परिक्षेत्र अधिकारी किशनगढ़ कोर-बफर के नेतृत्व में की गई। बिना किसी विवाद के वन भूमि से अतिक्रमण को हटाने में महीप कुमार रावत बीटगार्ड बसुधा की महत्पूर्ण भूमिका रही।
अतिक्रमण को रोकने बने ठोस योजना
उल्लेखनीय है कि आईएफएस अधिकारी बासु कन्नौजिया कुछ वर्ष पूर्व जब पन्ना जिले के उत्तर वन मंडल में डीएफओ के पद पर तैनात थीं तब उनके द्वारा बड़े पैमाने पर वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने की कार्रवाई की गई थी। जिससे अतिक्रमणकारियों और माफियाओं में हड़कंप मचा था। हालांकि पन्ना से बासु कन्नौजिया का तबादला होने के बाद वहां आने वाले अधिकारी और मैदानी अमला अपनी उदासीनता के चलते उक्त वन भूमि को ज्यादा दिनों तक सुरक्षित नहीं रख पाए। सख्ती कम होने का फायदा उठाते हुए अतिक्रमणकारियों ने पुनः वन भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया। इसलिए पीटीआर को इससे सबक लेते हुए ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए कि हटाया गया वाला अतिक्रमण किसी भी सूरत पुनः न होने पाये साथ ही नये अतिक्रमण को भी सख्ती से रोका जाना चाहिए। ताकि इतनी महत्वपूर्ण कार्रवाई औचित्यहीन न होने पाए।