* 5 साल से बेहद धीमी गति से चल रहा है निर्माण कार्य
* सड़क को मोटोरेबल रखने में जानबूझकर की जा रही अनदेखी
* कई बड़े हादसों के बाद भी सड़क निर्माण को लेकर उदासीन हैं जिम्मेदार
* खजुराहो सांसद की निष्क्रियता भाजपा पर पड़ सकती है भारी
शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज़ खजुराहो-सतना मार्ग वर्तमांन समय में अत्यंत ही बदहाल स्थिति में है। पिछले पाँच साल से इस सड़क का निर्माण कार्य कछुआ गति से चल रहा है। इस दौरान निर्माण एजेन्सी बदलने से लेकर कई ठेकेदार बदले लेकिन सड़क के सूरत-ए-हाल नहीं सुधर सके। पुनर्निर्माण अथवा समुचित मरम्मत के आभाव में लगातार जर्जर होती सड़क अब गड्ढ़ों में गुम होकर मौत की सड़क बन चुकी है। खजुराहो-सतना के बीच NH-39 पर सड़क हादसों का ग्राफ चिंताजनक तेजी से बढ़ गया है। हादसों में यात्रियों के असमय काल-कवलित होने और सड़क पर आए दिन खून बहने के बाद भी संवेदनहीन जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार तमाशबीन बने बैठे हैं। इससे बड़ी विडंबना या दुर्भाग्यपूर्ण बात और क्या होगी कि इस मार्ग पर 4 साल पूर्व बस में सवार 22 यात्रियों के जिन्दा जलने के दिल-दहला देने वाले हादसे ने देश को पूरे ग़मगीन किया। हादसे पर तत्कालीन मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक ने गहरा दुख व्यक्त किया। बाबजूद इसके सड़क की हालत में सुधार होना तो दूर यह कहीं अधिक जर्जर और खतरनाक हो चुकी है। करीब 90 किलोमीटर में बमीठा से नागौद के बीच तो सड़क के परख्च्चे ही उड़ चुके हैं। इसकी बदहाली को देखते हुए यह यकीन करना मुश्किल होता है कि यह नेशनल हाईवे है।
उल्लेखनीय है कि खजुराहो-सतना मार्ग का निर्माण कार्य करीब चार साल तक एमपीआरडीसी रीवा ने कराया लेकिन एक वर्ष पूर्व इसे लोक निर्माण विभाग की नेशनल हाईवे विंग को हस्तांतरित कर दिया गया। निर्माण एजेंसी के तकनीकी अधिकारियों का दावा है कि पिछले छः माह से लगातार तेजी से सड़क निर्माण कार्य चल रहा और 30 प्रतिशत कार्य पूरा भी हो चुका है। इनके अनुसार यदि कार्य की मौजूदा गति बनी रही तो अप्रैल-2019 तक 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो जाएगा। जबकि वास्तविकता इन दावों के उलट है, धरातल पर खजुराहो-सतना मार्ग निर्माण कार्य की प्रगति बेहद धीमी और असंतोषजनक बनी हुई है। सड़क की बदहाली के कारण लगातार सामने आ रहे सड़क हादसों के मद्देनजर इस मार्ग की यात्रा काफी जोखिम भरी हो गई। मड़ला से देवेन्द्रनगर के बीच बड़े वाहनों के लिए खतरा सबसे ज्यादा है। मौजूदा हालात में इस मार्ग पर लोग अघोषित तौर पर सिर पर कफ़न बाँधकर सफर कर रहे हैं।
हिचकोले लेते हुए चलते हैं वाहन
झाँसी से राँची तक फैला NH-39 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी को पन्ना-खजुराहो टूरिस्ट सर्किट को जोड़ने वाला महत्पूर्ण मार्ग है। इस मार्ग से होकर प्रति माह बड़ी तादाद में देशी-विदेशी पर्यटक वाराणसी-खजुराहो आते-जाते हैं। बेहद धीमी गति से निर्माणाधीन खजुराहो-सतना मार्ग की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बमीठा और नागौद के बीच गड्ढ़ों में गुम हो चुकी सड़क पर वाहन हिचकोले लेते हुए रेंगते हैं। जर्जर सड़क के कारण इस मार्ग पर आए दिन जाम लगता रहता है। रास्ते में पड़ने वाली खतरनाक संकीर्ण मोड़ वाली पन्ना की मड़ला घाटी की यात्रा के दौरान तो यात्रियों की साँसें ही अटकी रहती हैं। घाटी की सुरक्षा दीवार मोड़ सहित अधिकांश जगह ढह चुकी है। घाटी में जरा सी चूक होने पर वाहन गहरी खाई में गिर सकता है। वहीं सड़क और पटरी के बीच का फासला आधा फुट से लेकर एक फुट तक हो चुका है। परिणामस्वरूप मड़ला से देवेन्द्रनगर के बीच दो बड़े वाहनों की क्रॉसिंग होना भी मुश्किल हो रहा है। यात्रा के दौरान जब अचानक किसी बस या ट्रक का एक हिस्सा सड़क से उतरकर पटरी पर आता है तब उसके पलटने का जोखिम बढ़ जाता है। इस स्थिति में बस में सवार यात्री हादसे के डर से सहम उठते हैं। क्रॉसिंग के दौरान पटरी पर वाहन न उतारना पड़े इस चक्कर में अक्सर भारी वाहनों के बीच सीधी भिड़ंत भी हो जाती है।
शिवराज के झूठ को किया था बेनकाब
हाल ही में पन्ना में बस में सवार एक वृद्ध महिला यात्री की गर्दन धड़ से अलग होकर सड़क पर गिरने के वीभत्स हादसे के बाद से NH-39 की दुर्दशा को लेकर एक बार फिर क्षेत्र के लोगों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है। इस ज्वलंत मुद्दे पर खजुराहो सांसद नागेन्द्र की घोर निष्क्रियता को लेकर भी लोगों में काफी गुस्सा है। लोकसभा के चुनाव में खजुराहो सीट पर इस बार सतना-खजुराहो मार्ग की जर्जर स्थिति बड़ा मुद्दा बन सकती है जिसका नुकसान भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी को उठाना पड़ सकता है। क्योंकि, नेशनल हाईवे की बदहाल स्थिति के लिए क्षेत्र के लोग प्रदेश की पिछली भाजपा सरकार, केन्द्र की मोदी सरकार और भाजपा के क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता-अकर्मण्यता को जिम्मेदार मानते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब मध्यप्रदेश की सड़कों को अमेरिका से बेहतर बताया था तो उनके झूठ और बतोलेबाजी को आईना दिखाने के लिए पूरे प्रदेश भर से लोगों ने सोशल मीडिया पर जर्जर सड़कों के फोटो पोस्ट किये थे, जिसमें सतना-खजुराहो मार्ग के भी फोटो प्रमुखता से शामिल रहे। इस शर्मिंदगी के बाद भी पिछली सरकार ने समय रहते सतना-खजुराहो मार्ग की सुध नहीं ली। बहरहाल दो माह पूर्व प्रदेश में बनी कांग्रेस की नई सरकार इस सड़क का निर्माण कार्य पूर्ण कराने के लिए क्या करती है यह देखना महत्पूर्ण होगा।
अदालत में भी पहुंचा मामला
पन्ना जिला मुख्यालय में कुछ दिन पूर्व बस में सवार एक बुजुर्ग महिला यात्री का सिर सड़क किनारे स्थित विधुत पोल से टकराने के पर उसकी गर्दन कटकर धड़ से अलग होने के वीभत्स हादसे के बाद से मनौर से लेकर सतना-कटनी तिराहा तक डिवाइडर युक्त फोर-लाइन सड़क की माँग उठ रही। मालूम होकि पन्ना शहर में नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण हेतु भू-अर्जन की कार्यवाही करीब 2 वर्ष पूर्व हो चुकी है लेकिन सड़क निर्माण कार्य आज तक शुरू नहीं हो पाया। शहरी क्षेत्र में सुरक्षित और सुगम आवागमन से जुड़ी इस माँग को लेकर पन्ना विधायक, विभिन्न राजनैतिक दलों के नेतागण और प्रशासनिक अधिकारी तनिक भी गंभीर नहीं है। हद दर्जे की इस उदासीनता का फायदा उठाते हुए सड़क निर्माण एजेन्सी और ठेकेदार खुलकर मनमानी कर रहे हैं। हालत इतने अधिक खराब हो चुके हैं कि निर्माण कार्य जारी रहने तक नेशनल हाइवे के गड्ढ़े भरने और उसे मोटोरेबल बनाये रखने की जिम्मेदारी से भी ये भाग रहे हैं। इस मामले को पन्ना के अधिवक्ता राजेश दीक्षित ने लोकोपयोगी अदालत में भी उठाया लेकिन गड्ढ़ों को भरने की अब तक जो कार्यवाही हुई है उससे वे खुद भी संतुष्ट नहीं है। लम्बे समय से नेशनल हाईवे की दुर्दशा का दंश झेल रहे क्षेत्र के लोगों में नाकारा जनप्रतिनिधियों को लेकर काफी गुस्सा है, माना जा रहा है कि इसका असर आगामी लोकसभा चुनाव में खजुराहो सीट के चुनाव परिणाम में देखने को मिल सकता है।
फैक्ट फाइल
सड़क का नाम – खजुराहो-सतना मार्ग
सड़क की लम्बाई – 97 किलोमीटर
कार्य की लागत – 158 करोड़
निर्माण एजेन्सी – लोनिवि (NH-विंग रीवा)
ठेका कंपनी – श्रीजी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड
कार्य पूर्णता – दिसम्बर 2019
भौतिक प्रगति – 30 प्रतिशत कार्य पूर्ण
इनका कहना है-
“खजुराहो-सतना मार्ग का निर्माण कार्य पिछले 6 माह से लगातार जारी है, इसे हमें 18 माह में पूर्ण करना है। पन्ना नगर में सड़क का चौड़ीकरण समय आने पर होगा अभी तो काम चल ही रहा है। गड्ढे भरने का काम भी नियमित रूप से किया जा रहा है।”
– एस.एल. तिवारी ईई, लोनिवि NH विंग रीवा
“खजुराहो संसदीय क्षेत्र के नागरिकों ने भारतीय जनता पार्टी पर लगातार कई बार विशवास जताते हुए अपना पूर्ण समर्थन दिया है, लेकिन भाजपा के निष्क्रिय सांसदों ने इस क्षेत्र को हमेशा ही निराश किया है। मध्यप्रदेश में लगातार 15 साल तक और केन्द्र में पिछले साढ़े 4 साल से भाजपा की सरकार होने के बाद भी खजुराहो-सतना मार्ग का निर्माण न हो पाना यह दर्शाता कि क्षेत्र के मौजूदा जनप्रतिनिधियों को जनसमस्याओं के समाधान से कोई सरोकार नहीं है। जबकि सड़क के जर्जर होने के कारण इस मार्ग पर कई बड़े हादसे हो चुके हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में निश्चित ही नेशनल हाईवे सहित अन्य मुद्दों पर भाजपा को जनता को जबाब देना होगा।”
– राजा पटैरिया, पूर्व कांग्रेस प्रत्याशी खजुराहो लोस क्षेत्र।
“खजुराहो संसदीय क्षेत्र से अब तक जितने भी सांसद निर्वाचित हुए उन्होंने सिर्फ वादों का झुनझुना थमाया है, क्षेत्र के विकास और जनसमस्याओं के समाधान के लिए सार्थक प्रयास नहीं किये। यहाँ से लगातार निर्वाचित हो रहे भाजपा सांसदों की भूमिका और वादाखिलाफी को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है, इनकी अकर्मण्यता के कारण ही यह क्षेत्र विकास में काफी पिछड़ा हुआ है। एनएच-39 की बदहाली, सांसद की घोर निष्क्रियता और प्रतिवर्ष 2 करोड़ रोजगार का मुद्दा इस बार खजुराहो लोकसभा सीट पर चुनाव को प्रभावित करेगा। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब मध्यप्रदेश की सड़कों को अमेरिका से बेहतर बताया था तब मैंने सोशल मीडिया पर उन्हें जबाब देते हुए सतना-खजुराहो मार्ग की बदहाली देखने की बात कही थी।
– सेवालाल पटेल, पूर्व बसपा प्रत्याशी खजुराहो लोस क्षेत्र।
“इन पाँच सालों में मैंने पचासों बार खजुराहो-सतना मार्ग निर्माण को लेकर विभिन्न स्तर पर चर्चा की है, जब सड़क का निर्माण एमपीआरडीसी रीवा करा रही थी तब ठेकेदार के समक्ष कुछ आर्थिक समस्यायें आईं थी, जिससे निर्माण कार्य में देरी हुई बाद में निर्माण एजेन्सी बदल गई। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तमाम प्रयास के बाबजूद इस सड़क का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है, मुझसे जितना भी बना मैंने क्षेत्र के लिए काम किया है, मेरी कमियों और विफलताओं का नुकसान निश्चित ही लोकसभा चुनाव में खजुराहो सीट पर पार्टी को उठाना पड़ेगा क्योंकि लोग तकनीकी कारणों को नहीं समझते वे परिणाम चाहते हैं।”