नपा की अंधेरगर्दी : सुदर्शन पार्क बना उजड़ा हुआ चमन, आमजन के लिए दुर्लभ हुए दर्शन

0
1017
पन्ना नगर के बीचोंबीच बेनीसागर तालाब किनारे स्थित है सुदर्शन पार्क का बंद पड़ा प्रवेश द्वार।

पार्क के प्रवेश द्वार पर अधिकांश समय लटका रहता है ताला

पन्ना के बेनीसागर तालाब किनारे स्थित है “सुदर्शन पार्क”

नगरवासियों के लिए कई साल से बंद पड़े पार्क में छलकते हैं जाम

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) सुदर्शन पार्क नगर के बीचों-बीच स्थित होने के बावजूद नगरवासियों की पहुँच से दूर है। वार्ड क्रमांक-14 में बेनीसागर तालाब किनारे स्थित इस पार्क में ताजगी भरी आवोहवा और फूलों की महक के बीच लोग सुकून के दो पल नहीं बिता सकते। क्योंकि, पार्क के प्रवेश द्वारा हर समय ताला लटका रहता है। तालाबंदी के जरिए पार्क में आमलोगों की इंट्री को अघोषित तौर पर बैन कर दिया गया है। इस पार्क को बंद रखने के पीछे नगर पालिका पन्ना की मंशा समझ से परे है। विडंबना तो यह है, नगरवासियों से टैक्स के रूप में वसूल की गई राशि से लाखों रुपए खर्च करके उनके उपयोग के लिए बनाए पार्क में उन्हें ही प्रवेश नहीं दिया जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता रामऔतार तिवारी।
नगर पालिका की इस मनमानी का दुष्परिणाम यह है कि बहुत सारे लोगों को तो इस छिपे हुए पार्क के बारे में जानकारी ही नहीं है। जिले के प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता रामऔतार तिवारी ने नगर पालिका परिषद पन्ना के प्रशाषक एवं कलेक्टर संजय कुमार मिश्र का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए जनहित में पार्क को नगरवासियों के लिए खोले जाने की मांग की है।
पार्क के गेट में फंसी लोहे की जंजीर में लटका ताला।
उल्लेखनीय है कि पन्ना नगर में कहने को तो कई पार्क/उद्यान हैं लेकिन शहर के लोगों को इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी के बीच नई ऊर्जा देने के साथ ही मन को शान्ति और प्राकृतिक ताज़गी का एहसास कराने, बच्चों को खेलने-कूदने-ख़ुशी देने, फिटनेस को लेकर संजीदा रहने वालों को योगासन एवं मॉर्निंग-ईवनिंग वॉक करने के लिए एकमात्र स्थान राजेन्द्र उद्यान (छत्रसाल पार्क) है।
पार्क की समुचित देखरेख के आभाव को बयां करता हुआ क्षतिग्रस्त फव्वारा।
पन्ना के लोगों की सुविधा के लिए अच्छी सोच के साथ वार्ड क्रमांक-14 में बेनीसागर तालाब किनारे मानस भवन के बगल से लाखों रुपए खर्च कर एक सुंदर पार्क का निर्माण कराया गया। इसका लोकार्पण तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्षा श्रीमती शारदा पाठक के कर कमलों से 6 सितम्बर सन 2014 से हुआ। पार्क का नाम सुदर्शन पार्क रखा गया। इसके निर्माण को लेकर उद्देश्य शहर को सुंदर-हरा-भरा बनाने के साथ आसपास के लोगों को एक ऐसा स्थान उपलब्ध कराना था जहां पर वे कोलाहल से दूर प्राकृतिक वातावरण में हरियाली और फूलों के बीच सुकून के दो पल बिता सकें। पार्क भ्रमण कर स्वास्थ्य लाभ उठा सकें।
सुदर्शन पार्क के अंदर बिखरीं पड़ीं सूखी पत्तियां पार्क के लम्बे समय से बंद होने की कहानी खुद ही कह रही हैं।
सुदर्शन पार्क अपने निर्माण के शुरूआती कुछ महीनों तक तो लोगों के लिए खुला रहा लेकिन परिषद बदलने के बाद से यह पार्क आमलोगों के लिए बंद हो गया। समाजसेवी रामऔतार तिवारी बताते हैं कि मैं सुबह-शाम कुछ किलोमीटर पैदल चलता हूँ और जब भी बेनीसागर तालाब की ओर जाता हूँ सुदर्शन पार्क में ताला जड़ा मिलता है। तालाब के आसपास मिलेने वाले लोगों से बात करने पर पता चला कि उक्त पार्क पिछले कई साल से आमलोगों के लिए बंद है। सुदर्शन पार्क को लम्बे समय से बंद रखने के कारण यह न सिर्फ तेजी से उजड़ रहा है बल्कि इसके औचित्य पर भी सवाल उठ रहे हैं। नगर पालिका परिषद पार्क को बंद रखकर लोगों को आखिर इससे दूर रखना क्यों चाहती है ! इस सवाल का जबाव नगर पालिका के नुमाइंदे ही दे सकते हैं। बताते चलें, बेनीसागर मोहल्ला सहित आसपास रहने वाले लोग और बच्चे पार्क के खुलने की उम्मीद में चले आते हैं लेकिन गेट पर लटका ताला देखकर उन्हें निराश होकर लौटना पड़ता है। पार्क में तैनात कर्मचारी आसपास स्थित दुकानों में बैठे चुपचाप यह नजारा देखते रहते है। लोग बताते हैं कि पार्क का ताला कर्मचारी की इच्छा पर ही खुलता है लेकिन कर्मचारी कि इच्छा कब होगी यह किसी को पता नहीं है।

हरियाली हुई गायब, शराबियों का बना अड्डा

आमलोगों के लिए बंद पड़े पार्क की घास में पड़ीं शराब की बोतल।
लंबे समय से बंद रहने एवं समुचित देखरेख के आभाव में पन्ना का सुदर्शन पार्क तेजी से उजड़ रहा है। यहां की जमीन पर बिछी हरियाली की चादर रुपी घास लगभग गायब हो चुकी है। पार्क के अंदर बिखरे सूखे पत्ते, पौधों की बेतरतीब टहनियां इस बात प्रमाण हैं कि वहां न तो काफी समय से साफ-सफाई हुई और ना ही माली के द्वारा पेड़ों की कांट-छांट की गई। नगर पालिका के नुमाइंदों की घोर उदासीनता एवं लापरवाही के चलते यहां का नजारा उजड़े हुए चमन के जैसा हो चुका है। ऐसे में यह सवाल महत्वपूर्ण है कि पार्क में तैनात कर्मचारी जब न तो पार्क खोलते हैं और ना ही वहाँ का रखरखाव कर रहे हैं तो वे आखिर कर क्या रहे हैं। क्योंकि सुदर्शन पार्क की आज जो हालत हो चुकी है वह दो-चार दिन या कुछ महीने की अनदेखी के कारण नहीं बल्कि दीर्घकालिक उपेक्षा की वजह से हुई है। इसलिए उद्यान पर्यवेक्षक/प्रभारी एवं नगर पालिका सीएमओ की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है।
पार्क के अंदर पत्तियों के बीच पड़े डिस्पोजल गिलास, पानी पाउच एवं शराब की बॉटल से शराबियों का अड्डा बनने का है प्रमाण।
नगर पालिका में प्रशासक के रूप में जिले के प्रशासनिक मुखिया यानी कलेक्टर के रहते हुए इस हद तक अंधेरगर्दी-अराजकता पूर्ण स्थिति निर्मित होना हैरान करता है। बहरहाल, सुदर्शन पार्क को उजाड़ने, अघोषित तौर पर इसे शराबियों का अड्डा बनाने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है और पार्क को नगरवासियों के लिए कब से खोला जाता है यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

इनका कहना है-

“पार्क खुलता होगा, मुझे नहीं मालूम आपने कितने समय उसे देखा। फिर भी आपने जानकारी दी है तो मैं दिखवाता हूँ, उद्यान प्रभारी से बात करता हूँ। मैं स्वयं भी मौके पर जाकर देखूंगा।”

– यशवंत वर्मा, सीएमओ नगर पालिका परिषद पन्ना।