* प्रतिष्ठित लेखिका अरुंधति रॉय और शिक्षाविद शेख शौकत हुसैन पर यूएपीए लगाने की निंदा
* यूएपीए के दुरूपयोग पर संयुक्त किसान मोर्चा ने चिंता जताते हुए इसे समाप्त करने उठाई मांग
नई दिल्ली। प्रतिष्ठित लेखिका अरुंधति रॉय और शिक्षाविद शेख शौकत हुसैन पर 14 साल बाद यूएपीए के तहत केस दर्ज करने स्वीकृति दिए जाने की चौतरफा कड़ी आलोचना हो रही है। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) इसे घिनौनी हरकत बताते हुए कहा, लगता है कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने देश में असहमति जताने वालों पर अवैध मुकदमा चलाना शुरू कर दिया है। इस बार तानाशाही का हथौड़ा प्रसिद्ध लेखिका अरुंधति रॉय और कानून के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन पर गिरा है। 14 साल के अंतराल के बाद दोनों व्यक्तियों पर कठोर यूएपीए लगाया गया है। दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने 14 जून को दिल्ली पुलिस को 2010 में दर्ज एक एफआईआर पर कार्रवाई करने की मंजूरी दी है।
जबकि रॉय पर कश्मीर के बारे में ‘अलगाववादी भाषण’ देने का आरोप लगाया जा रहा है, हुसैन के मामले में ऐसा कोई बयान उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, पिछले 14 वर्षों में, हिंसा की कोई ऐसी घटना नहीं हुई है, जिसका कथित भाषण से संबंध हो। रॉय द्वारा दिए गए भाषण की सावधानीपूर्वक जांच से पता चलता है कि उन्होंने कश्मीर, पूर्वोत्तर और मध्य भारत सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में मौजूद लोकतंत्र की कमी को दर्शाया था। अपने भाषण में, उन्होंने लोगों से न्याय के पक्ष में रहने का और समाज के सबसे कमजोर वर्गों के लिए भी न्याय की अपील की है। इस प्रकार, यह एक सच्चे लोकतंत्र की स्थापना का आह्वान था, जहाँ लोगों को खतरे में रहने की ज़रूरत नहीं होगी।
एसकेएम ने प्रेस में जारी विज्ञप्ति में कहा है कि, हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में भले ही भाजपा एनडीए आकार में कटौती हुई है, फिर भी रॉय और हुसैन के मामले में यूएपीए लगाने से पता चलता है कि मौजूदा सरकार किसी भी असहमति को दबाने और उसे ‘राष्ट्र-विरोधी’ करार देने की अपनी पुरानी नीति को जारी रखना चाहती है। इसी प्रकार, हमने देखा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भीमा-कोरेगांव मामले में झूठे आरोपों के साथ 16 प्रमुख बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं को जेल भेजा है। उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य जैसे छात्र कार्यकर्ता भी कई सालों से सलाखों के पीछे हैं। हमें यह भी याद रखना होगा कि पिछले साल न्यूज़क्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था।