* क्षेत्रीय प्रत्याशी की मांग के चलते बृजेंद्र के स्थान पर प्रहलाद को दिया टिकिट
* समाजवादी पार्टी ने प्रहलाद को पवई सीट पहले घोषित किया था प्रत्याशी
शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की चौथी सूची गुरुवार 8 नवंबर को देर शाम जारी की है। इस सूची में सात सीटों पर उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया गया है। बीजेपी ने पन्ना जिले में बड़ा उलटफेर करते हुए पन्ना विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान विधायक एवं मंत्री कुसुम सिंह मेहदेले की टिकिट काटकर बृजेंद्र प्रताप सिंह को पवई के स्थान पर पन्ना से घोषित प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि, पवई विधानसभा क्षेत्र में उठ रही क्षेत्रीय प्रत्याशी की पुरजोर मांग को देखते हुए अंतिम क्षणों में भाजपा के आला नेताओं ने अप्रत्याशित निर्णय लेते हुए आनन-फानन में वहां से प्रहलाद लोधी के नाम पर मुहर लगा दी है। कुछ दिन पूर्व समाजवादी पार्टी ने पवई सीट से अपने उम्मीदवार के रूप में प्रहलाद के नाम का ऐलान किया था। लेकिन, गुरुवार को भाजपा के शीर्ष नेताओं से मुलाकात होने और पवई से टिकिट तय होने पर प्रहलाद ने सपा की टिकिट अस्वीकार कर भाजपा का दामन थाम लिया। जबकि प्रहलाद लोधी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन तक दाखिल कर चुके थे। नाम निर्देशन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि समाप्त होने के एक दिन पूर्व पन्ना जिले की दोनों सामान्य सीटों पर भाजपा ने बड़ा बदलाव करके सबको चौंका दिया है।
रिकार्ड मतों से जीतने के बाद भी टिकिट काटा

कांग्रेस पार्टी द्वारा गुरुवार को दोपहर में पन्ना सीट पर शिवजीत सिंह का नाम घोषित करने के महज कुछ घंटे बाद ही बीजेपी ने अपनी चौथी सूची जारी करके पवई से पूर्व घोषित प्रत्याशी बृजेंद्र प्रताप सिंह को बदलकर उन्हें पन्ना विधानसभा सीट पर स्थानांतरित किया है। जबकि, पन्ना सीट मंत्री कुसुम सिंह मेहदेले की परंपरागत सीट है। सुश्री मेहदेले ने यहां से वर्ष 1989 से लेकर 2013 तक लगातार छः विधानसभा चुनाव लड़े जिसमें चार बार उन्होंने रिकार्ड मतों से शानदार जीत दर्ज कराई है। भाजपा में पिछड़े वर्ग की कद्दावर नेत्री कुसुम मेहदेले ने वर्ष 1989 में अपने पहले चुनाव में ही कांग्रेस के दिग्गज नेता और तत्कालीन मंत्री कैप्टन जयपाल सिंह को करीब 15 हजार मतों के अंतर से करारी शिकस्त दी थी। वर्ष 1993 में सुश्री मेहदेले पन्ना राजपरिवार के वरिष्ठ सदस्य लोकेन्द्र सिंह से महज 1000 से कम मतों से और वर्ष 2008 में में श्रीकांत दुबे से सिर्फ 42 वोट से पराजित हुई थीं।
यहां गौर करने वाली बात यह है कि पन्ना सीट से वर्ष 2013 का चुनाव मंत्री मेहदेले ने करीब 29 हजार मतों के भारी अंतर से जीता था। पिछले चुनाव में निकटतम प्रतिद्वंदी रहे बसपा के महेंद्र पाल वर्मा को करीब 26 हजार वोट मिले थे। अर्थात अन्य प्रत्याशियों को जितने वोट भी नहीं मिले उससे भी कहीं अधिक मतों से कुसुम मेहदेले ने विजय श्री हांसिल कर इतिहास रचा था। इसके उलट बृजेंद्र प्रताप सिंह पवई सीट से अपना पिछला चुनाव कांग्रेस नेता मुकेश नायक से करीब साढ़े 11 हजार मतों के अंतर् से हार गए थे। वर्ष 2013 में मोदी और शिवराज की लहर के बाबजूद बृजेंद्र की चुनावी नैया पार नहीं हो पाई थी। बाबजूद इसके भाजपा ने पन्ना सीट से अपनी सबसे सफल, मजबूत और स्वाभाविक दावेदार का टिकिट काटकर बृजेंद्र प्रताप सिंह को यहां से चुनावी समर में उतारने का ऐलान करके अपने उलट बांसी सरीके फैसले से लोगों को आश्चर्य में डाल दिया है।
जातिगत समीकरणों की अनदेखी

ऐसी चर्चा है कि उम्रदराज होने और सर्वे में एंटी रिपोर्ट आने के कारण मंत्री कुसुम सिंह मेहदेले का टिकिट काटा गया है। उम्र यदि मापदंड है तो फिर पड़ोसी जिला सतना की आरक्षित रैगांव सीट से पूर्व मंत्री जुगुल किशोर बागरी और नागौद सीट से सांसद नागेंद्र सिंह तथा लहार सीट से सीनियर नेता रसाल सिंह को टिकिट देने के मामले में इसे शिथिल क्यों किया गया। सर्वविदित है कि पन्ना सीट की गिनती पिछड़ा वर्ग और ब्राम्हण मतदाताओं की अधिकता वाली सीट के रूप में होती है। अब रहा सवाल सर्वे का तो, यहां भाजपा के पास मेहदेले के अलावा भी कई पिछड़े वर्ग के और ब्राह्मण नेता है। बिना किसी ठोस आधार के वर्तमान विधायक का टिकिट काटने की स्थिति में जाहिर है कि पन्ना सीट से टिकिट की दौड़ में शामिल रहे अन्य क्षेत्रीय नेताओं के नामों पर गौर किया जाना चाहिए था। खासकर तब जबकि जिले की एक सीट पर क्षेत्रीय प्रत्याशी की मांग जनभावनाओं और क्षेत्रीय अस्मिता से जुड़ा मुद्दा बनने पर प्रत्याशी बदलना पड़ा है। लेकिन, आश्चर्यजनक रूप से बीजेपी ने जातिगत समीकरणों को तमाम तर्कों को दरकिनार करते हुए पन्ना से कांग्रेस प्रत्याशी शिवजीत सिंह के मुकाबले में क्षत्रिय नेता बृजेंद्र प्रताप को ही उतार दिया है। जाहिर है इस फैसले जिसकी टिकिट कटी है उसे और कई वर्षों से जो लोग टिकिट मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे उन्हें तगड़ा झटका लगा है। स्थानीय स्तर पर भाजपा के अंदरखाने इस फैसले को लेकर खासी हलचल है। ऐसे में आने वाले दिनों में अब यह देखना महत्पूर्ण होगा कि पवई से टिकिट बदलने और बृजेंद्र प्रताप सिंह को पन्ना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाने का भाजपा के शीर्ष नेताओं का फैसला कितना सही साबित होता है।
नगायच की रही अहम भूमिका
