मध्यप्रदेश : ‘मोहन राज’ में रेत माफिया का अमृतकाल !

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पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील के ग्राम रामनई में बिना लीज स्वीकृत के खुलेआम खेत में संचालित अवैध खदान से रेत खनन करतीं पोकलेन मशीनें।

*     पन्ना जिले में बगैर अनुमति के खेतों और शासकीय भूमि पर आधा सैंकड़ा रेत खदानें संचालित

*     रेत के विपुल भंडार पर यूफोरिया माइन्स एंड मिनरल्स कंपनी खुलेआम डाल रही डकैती

*     नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए अवैध खदानों से प्रतिदिन निकाल रहे 7 से 8 करोड़ की रेत

*     कलेक्टर, एसडीएम और खनिज विभाग के अफसरों पर रेत माफिया को लूट की खुली छूट देने का आरोप

*     भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व खनिज मंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में सक्रिय खनन माफिया को किसका संरक्षण?

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) सूबे के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के राज में पन्ना जिले में सक्रिय रेत माफिया के हौसले काफी बुलंद हैं। जिले के अजयगढ़ तहसील क्षेत्र अंतर्गत माफिया का दुस्साहस इतना अधिक बढ़ चुका है कि वो लोग अब खुलेआम नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए रेत की डकैती डाल रहे हैं। अजयगढ़ में केन नदी किनारे स्थित आधा दर्जन गांवों में खेतों और राजस्व भूमि पर पिछले दो माह से बगैर किसी वैधानिक अनुमति के संचालित आधा सैंकड़ा खदानों से रातदिन बेतहाशा रेत निकाली जा रही है। बहुमूल्य खनिज संपदा की बड़े पैमाने पर चल रही संगठित लूट पर जिला प्रशासन सहित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि पूरी निर्लज्जता के साथ तमाशबीन बने बैठे हैं। जिम्मेदारों की रहस्मयी अकर्मण्यता से आक्रोशित ग्रामीणों ने अंधाधुंध अवैध खनन की त्रासदी से अपने प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है। साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के युवा नेताओं ने इस ज्वलंत मुद्दे पर ग्रामीणों की जायज मांग के समर्थन में आंदोलन करने का ऐलान किया है।
बुंदेलखंड अंचल की जीवनदायिनी केन नदी को अनियंत्रित रेत खनन से तबाह-बर्बाद करने वाले माफिया अब उसके तटबंध और कछार का वजूद मिटाने के एक सूत्रीय अभियान में जुटे हैं। बारिश के चलते केन नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद से ही पन्ना जिले के तराई अंचल (अजयगढ़ तहसील क्षेत्र) में नदी किनारे स्थित भानपुर, बीरा, चंदौरा, जिगनी, बरौली और रामनई गांव में रेती की खेती का खेल शुरू हो गया है। इन गांवों के खेतों (निजी भूमि) तथा राजस्व भूमि पर पिछले दो माह से बगैर किसी लीज स्वीकृति के आधा सैंकड़ा रेत खदानें खुलेआम संचालित हो रहीं है। एक अनुमान के मुताबिक अवैध खदानों से माफिया रोजाना 7-8 करोड़ की रेत निकाल रहे हैं।
रेत की लूट के मामले में ब्लैक लिस्ट कंपनी यूफोरिया माइन्स एंड मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड भोपाल (म.प्र.) का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। कथित तौर पर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में ब्लैक लिस्टेड इस कंपनी की पर्दे के पीछे से कमान संभालने वाले कतिपय बड़े खिलाड़ी पिछले 5-6 साल से लगातार एमपी के पन्ना व छतरपुर तथा यूपी के बांदा जिले में अलग-अलग व्यक्तियों एवं कंपनियों के नाम पर केन नदी की रेत का ठेका और रेत भंडारण की अनुमति लेकर इसकी आड़ में बड़े ही सुनियोजित तरीके से खनिज संपदा की डकैती डाल रहे हैं। भोपाल के श्यामला हिल्स इलाके के पते पर रजिस्टर्ड इस कंपनी से जुड़े लोगों की सीधी पहुंच प्रदेश के सत्ता प्रतिष्ठान में शीर्ष तक होने की आमचर्चा है।

खेतों और राजस्व भूमि को कर रहे खोखला 

पन्ना जिले के दूरस्थ ग्राम रामनई में निजी भूमि तथा राजस्व भूमि पर संचालित करीब दो दर्जन से अधिक अवैध खदनों से माफिया रोजाना निकाल रहे 200 डंपर रेत।
अजयगढ़ तहसील में केन नदी पट्टी (केन प्रवाह) क्षेत्र के अनेक गांवों में चंबल के बीहड़नुमा मिट्टी के टीलों की भौगोलिक संरचना है। जानकारों का मानना है, सैंकड़ों सालों में बाढ़-अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण नदी के तटबंध में कटाव होने से प्रवाह में आए बदलाव के फलस्वरूप निर्मित ऊँचें-नीचे मिट्टी के टीलों के अंदर धीरे-धीरे रेत का विपुल भंडार जमा हो गया। इस इलाके में नदी के अंदर और बाहर भूमि में मौजूद रेत भंडार को लूटने का खेल काफी लंबे समय से चल रहा है। यहां जून माह तक यानी मानसून के सक्रिय होने के पूर्व तक रेत माफिया केन नदी की जलधारा को जगह-जगह रोककर प्रतिबंधित मशीनों को नदी में उतारकर रेत के लिए केन की कोख और सीना खुलेआम छलनी कर रहे थे। लेकिन बारिश शुरू के बाद नदी का जल स्तर बढ़ने से माफिया अब रेत के लिए नदी किनारे स्थित खेतों और राजस्व भूमि को खनन से खोखला करने में जुट गए हैं।
नदी किनारे स्थित भानपुर, बीरा, चंदौरा, जिगनी और रामनई गांव के खेतों तथा शासकीय भूमि पर बिना किसी अनुमति के पिछले दो माह से तकरीबन आधा सैंकड़ा खदानों से रातदिन रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। अति पिछड़े इस इलाके में वृहद पैमाने पर खुलेआम चल रही रेत की डकैती का हाल यह है, मानों जिला प्रशासन ने माफिया को अघोषित तौर पर खुली छूट दे रखी है। नियम-कानून और व्यवस्था यहां पूरी तरह बेमानी बन चुकी है। नदी किनारे स्थित गांवों को बारिश के सीजन में जल भराव से सुरक्षा प्रदान करने वाले मिट्टी के टीलों और नदी तटबंध को अंधाधुंध तरीके से खदान में तब्दील किए जाने कारण स्थानीय ग्रामीणों को अतिवृष्टि की स्थिति में बाढ़ की विभीषिका का सामना करना पड़ सकता है।

अनियंत्रित रेत खनन से बढ़ रहा जलसंकट

पन्ना जिले के बीरा ग्राम में स्थित निजी पर अवैध खदान से रेत का खनन बेरोकटोक जारी।
बताते चलें कि, पन्ना जिले का अजयगढ़ तहसील क्षेत्र जल संकट की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। जिसे दृष्टिगत रखते हुए तहसील क्षेत्र में अटल भूजल योजना संचालित की जा रही है। विडंबना यह है कि एक ओर अजयगढ़ क्षेत्र में 50 से लेकर 100 फिट गहरी खदानें खोदकर रेत का अनियंत्रित दोहन किया जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अटल भूजल योजना के तहत भूजल प्रबंधन पर पानी की तरह सरकारी पैसा बहाया जा रहा है। विशेषज्ञों द्वारा किए गए अनेक अध्ययनों से यह साफ़ हो चुका है कि अजयगढ़ क्षेत्र में जारी रेत की अंधाधुंध लूट केन नदी के वजूद को मिटाने के साथ केन पट्टी क्षेत्र में भूजल स्तर को लगातार पाताल की ओर धकेल रहा है। इसका दुष्प्रभाव अवैध रेत खनन वाले गांवों में गर्मी के मौसम में साल दर साल गंभीर होते जल संकट के रूप में देखा जा सकता है।

रामनई में अवैध खनन के खिलाफ आक्रोश

पन्ना जिले के सीमावर्ती ग्राम रामनई में स्थित प्राकृतिक झरने में निस्तार करते हुए ग्रामीण। अंधाधुंध रेत खनन के कारण संकट में आ गया है झरने का वजूद।
सीमावर्ती रामनई गांव वर्तमान में रेती की अवैध खेती का केन्द्र बनकर उभरा है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की सीमा से सटे पन्ना के इस अंतिम गांव में तकरीबन 3 किलोमीटर के दायरे में दो दर्जन गहरी खाईनुमा खादानों से रोजाना 250-300 डंपर रेत निकाली जा रही है। रामनई में सैंकड़ा भर पोकलेन मशीनें निजी कृषि भूमि और राजस्व भूमि को रातदिन रेत खदान में तब्दील करने में जुटी हैं। नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए यहां अवैध खनन का खेल यहां खुलेआम चल रहा है। रेत के अनियंत्रित दोहन से गांव के प्रसिद्ध झरने के अस्तित्व पर गंभीर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। यह बारहमासी प्राकृतिक झरना गांव के लोगों की पेयजल व्यवस्था, निस्तार, खेतों की सिंचाई और मवेशियों की प्यास बुझाने का मुख्य स्रोत है।
जमीन के अंदर से फूटे झरने की जलधारा पर गांव की बड़ी आबादी निर्भर है। लेकिन रामनई की जमीन के अंदर से ज्यादा से ज्यादा रेत निकालने की होड़ में माफिया के द्वारा झरने के ऊपरी भाग और अगल-बगल में एलएनटी मशीनों से अंधाधुंध खुदाई कराई जा रही है। जिससे प्राकृतिक झरने की जलधारा को काफी क्षति पहुंची है। धार्मिक स्थल के नजदीक स्थित प्राकृतिक झरना रामनई के ग्रामीणों की आस्था से भी जुड़ा है। स्थानीय लोग बारहमासी झरने को ईश्वर द्वारा उन्हें विशेष रूप प्रदत्त सौगात के तौर पर देखते हैं। ग्रामीण रमाशंकर, रामकेश, कल्लू, राजबहादुर (राजू) यादव जिगनी आदि ने बताया कि भारी विरोध के बावजूद रेत माफिया के द्वारा झरना के आसपास अवैध रेत खनन कराया जा रहा है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि और प्रशासन माफिया की विनाशलीला पर तमाशबीन बने बैठे हैं। ग्रामीणों के विरोध करने पर माफिया द्वारा उन्हें झूठे आपराधिक प्रकरण में फंसाने की धमकी दी जा रही है। माफिया की मनमानी से आक्रोशित ग्रामीणों ने अपने जलस्रोत को बचाने के लिए आमरण अनशन पर बैठने की चेतावनी दे रहे हैं।

प्रशासन पर लूट की खुली छूट देने के आरोप

पन्ना में कुछ दिन पूर्व ज्ञापन सौंपने के दौरान एसडीएम संजय नागवंशी और जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को अवैध रेत खनन के मुद्दे पर धिक्कारते हुए कांग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय।
जिले के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों पर अजयगढ़ क्षेत्र में सक्रिय रेत माफिया के सामने सरेंडर करते हुए उसे बहुमूल्य खनिज संपदा की लूट की खुली छूट देने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। अवैध रेत खनन से प्रभावित गांवों के रहवासी पन्ना कलेक्टर, अजयगढ़ एसडीएम और जिले के खनिज विभाग के अफसरों पर शिकायत के बाद भी रेत माफिया के खिलाफ कोई एक्शन न लेने से खासे नाराज हैं। कुछ दिन पूर्व पन्ना में एक ज्ञापन सौंपने के दौरान कांग्रेस के तेज़-तर्रार नेता भरत मिलन पाण्डेय ने एसडीएम संजय नागवंशी को अवैध रेत खनन के ज्वलंत मुद्दे पर अपने चिर-परिचित अंदाज में जमकर खरी-खोटी सुनाई थी।
कांग्रेस नेता भरत मिलन ने स्पष्ट शब्दों में एसडीएम से कहा था कि, ‘रेत माफिया को भारतीय जनता पार्टी के क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का संरक्षण प्राप्त होने की वजह से आपके द्वारा और कलेक्टर साहब के स्तर पर रेत की लूट के खिलाफ जानबूझकर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। पन्ना कलेक्टर कठपुतली की तरह भाजपा नेताओं के इशारों पर नाच रहे हैं। पूर्व में रेत माफिया के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्यवाही करने वाले ईमानदार अधिकारी कुशल सिंह गौतम को अजयगढ़ से अचानक हटाने का निर्णय बताता है कि व्यवस्था भारी भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी है। जिले के शीर्ष अधिकारी रेत की लूट को निर्विध्न तरीके से जारी रखने के लिए काम कर रहे हैं ।’ कांग्रेस नेता के इन गंभीर आरोपों को एसडीएम सिर झुकाकर ख़ामोशी से सुनते रहे।
उल्लेखनीय है कि, रेत के अवैध खनन के खिलाफ कार्यवाही को लेकर महीने भर के अंदर ग्रामीणों तथा कांग्रेस नेताओं की ओर से दो ज्ञापन सौंपे गए हैं। इस संबंध रडार न्यूज़ ने पन्ना कलेक्टर सुरेश कुमार से मोबाइल पर बात की। चर्चा के दौरान कलेक्टर ने अवैध रेत खनन को लेकर अनभिज्ञता भरे अंदाज में जांच करवाकर कार्यवाही करने की बात कही। जब उनसे पूंछा गया कि, अवैध रेत खदानें संचालित होने की क्या आपको कोई जानकारी नहीं है? इस सवाल को सवाल सुनते ही कलेक्टर साहब ने फोन काट दिया।

माफिया पर मौन हैं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि

पन्ना जिले के सीमावर्ती इलाके में काफी लंबे समय से कायम माफियाराज पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधिगण आश्चर्यजनक रूप से मौन साधे हुए हैं। जीवनदायनी केन नदी और निजी तथा शासकीय भूमि को अवैध खनन से तबाह-बर्बाद कर हजारों करोड़ रुपये मूल्य की रेत की लूटने वाले माफिया के खिलाफ क्षेत्रीय सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और पन्ना विधायक एवं पूर्व खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने पिछले पांच साल में सार्वजनिक तौर पर शायद ही कभी एक शब्द बोला हो। इसके पीछे कारण चाहे जो भी हो लेकिन अपने निर्वाचन क्षेत्र के सबसे ज्वलंत मुद्दे पर माननीयों का अखण्ड मौनव्रत जारी रहने से उनकी भूमिका को अधिकांश लोग संदेह की नजर से देखते हैं। अवैध खनन के संगठित खेल से जुड़े कुछ बाजिव सवाल भी इस संदेह के गहराने की तरफ इशारा करते हैं। मसलन, सत्ताधारी दल के ताक़तवर नेताओं के निर्वाचन क्षेत्र को अवैध खनन से खुलेआम खोखला करने का दुःस्साहस रेत माफिया आखिर किसके संरक्षण के दम पर कर रहा है? अवैध खनन से प्रभावित ग्रामीणों के शिकायतें करने, ज्ञापन सौंपने के बाद भी रेत माफिया के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही क्यों नहीं होती?
करीब दो माह पूर्व बीरा-सुनहरा की अवैध रेत खदानों से प्रशासन की टीम के द्वारा पकड़ी गई पोकलेन मशीनों और डंपरों को रेत माफिया के द्वारा आतंक के बल पर दिनदहाड़े छुड़ा ले जाना क्या पन्ना जिले में कानून व्यवस्था के ध्वस्त होने का प्रमाण है? पिछले पांच साल में एक भी ऐसी फोटो या वीडियो नहीं आया जब दोनों जनप्रतिनिधियों ने अवैध रेत खनन क्षेत्र में पहुंचकर माफिया को ललकारा हो या फिर लोगों को यह सन्देश दिया हो कि अवैध खनन की समस्या को लेकर वे पूरी तरह संजीदा है। जिले का मीडिया रेत माफिया के तांडव की लगातार ख़बरें प्रकाशित-प्रसारित कर रहा है फिर भी माननीय इससे जानबूझकर मुंह फेरे हुए हैं। सिर्फ इतना ही नहीं पन्ना जिले की पवई सीट से भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी और गुनौर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश वर्मा अजयगढ़ क्षेत्र में खुलेआम जारी रेत की बेतहाशा लूट पर हैरानी जताते मामला मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के संज्ञान में लाने के बयान दे चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी खनिज संपदा की लूट, पर्यावरण के विनाश और राजस्व की चोरी से सीधे तौर पर जुड़े अवैध रेत खनन के ज्वलंत मुद्दे पर क्षेत्रीय सांसद और पन्ना विधायक के मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला। गत दिनों पन्ना के प्रवास पर मुख्यमंत्री भी इस मुद्दे पर पूरी तरह खामोश ही रहे। 
बता दें कि, वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने पिछले साल
पन्ना जिले के अपने दौरे पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष एवं खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा और पन्ना विधायक एवं पूर्व खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह पर रेत माफिया को संरक्षण देकर बेहिसाब काली कमाई करने का गंभीर आरोप लगाया था। कांग्रेस नेताओं के आरोपों को दोनों ही जनप्रतिनिधियों ने सिरे से नकारते हुए उल्टा उन्हीं पर रेत माफिया के साथ खड़ा होने का प्रत्यारोप लगाया था।