* पन्ना जिले में सड़क निर्माण हेतु जारी की गई थी 3 गिट्टी खदानों की अस्थाई अनुज्ञा
* खनिज अधिकारी ने माना बड़े पैमाने अवैध उत्खनन कर नियम-शर्तों का किया उल्लंघन
* खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप के निर्देश देने के बाद भी “रामरज” के खिलाफ नहीं हो पाई कार्रवाई
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश में माफियाओं के खिलाफ जारी बहुप्रचारित अभियान के बीच अति पिछड़े पन्ना जिले में बेरोकटोक चल रही बहुमूल्य खनिज सम्पदा की लूट नित नए रिकार्ड कायम कर रही है। बुन्देलखण्ड अंचल का बेल्लारी बन चुके पन्ना में राजनैतिक-प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त खनन माफिया खुलेआम नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए रेत-पत्थर व हीरे के लिए नदी-पहाड़-जंगल एवं राजस्व भूमि को खोखला करने में जुटे हैं। जिले का रेत ठेकेदार रेत माफिया बनकर एक ओर दैत्याकार मशीनों के नुकीले जबड़ों से जीवनदायिनी केन नदी की कोख को नोंचकर रेत निकाल रहा है वहीं दूसरी तरफ नव घोषित राष्ट्रीय राजमार्ग (नेशनल हाईवे) क्रमांक-943 तथा एनएच-43 का निर्माण कार्य कर रही कम्पनी रामराज हाईटेक बिल्डिकॉन भोपाल खनन माफिया वाले अंदाज में ही नियम-शर्तों को ताक पर रखते हुए मनमाने तरीके से खनन कर राजस्व भूमियों को खोखला करने पर आमादा है। इस कम्पनी ने क्रेशर गिट्टी निर्माण हेतु स्वीकृत पत्थर खदानों से बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया है।

सड़क निर्माण की कछुआ चाल और कार्य की गुणवत्ता जैसे मुद्दे पर पहले से ही कई गंभीर आरोपों से घिरी रामराज कंपनी के खिलाफ शाहनगर तहसील के ग्राम कचौरी निवासी किसान भी आंदोलित हैं। स्थानीय किसानों का आरोप है, इस कंपनी ने दबंगई दिखाते हुए उनके स्वामित्व की निजी कृषि भूमि पर जबरन कब्ज़ा कर पत्थर खदान खोद डाली है। कई बार शिकायत करने के बाबजूद तहसील स्तरीय अधिकारियों के द्वारा इस अन्याय-अत्याचार को रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।

खदान में तब्दील होते अपने खेतों को बचाने के लिए दलित किसानों ने पिछले दिनों पन्ना आकर कलेक्टर से तुरंत हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई थी। सवाल यह है कि, खनन माफिया को लूट की खुली छूट देकर निहित स्वार्थों की पूर्ती में जुटे प्रशासनिक अफसरों से क्या इन दलित किसानों को इंसाफ़ मिल पाएगा ? लंबे समय से अवैध खनन को जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे “जिम्मेदार अफसर” कचौरी के किसानों के मुद्दे पर तत्परता से कोई प्रभावी एक्शन लेते हैं या फिर पिछली शिकायतों की तरह इस शिकायत को भी ठण्डे बस्ते में डालकर हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहते हैं, आने वाले कुछ दिनों में यह स्पष्ट हो जाएगा।
रामराज के लिए मजाक बने नियम-कानून

पन्ना जिले में कई दशकों तक एकमात्र नेशनल हाईवे वर्तमान क्रमांक-39 (पूर्व में 75) रहा है। लेकिन कुछ वर्ष पूर्व ही जिले की दो नई सड़कों को एनएचएआई ने नेशनल हाईवे घोषित किया है। जिसमें गुलगंज-अमानगंज-पवई-कटनी मार्ग NH-43 एवं पवई-सलेहा-जसो-नागौद NH-943 शामिल है। रामराज हाईटेक बिल्डिकॉन भोपाल के द्वारा पिछले लगभग तीन साल से इन दोनों राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस कंपनी को सड़क निर्माण कार्य हेतु जिले में तीन स्थानों पर गुनौर तहसील के ग्राम झुमटा, अमानगंज तहसील के ग्राम झरकुआ एवं शाहनगर तहसील के ग्राम कचौरी में क्रेशर गिट्टी के लिए पत्थर की खदानें (अस्थाई अनुज्ञा) स्वीकृत की गई थीं।

रामराज कंपनी पर आरोप है कि उसने लीज की शर्तों का खुलेआम उल्लंघन करते हुए स्वीकृत खदानों में अनियंत्रित तरीके से अवैध खनन करके निर्धारित मात्रा से कई गुना अधिक खनिज संपदा का दोहन किया गया। बड़े पैमाने पर हुए अवैध खनन का यह खेल खदानों की समयसीमा (लीज अवधि) समाप्त होने के बाद भी बेरोटोक तरीके से लगातार जारी रहा। कंपनी के द्वारा ऐसा करके अस्थाई अनुज्ञा स्वीकृत आदेश की शर्तों, माइनिंग प्लान, मध्य प्रदेश राज्य पर्यावरण प्रभाव आंकलन प्राधिकरण (एमपी सिया), प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) संबंधी नियम-शर्तों का जमकर माखौल उड़ाया गया।

रामराज के द्वारा निर्धारित मात्रा से कई गुना अधिक खनन करना एवं लीज अवधि की समाप्ति के बाद भी खनन को जारी रखना जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका को कठघरे में खड़ा करता है। क्योंकि, संबंधित तहसीलों के राजस्व अधिकारीयों, खनिज विभाग के अफसरों एवं जिले में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों के संरक्षण के बगैर यह संभव ही नहीं है। बताते चलें कि वर्ष 2017-18 में स्वीकृत खदानों से खनन की अनुमति मार्च 2020 तक थी। लेकिन इस समयावधि के समाप्त होने के बाद भी रामराज ने पत्थर खनन और उससे गिट्टी तथा सेण्ड डस्ट बनाने के लिए क्रेशर को चालू रखा। सूत्र बताते हैं, अवैध खनन का यह खेल लीज की समयावधि समाप्त होने के बाद खदान से निकले पत्थर के परिवहन की अनुमति की आड़ में खेला गया।
खदानवार खनन की अनुमति

रामराज हाईटेक बिल्डिकॉन भोपाल पन्ना जिले में दो नेशनल हाईवे का निर्माण कार्य कर रही है जिसमें शामिल गुलगंज-अमानगंज-पवई-कटनी मार्ग NH-43 लंबाई 44.2 किलोमीटर लागत 103.56 करोड़ एवं पवई-सलेहा-जसो-नागौद NH-943 लंबाई 50.88 किलोमीटर लागत 139.23 करोड़ रुपये है। इन दोनों ही सड़कों के निर्माण की शुरूआती समयसीमा अनुबंध अनुसार 18 माह रही। हालांकि कछुआ गति से निर्माण कार्य के चलते तीन वर्ष का लंबा अरसा गुजरने के बाद भी निर्माण कार्य अधूरा है। इन सड़कों के निर्माण के लिए रामराज कम्पनी को जिले की अमानगंज तहसील के ग्राम झरकुआ में आरजी क्रमांक-1673 रकवा 1.30 हेक्टेयर क्षेत्र में पत्थर खदान की अस्थाई अनुज्ञा (अस्थाई लीज़) स्वीकृति वर्ष 2017-18 से लेकर 2019-20 तक के लिए दी गई थी।

इसी तरह गुनौर तहसील अंतर्गत ग्राम झुमटा में इसी अवधि के लिए आरजी क्रमांक 1263/1 रकवा 1.90 हेक्टेयर पर प्रतिवर्ष 65,590 घनमीटर पत्थर खनन हेतु अस्थाई अनुज्ञा प्रदान की गई थी। इसके अलावा जिले की शाहनगर तहसील के ग्राम कचौरी में भी उपरोक्त अवधि के लिए आरजी क्रमांक-3031 रकवा 2.40 हेक्टेयर क्षेत्र से प्रतिवर्ष 3200 घनमीटर पत्थर खनन करने के लिए दिनांक 01 दिसम्बर 2018 को खनिज शाखा पन्ना के द्वारा लीज स्वीकृत की गई। संबंधित तहसीलों के राजस्व अमले से मिली ऑफ़ रिकार्ड जानकारी एवं रडार न्यूज़ की टीम के द्वारा स्थल निरीक्षण करने पर उक्त खदानों में कथित तौर पर वृहद पैमाने पर अवैध खनन होने की बात सामने आई है। एक अनुमान के अनुसार इन सभी स्थानों पर निर्धारित मात्रा से लगभग 3 से 5 गुना तक अधिक पत्थर निकाला गया। सीधे तौर यह खनिज संपदा के अंधाधुंध दोहन का बेहद गंभीर मामला है।
मंत्री के निर्देश पर नहीं हुआ अमल
