* दुर्घटना के बाद बीच में ही रोकना पड़ा तेंदुए का रेस्क्यू ऑपरेशन
* अमानगंज कस्बा के रेस्ट हाउस परिसर में सुबह से घुसा था तेंदुआ
* करीब 12 घंटे बाद अंधेरा होने पर जंगल की ओर भाग निकला तेंदुआ
* अमानगंज के नागरिेकों और पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने राहत की सांस
शादिक खान, राजदीप गोस्वामी। पन्ना/अमानगंज। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में गुरूवार 22 अगस्त की सुबह एक तेंदुआ जंगल से निकलकर अमानगंज कस्बा के रेस्ट हाउस में घुस गया। सुबह करीब 7 बजे स्थानीय निवासी हरीशंकर तिवारी और बृजलाल गुप्ता जब वहां पूजा के लिये फूल तोड़ने पहुंचे तो अचानक झाड़ियों से निकले तेंदुए ने हमला कर दोनों को घायल कर दिया। दोनों को मामूली खरोंचें आई हैं। इस घटनाक्रम के बाद लोगों को रिहायशी इलाके में तेंदुए की मौजूदगी का पता चला। दोपहर 11 बजे जिला मुख्यालय से पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम तेंदुए को पकड़ने के लिए जब अमानगंज पहुंची तब तक रेस्ट हाउस के बाहर सैकड़ों की तादात में लोग जमा हो चुके थे।

भीड़ के भारी शोर-शराबे के चलते रेस्ट हाउस के पीछे खेतों की ओर छिपे बैठे तेंदुए को बेहोश करने के लिए वन्यप्राणी चिकित्सक डाॅं संजीव गुप्ता हाथी पर सवार होकर उसके नजदीक पहुंचे तभी अचानक आश्चर्यजनक रूप से तेंदुए ने ऊंची छलांग लगाते हुए हाथी के ऊपर हमला कर दिया। इससे घबराकर हाथी पीछे की ओर मुड़ा तभी अचानक उसके ऊपर सवार डाॅ. संजीव गुप्ता असंतुलित होकर नीचे गिर गए। खूंखार तेंदुआ उन पर हमला करने की फिराक में था लेकिन महावतों ने सूझबूझ से काम लेते हुए चार हाथियों की मदद से उन्हें घेरकर बाल-बाल बचा लिया।
कभी निर्मित नहीं हुई ऐसी भयावह स्थिति

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान जब-जब हाथियों ने तेंदुए के पास पहुंचने की कोशिश की तब-तब उसने अपने से कई गुना ताकतवर और विशालकाय हाथियों पर पूरी ताकत के साथ हमला बोला। आमतौर पर बाघ और तेंदुआ हाथी से उलझने की हिमाकत नहीं करते। लेकिन यह तेंदुआ इतना दुस्साहसिक और खतरनाक था कि उसके हमलावर अंदाज को देखकर हाथी भी घबरा गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार खूंखार तेंदुए ने एक-एक कर चारों हाथियों के ऊपर 5 से 7 बार हमला कर उन्हें घायल कर दिया। तेंदुए के आतंक से हाथी इतने घबरा गए कि वे उसके पास जाने की हिम्मत नहीं कर पाए। तेंदुए के हमलावर तेवर देख हाथी चिग्घाड़ते हुए डरकर पीछे हटने लगे। रेस्क्यू टीम के सदस्यों का कहना है कि इस तरह की विचित्र और भयावह स्थिति पहले कभी निर्मित नहीं हुई। इन परिस्थितियों के मद्देनजर तेंदुए के रेस्क्यू ऑपरेशन को शाम 5 बजे के बाद रोकना पड़ा।

रेस्क्यू टीम का नेतृत्व कर रहे वन्यप्राणी चिकित्सक के घायल होने पर पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने पड़ोसी जिला सतना से रेस्क्यू टीम को मदद के लिए बुलाया है। लेकिन इस टीम के पहुंचने से पहले ही अंधेरा होने पर तेंदुआ स्वतः ही जंगल की ओर भाग गया। एहतियात के तौर पर अमानगंज रेस्ट हाउस और उसके आस-पास के इलाके में पन्ना टाइगर रिजर्व के अमले को तैनात किया गया है। उधर, तेंदुए के आक्रामक तेवरों और हाथियों पर उसके हमलों की खबर फैलने के बाद अमानगंज कस्बा में जबरदस्त दहशत का माहौल है। फिलहाल तेंदुआ भले ही जंगल की तरफ भाग गया लेकिन फिर भी कई लोगों को रात बढ़ने के साथ उसके पुनः वापस लौटने और हमला करने का डर सता रहा है।
हाथी से गिरा तो लगा बच नहीं पाऊंगा

पन्ना टाइगर रिजर्व के वन्यप्राणी चिकित्सक डाॅ. संजीव गुप्ता ने अपनी अब तक की शासकीय सेवा के दौरान पन्ना सहित कई जिलों में बाघ से लेकर दूसरे वन्यप्राणियों के कई बार सफलता पूर्वक रेस्क्यू ऑपरेशन किए है। लेकिन गुरूवार 22 अगस्त को अमानगंज रेस्ट हाउस के पीछे तेंदुए को रेस्क्यू करने के दौरान उनके साथ जो कुछ हुआ उसे सुनकर शरीर में सिहरन पैदा होने लगती है। मौत के मुंह से बचकर किसी तरह सकुशल निकले डाॅ. संजीव गुप्ता ने रडार न्यूज से चर्चा में बताया कि तेंदुए पर प्रेशर बनाने के लिए चारों हाथियों को उसके पास ले जाकर सामने खड़ा कराया था ताकि उसे आसानी से ट्रंकुलाइज किया जा सके। लेकिन जिस तरह से तेंदुए ने एक-एक कर हाथियों पर हमला बोला वह हैरान करने वाला था।
एक हांथी के ऊपर सवार होकर जब डाॅ. संजीव कुमार गुप्ता तेंदुए को बंदूक से बेहोशी की डाॅट मारने का प्रयास कर रहे थे तभी अचानक तेंदुए ने काफी ऊंची छलांग लगाते हुए हाथी के मुंह के पास हमला कर दिया। इससे घबराकर अचानक हाथी पीछे की ओर मुड़ा और तभी संतुलन बिगड़ने से डाॅ. गुप्ता के हांथों से बंदूक छूट गई और वह खुद भी नीचे जा गिरे। जिस जगह पर यह घटना हुई वहां मिट्टी दलदली होने के कारण हाथियों को चलने में दिक्कत हो रही थी। इन परिस्थियों में डाॅ. गुप्ता के ऊपर तेंदुआ पुनः हमला बोल सकता था लेकिन महावतों ने सूझ-बूझ का परिचय देते हुए तुरंत चारों हाथियों की मदद से सुरक्षा घेरा बनाकर उन्हें सकुशल बाहर निकाल लिया। तेंदुए की दहशत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उसे ट्रंकुलाइज करने वाली बंदूक खेत में तब तक पड़ी रही जब तक कि तेंदुआ भाग नहीं गया।
वनकर्मी और पुलिस जवान भी दहशत में रहे

हाथी के ऊपर से गिरने के कारण डाॅ. संजीव कुमार गुप्ता के सिर और सीने में चोटें आई है। उनके सहायक तफ्सील खांन भी तेंदुए के हमले में मामूली चोटें आई है। दोनों को इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अमानगंज ले जाया गया। इस दुर्घटना के चलते शाम तकरीबन 5 बजे तेंदुए के रेस्क्यू ऑपरेशन को रोक दिया गया है। हाथियों पर तेंदुए के हमले और डाॅ. गुप्ता की जान बाल-बाल बचने की घटनाओं के प्रत्यक्षदर्शी रहे मौके पर तैनात पन्ना टाइगर रिजर्व के मैदानी कर्मचारी और पुलिस के जवान इससे खुद भी काफी भयभीत नजर आए। अच्छी बात यह रही कि सतना की रेस्क्यू टीम के अमानगंज पहुंचने से पहले ही शाम तकरीब 7 बजे जब अंधेरा छाने लगा तभी तेंदुआ रेस्ट हाउस परिसर से निकलकर खेतों की ओर भाग गया। जहां कुछ किलोमीटर तक खेतों के बाद जंगल की सीमा शुरू हो जाती है।
शिकार का लालच देने खेत में बांधा बकरा

हमलावर तेंदुए को पकड़ने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व की रेस्क्यू टीम ने अमानगंज के रेस्ट हाउस के पीछे एक खेत में बकरा बंधवाया, लेकिन चालक तेंदुआ शिकार के लालच में नहीं आया। इस तरह एक के बाद एक सब तरकीब और प्रयास विफल हो गए। तब तक दिन ढ़लने से तेंदुए को ट्रंकुलाइज कर पकड़ने संभावनाएं भी लगभग समाप्त हो चुकी थीं। इस स्थिति में पन्ना टाइगर रिजर्व के उप संचालक ने कुछ पटाखे मंगवाए। ताकि उन्हें फोड़ने पर उनके शोर से डरकर तेंदुआ भाग जाए। इस बीच शाम के साथ अंधेरा बढ़ने पर काफी मशक्कत के बाद तेंदुआ आखिरकार स्वतः ही खेतों के रास्ते जंगल की और भाग निकला।
अधिकारी मौके पर रहे मौजूद
