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पन्ना में कोरोना योद्धाओं के लिए सुरक्षा कवच रुपी पीपीई किट बना रहीं स्व सहायता समूह की महिलाएं
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500 पीपीई किट बनकर तैयार इतनी ही किट और बनाने का काम जारी
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मॉस्क, हैंड सैनेटाइजर, साबुन और फिनाइल भी बड़ी मात्रा में बनाया गया
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-19) से जारी जंग में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट एक अहम जरुरत बनकर उभरी है। पिछले दिनों ख़बरें आईं कि कई जगह डॉक्टर्स एवं पैरामेडिकल स्टॉफ को पीपीई किट नहीं मिल पा रही है। कोरोना संकट के चलते देश और प्रदेश में पीपीई किट की बढ़ती मांग के अनुरूप आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बड़ी कंपनियों से लेकर ग्रामीण महिलाएं तक युद्ध स्तर पर किट बनाने के काम जुटीं हैं। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के स्व सहायता समूहों की महिलाएं पीपीई किट बना रहीं है। प्रथम चरण में इनके द्वारा 500 किट का निर्माण सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया है। पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के निर्देश पर अब 500 पीपीई किट और बनाए जा रहे हैं।
जिससे कोरोना योद्धाओं को सुरक्षा कवच रुपी किट स्थानीय स्तर पर ही आसानी उपलब्ध हो सकेगी। समूह की महिलाओं के द्वारा खतरनाक कोरोना वायरस संक्रमण से आम लोगों के बचाव के लिए भी मास्क, सैनेटाइजर, साबुन आदि सामग्री बड़े पैमाने पर तैयार की जा रही है। लॉकडाउन के दौरान इन तमाम गतिविधियों से जहां आवश्यक सुरक्षा सामान की आपूर्ति हो रही है वहीं समूह से जुड़ीं महिलाओं को घर बैठे रोजगार भी मिल रहा है। समूहों की महिलाएं लॉकडाउन का पालन करते हुए रोजगार का सृजन करने के साथ-साथ समाज की सेवा का कार्य कर रहीं हैं।
पन्ना जिला मुख्यालय में पीपीई किट का निर्माण अजयगढ़-छतरपुर बाइपास मार्ग किनारे सामुदायिक प्रशिक्षण केन्द्र पुराना पन्ना में किया जा रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन पन्ना के जिला परियोजना प्रबंधक डी. के. पाण्डेय ने जानकारी देते हुए बताया कि पीपीई किट तैयार करने का काम करीब एक सप्ताह से जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बालागुरू के. के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। पुराना पन्ना के हजरत बाबा निजामी स्व सहायता समूह से जुड़ीं लगभग एक दर्जन दीदीयां इस काम में पूरे मनोयोग से जुटीं हैं।

कार्यस्थल पर कोरोना से बचाव के लिए जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करते हुए सभी महिलाएं अन्य सुरक्षात्मक उपायों का पूरा ध्यान रख रहीं हैं। सिलाई के दौरान वे पूरे समय अपने चेहरे को मास्क या सूती कपड़ा से कवर करके रखतीं हैं और दिन में कई बार हाथों को सैनेटाइजर से साफ़ करने के साथ-साथ अपनी सिलाई मशीन व कैंची को भी सैनिटाइज करना नहीं भूलतीं। इनके द्वारा कड़ी मेहनत करके पीपीई किटों का निर्माण तीव्र गति से किया जा रहा है। इन महिलाओं के द्वारा स्थानीय स्तर पर रोजगार पैदा करने के साथ-साथ कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव में अपनी अहम् भूमिका का निर्वहन किया है।
क्वॉलिटी बेहतर और सस्ती भी

बाजार में अच्छी क्वॉलिटी की पीपीई किट 700 से लेकर 900 रुपए तक में मिलती है। जबकि पन्ना में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के महिला स्व सहायता समूहों द्वारा निर्मित पीपीई किट का मूल्य आधे से भी कम महज 300 रूपए है। आजीविका मिशन पन्ना के जिला परियोजना प्रबंधक डी. के. पाण्डेय ने बताया कि एक किट तैयार करने में करीब 220 रुपए सामग्री पर लागत आती है और इसकी कटिंग एवं सिलाई करने वाली महिलाओं को बतौर पारिश्रमिक 80 रुपये मिलते हैं। इस तरह सिर्फ 300 रुपये में उम्दा क्वालिटी की पीपीई किट हमारे स्व सहायता समूह बना रहे हैं। आपने बताया कि पन्ना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की मांग पर प्रथम चरण में 500 पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट का निर्माण किया गया है। पन्ना कलेक्टर के निर्देश पर अब भविष्य की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए 500 किट और तैयार किए जा रहे हैं। श्री पाण्डेय का कहना है कि आगे भी यदि पीपीई की और डिमांड आती है तो सिलाई कार्य में दक्ष समूह की महिलाएं इसकी आपूर्ति करने के लिए पूरी तरह तत्पर हैं।
कलेक्टर ने किया अवलोकन

पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा गत दिनों पीपीई किट निर्माण स्थल का निरीक्षण करने स्वयं पहुंचे। वहां उन्होंने स्व सहायता समूह की महिलाओं से चर्चा कर तैयार किटों का बारीकी से अवलोकन किया। कलेक्टर ने तैयार किट का परीक्षण मौके पर एक किट पहनाकर किया। उन्होंने देखा कि इस किट को पहनकर सिर से पैर तक पूरी तरह व्यक्ति सुरक्षित हो जाता है। उन्होंने स्व सहायता समूहों को सफलतापूर्वक किट बनाए जाने पर धन्यवाद ज्ञापित करते हुए 500 और किट बनाए जाने के लिए कहा। पीपीई किट तैयार करने के काम की देखरेख कर रहीं आजीविका मिशन की स्वप्निल शर्मा, कमल श्रीवास्तव एवं मनीष पाण्डेय ने बताया कि निरीक्षण के दौरान कलेक्टर श्री शर्मा महिलाओं के काम से काफी प्रभावित हुए। वहीं कलेक्टर से मिली सराहना और हौसला अफजाई से समूह की महिलाएं भी काफी उत्साहित हैं। उनके निर्देशानुसार अब 500 और पीपीई किट बनाने का काम तेजी से शुरू हो गया है।
देश के काम आए यह हमारा सौभाग्य
पीपीई किट तैयार करने वाले हजरत बाबा निजामी स्व सहायता समूह पुराना पन्ना की सदस्य सबीना बानो का कहना है कि कोरोना को हराने के लिए पूरा देश एकजुटता के साथ खड़ा है, मुझे इस बात की ख़ुशी और गर्व है कि हमारे समूह की महिलाएं कोरोना के खिलाफ फ्रंट लाइन पर खड़े होकर जंग लड़ रहे योद्धाओं डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टॉफ के लिए सुरक्षा कवच रुपी पीपीई किट तैयार करने में अपना योगदान दे रहीं हैं। संकट के समय हमारा हुनर देश के काम आ सका यह हमारी खुशकिस्मती है। सबीना यह बात अच्छी तरह यह जानती हैं कि कोरोना संकट से मानवता को उबारने के लिए हमारे डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टॉफ का इस खतरनाक संक्रमण से सुरक्षित रहना कितना जरुरी है। और इसके लिए उनके पास पीपीई किट समेत अन्य प्रोटेक्टिव गियर्स होना सबसे जरूरी है। सबीना बानो और माधवी सिंह ने बताया कि वे प्रतिदिन 8-10 पीपीई किट बना लेती हैं। पूर्व में इनके द्वारा सूती कपड़े के मास्क भी तैयार किये गए थे। उल्लेखनीय है कि पीपीई किट का उपयोग कोरोना वायरस संक्रमित रोगियों की जांच के नमूने लेने, उपचार करने एवं देखभाल करने वाले मेडिकल स्टॉफ एवं डाॅक्टरों के द्वारा किया जाता है। इसे पहनकर वे खतरनाक संक्रमण से स्वयं को सुरक्षित रख पाते हैं।
कोरोना से बचाव के लिए बहुत कुछ बनाया

पन्ना जिले में स्व सहायता समूहों की महिलाओं ने कोरोना महामारी रुपी भीषण आपदा से अपने योद्धाओं की सुरक्षा हेतु आवश्यक पीपीई किट बनाने के अलावा संकट के समय इस संक्रमण से आमजन के बचाव हेतु भी कई महत्वपूर्ण उत्पाद बड़ी मात्रा में तैयार किए है। जिसमें सूती कपड़े के मास्क, सैनेटाइजर, साबुन, फिनाइल और टॉयलेट क्लीनर आदि शामिल हैं। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव हेतु मास्क लगाना और सैनेटाइजर या साबुन से अच्छी तरह हाथ धोना जरूरी है। प्रदेश में घर से बाहर निकलने वाले व्यक्ति को मास्क लगाना अनिवार्य है। कोरोना के संकट के चलते बाजार से मास्क और सैनेटाइजर काफी समय से गायब हैं। जिन दुकानदारों के पास इनकी उपलब्धता है वे मुनाफाखोरी कर ऊँचे दाम पर इसे बेंच रहे हैं।
इन विषम परिस्थितियों में पन्ना जिले के आम लोगों एवं कोरोना से जारी जंग में अपनी सेवाएं दे रहे सरकारी अधिकारियों-कर्मचारियों को कम दाम पर मास्क और सैनेटाइजर आसानी से उपलब्ध कराने का बीड़ा आजीविका मिशन के स्व सहायता समूहों ने उठाया है। आजीविका मिशन पन्ना के जिला परियोजना प्रबंधक डी. के. पाण्डेय ने बताया कि 18 मार्च से लेकर अब तक जिले के 46 समूहों की 96 महिलाओं के द्वारा 3820 नग साबुन, अल्कोहल युक्त 5440 लीटर सैनेटाइजर, हर्बल सैनेटाइजर 306 बॉटल, लगभग 40 हजार मास्क तैयार किए जा चुके हैं। आपने बताया कि फिलहाल मनरेगा श्रमिकों के लिए 26,000 मास्क तैयार करने का कार्य प्रगति पर है। महिलाओं के प्रयासों से मास्क को लेकर बाजार में जारी कालाबाजारी-मुनाफाखोरी अब ख़त्म हो चुकी है।
ग्रामीण महिलाओं ने खुद को किया साबित
