* पोर्टल की जानकारी का फील्ड में सत्यापन करने से उजागर हुआ फर्जीवाड़ा
* जिस काम में 132 मजदूर पोर्टल पर दर्ज हैं, मौके पर एक भी नहीं मिला
* गाँव के प्रशिक्षित लोगों ने पकड़ी मनरेगा में बड़े पैमाने पर चल रही गड़बड़ी
शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) जॉबकार्डधारी मजदूरों के पलायन को रोकने के लिए उन्हें गाँव में ही रोजगार उपलब्ध कराने की गारण्टी प्रदान करने वाली महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है। इसका भण्डाफोड़ मनरेगा के ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज निर्माण कार्यों तथा उनके लिए जारी मस्टर पर रोजगार प्राप्त कर रहे मजदूरों का फील्ड पर जाकर सत्यापन करने से उजागर हुआ है। मनरेगा के जिन कार्यों को ऑनलाइन पोर्टल पर चालू होना बताया जा रहा है और उनमें 100 से अधिक श्रमिकों को रोजगार प्राप्त होना दर्शाया जा रहा है, वे स्थल निरीक्षण में पूर्णतः बंद पाए गए। मौके पर उनमें एक भी श्रमिक कार्य करते हुए नहीं मिला। धरातल पर जाकर मनरेगा की सच्चाई को उजागर करने का यह काम गाँव के उन लोगों ने किया है जोकि हाल ही में डिजिटल साक्षरता का प्रशिक्षण प्राप्त कर ग्राम पंचायत के ऑंनलाइन डाटा का सत्यापन करने में सक्षम हुए हैं।
यहाँ पकड़ी गई गड़बड़ी
स्वयंसेवी संस्था समर्थन द्वारा पन्ना जिले के 40 ग्रामों के 50-60 पढ़े लिखे लोगों को डिजिटल साक्षरता का प्रशिक्षण देकर पंचायत दपर्ण एवं मनरेगा से हो रहे कार्यों की निगरानी के लिए तैयार किया गया। इन्हें “देख-परख सैनिक” नाम दिया गया है। आग उगलती इस गर्मी के बीच मंगलवार 11 जून को इन सैनिकों ने पन्ना जनपद पंचायत के कई गांवों में दस्तक देकर मनरेगा के पोर्टल पर प्रदर्शित मस्टर पर दर्ज जानकारियों का फील्ड में जब सत्यापन किया तो उसमें जमीन-आसमान का अंतर् सामने आया। जैसे कि- राजापुर ग्राम के दऊअनटोला में 14 लाख से अधिक की लागत से फसल सुरक्षा दीवार निर्माणाधीन होना बताया जा रहा है। पोर्टल पर इस काम में 132 मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। जबकि धरातल की हकीकत ऑनलाइन जानकारी से मेल नहीं खाती। क्योंकि, उक्त कार्य के सत्यापन में मौके पर एक एक भी मजदूर काम करते हुए नहीं मिला। इसी तरह ग्राम पंचायत बिलखुरा में फसल सुरक्षा खखरी निर्माण के दो कार्यों में 112 श्रमिक मस्टर पर काम कर रहे हैं। लेकिन, सच्चाई इसके ठीक उलट है। सत्यापन में पाया गया कि उक्त दोनों कार्य 2-3 माह पूर्व ही पूर्ण हो चुके हैं। फलस्वरूप वहाँ एक भी मजदूर काम करते हुए नहीं मिला। पड़ताल करने पर यह बात सामने आई है कि फसल सुरक्षा दीवार समेत पंचायतों के अधिकांश कार्य ठेके पर कराये जा रहे हैं।
मनरेगा में ठेका प्रथा को मिला रहा बढ़ावा
मनरेगा के कार्यों का स्थल पर जाकर सत्यापन करने से यह बात सामने आई है कि रोजगारमूलक इस योजना का क्रियान्वयन रोजगार गारण्टी कानून के अनुसार न होने के कारण श्रमिकों का इससे मोहभंग हो चुका है। इस स्थिति का लाभ उठाकर पंचायतों के सरपंच-सचिव एवं रोजगार सहायक अपने करीबी व्यक्तियों अथवा निर्माण सामग्री सप्लायरों से ठेके पर पर कार्य कराकर जनपद और जिला पंचायतों में बैठे अधिकारियों की मेहरबानी से श्रमिकों को कागजों पर रोजगार देने का काम बखूबी रहे हैं। इनके द्वारा निर्माण कार्यों के मस्टर में काम न करने वाले अपने विश्वस्त व्यक्तियों के फर्जी नाम दर्ज कर मजदूरी की राशि का बंदरबांट किया जा रहा है। पोर्टल पर ऑनलाइन दर्ज मनरेगा के निर्माण कार्यों की जानकारी के अनुसार स्थल पर सत्यापन करने से जो तथ्य उजागर हुए वे पन्ना जिले में बड़े पैमाने धड़ल्ले से चल रहे इस फर्जीवाड़े की ओर इशारा करते हैं। कतिपय पंचायतों के सरपंच-सचिव ऑफ रिकार्ड चर्चा में खुद भी इस सच्चाई पर मुहर लगा रहे हैं। उनके मुताबिक मनरेगा में 176 रूपए मजदूरी होने और उसका भी समय पर भुगतान सुनिश्चित न हो पाने के कारण जाबकार्डधारी श्रमिक काम करने के लिए राजी नहीं होते इसलिए मजबूरी में ठेके पर काम कराना पड़ता है।
वन विभाग ठेकेदारों पर मेहरबान
पन्ना जिले की विभिन्न पंचायतों में मनरेगा से फसल सुरक्षा दीवार के कार्यों के तहत आवारा पशुओं तथा वन्यजीवों से फसलों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पत्थर की खखरी का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। उक्त कार्य वन क्षेत्रों के समीप स्थित ग्राम पंचायतों में स्वीकृत हुए है। मजेदार बात यह है कि जो वनकर्मी कल तक पंचायतों को जंगल में घुसने भी नहीं देते थे अथवा एक पत्ता भी नहीं उठाने देते थे उन्होंने आज पंचायतों में सक्रिय ठेकेदारों के लिए पूरे जंगल को ही खोल दिया है। अर्थात फसल सुरक्षा दीवार निर्माण में जो पत्थर लगाया जा रहा है वह समीपी वन क्षेत्रों से ही सेटिंग के तहत अवैध तरीके से आ रहा है। इस तरह कौड़ियों के दाम पर कार्यस्थल के नजदीक ही पत्थर उपलब्ध होने से खखरी निर्माण पंचयतों के नुमाइंदों और ठेकेदारों के लिए खासा लाभ का काम साबित हो रहा है। इनके निर्माण हेतु स्वीकृत कुल राशि का आधा भी खर्च न होने से जो राशि शेष बच रही है उसका बड़े मजे से बंदरबाँट हो रहा है। उधर, चंद रुपयों के लिए वन सम्पदा के विनाश में संलग्न मैदानी वनकर्मियों के कारनामों से विभाग आला अधिकारी पूरी तरह बेखबर हैं। मनरेगा में उजागर हुईं इन अनियमितताओं की रिपोर्ट स्वयंसेवी संस्था समर्थन ने पन्ना जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी है। अब देखना यह है कि जिम्मेदार अफसर इस पर क्या एक्शन लेते हैं।