* माफिया के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाली शिवराज सरकार के फैसले को लेकर पन्ना में गुस्सा
* पन्ना जिले में ठप्प पड़ सकती है वास्तविक माफियाओं के खिलाफ जारी मुहिम
* बुंदेलखंड के अति पिछड़े इस जिले में आज भी चलती है माफियाओं की हुकूमत
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े दबंग भू-माफिया अंकुर त्रिवेदी के खिलाफ सप्ताह भर पूर्व अहम फैसला सुनाकर गरीब आदिवासियों को न्याय देने वाले ईमानदार युवा IAS अफसर शेर सिंह मीना का राज्य सरकार ने आनन-फानन में पन्ना से शहडोल जिले के लिए तबादला कर दिया है। पन्ना जिले के लोग शिवराज सरकार के इस फैसले से बेहद नाराज हैं। इस मामले में सोशल मीडिया पर लोग शिवराज सरकार के फैसले के खिलाफ तल्ख़ टिप्पणी कर रहे है। मध्यप्रदेश में माफिया, गुण्डे-बदमाशों के खिलाफ मुहिम छेड़ने के लिए सार्वजानिक तौर पर बड़ी-बड़ी बातें करने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कथनी व करनी पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने तंज भरे अंदाज में टिप्पणी करते हुए IAS अफसर के स्थानांतरण को सत्ताधारी दल के भू-माफिया के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने के लिए उन्हें राज्य सरकार की ओर से दिया गया ईनाम (पुरूष्कार) बताया है। दरअसल, स्थानांतरण की टाइमिंग ही कुछ ऐसी जिससे शिवराज सरकार के फैसले और उसकी मंशा पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
उल्लेखनीय है कि, मध्यप्रदेश के पन्ना जिला मुख्यालय के नजदीक नेशनल हाइवे क्रमाँक-39 के दोनों तरफ स्थित नयापुरा-मुड़िया पहाड़ की लगभग 18 एकड़ बेशकीमती भूमि के बहुचर्चित विवाद मामले में शेर सिंह मीना (IAS) अनुविभागीय अधिकारी राजस्व, तहसील पन्ना ने दिनांक 11 फ़रवरी को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। अपने फैसले में उन्होंने कहा कि, अंकुर त्रिवेदी पिता खुन्ना उर्फ़ अवधेश त्रिवेदी ने छल-कपट पूर्वक साम-दाम-दण्ड-भेद का इस्तेमाल कर गरीब आदिवासियों की भूमियों पर पहले कब्ज़ा किया। इसके बाद अंकुर ने अपने बंधुआ मजदूर हीरालाल आदिवासी का इस्तेमाल कर उन भूमियों को हड़प लिया।
अनुविभागीय अधिकारी राजस्व न्यायालय ने विवादित जमीनों (आराजियों) को उनके मूल भूमिस्वामियों (गरीब आदिवासियों) के नाम पर दर्ज करने का आदेश दिया है। जिसमें कहा गया है, तहसीलदार पन्ना आदेशानुसार (फैसले के मुताबिक) पटवारी व अभिलेख दुरुस्त (सुधार) कराकर प्रकरण में संलग्न करें। विधि अनुसार मूल भूमि स्वामियों (गरीब आदिवासियों) को उनकी भूमियों का कब्ज़ा दिलाएं। आवश्यकता पड़ने पर पुलिस की सहायता से कब्ज़ा दिलाने की कार्रवाई की जाए। श्री मीना ने इस मामले में एसडीओपी पन्ना को अंकुर त्रिवेदी व उनकी माँ के विरुद्ध आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर एफआईआर की कॉपी उनके न्यायालय में प्रस्तुत करने का आदेश भी दिया था।
प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए लिखा था पत्र
मालूम हो कि पन्ना के भाजपा नेता अंकुर त्रिवेदी को खजुराहो सांसद एवं मध्यप्रदेश के भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का करीबी माना जाता है। कुछ माह पूर्व नयापुरा-मुड़िया पहाड़ की झुग्गी बस्ती के रहवासियों ने अंकुर पर आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत की थी जिसमें कहा गया था कि उसके द्वारा अपने राजनैतिक रसूख के दम पर उन्हें पुश्तैनी कब्जे की भूमि से जबरन बेदखल किया जा रहा है। इसके अलावा कुछ आदिवासियों ने भी अंकुर पर उनकी जमीनों को हड़पने का बेहद गंभीर आरोप लगाया था। प्रभावित लोगों ने महारानी पन्ना जीतेश्वरी देवी की अगुवाई में कलेक्ट्रेट तक पैदल मार्च निकालते हुए अंकुर के साथ-साथ खजुराहो सांसद विष्णु दत्त शर्मा के भी खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए थे।
बेहद गंभीर प्रकृति की इन शिकायतों एवं भाजपा नेता अंकुर के विरुद्ध दर्ज आपराधिक प्रकरणों की लंबी फेहरिस्त को दृष्टिगत रखते हुए तत्कालीन अनुविभागीय दंडाधिकारी पन्ना शेर सिंह मीना (IAS) ने दिनांक 27 अक्टूबर 2020 को थाना प्रभारी कोतवाली थाना पन्ना को पत्र लिखकर अंकुर त्रिवेदी और उनके पिता खुन्ना उर्फ़ अवधेश त्रिवेदी के विरुद्ध क्रमशः प्रतिबंधात्मक कार्रवाई तथा एन.एस.ए. (NSA) की कार्रवाई हेतु न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। लगभग चार माह पूर्व दिए गए इस आदेश पर क्या कार्रवाई हुई इसका अब तक पता नहीं चल सका।
माफियाओं के लिए परेशानी का सबब बन गए थे मीना
भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयनित होने के पश्चात युवा IAS शेर सिंह मीना की परवीक्षा अवधि की पहली पोस्टिंग पन्ना जिले की पन्ना तहसील में SDM के पद पर हुई। श्री मीना के करीब डेढ़ वर्ष के कार्यकाल के दौरान पन्ना जिले में कुल तीन IAS अफसर पदस्थ रहे लेकिन अपनी कार्यशैली, दिए गए फैसलों, ईमानदारी, तत्परता से प्रकरणों के निराकरण, कर्मठता, विनम्र व्यवहार, संजीदगी, और अपने शानदार व्यक्तित्व से जनमानस के बीच अच्छी छवि सिर्फ शेर सिंह मीना ही बना सके। महत्वपूर्ण बात यह रही कि उन्होंने कभी भी मीडिया के लिए हेडलाइंस बनाने की मंशा से कोई काम नहीं किया। अपने नंबर बढ़ाने या फिर कुर्सी के लिए सत्ता के इशारों पर नाचने वाली कठपुतली भी वे नहीं बने।
समाजसेवी एवं चिंतक देशपाल पटेल का मानना है कि पन्ना जिले के प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज़ गुलाम रूहों की जमात के बीच शेर सिंह मीना अपवाद स्वरूप उन चुनिंदा अफसरों में शामिल रहे जिन्होंने स्वतंत्र व निष्पक्ष तरीके से अपने पदीय दायित्वों का पूरी निष्ठा और ईमानदारी से निर्वाहन करते हुए अपने नाम को साबित किया है। शायद यही वजह रही कि पन्ना के ताकतवर लोगों को वे पूरे समय खटकते रहे। सबसे ज़्यादा हैरानी की बात तो यह है कि माफिया खिलाफ कार्रवाई दम भरने वाली शिवराज सरकार भी इस ईमानदार अफसर बर्दाश्त नहीं कर सकी।
विदित हो कि नयापुरा-मुड़िया पहाड़ मामले में प्रभावितों को न्याय देने के आलावा श्री मीना ने रेलवे लाइन के लिए अधिग्रहीत की गई भूमियों के मामले में गड़बड़ी करने वाले अधीनस्थ अमले पर भी कार्रवाई की, तथ्यों को नजरअंदाज करके विधि विरुद्ध कार्य करने वाले राजस्व अधिकारियों को भी उन्होंने नहीं बख्शा। पन्ना की गल्ला मण्डी के प्रांगण में शासकीय दुकानों के दुरूपयोग से जुड़े मामले में महत्वपूर्ण कार्रवाई की गई। जिससे भाजपा के नेता और पन्ना के बड़े व्यापारी सीधे तौर पर प्रभावित हुए। नवीन फल सब्जी मण्डी में साप्ताहिक रविवारीय बाजार के दिन दुकानें लगाने के जटिल विवाद का हल निकाला। कोविड संक्रमण के समय भी अपने दायित्वों का बखूबी निर्वाहन करते हुए महामारी की रोकथाम में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा और भी बहुत से महत्वपूर्ण कार्य उनके द्वारा किए गए।
वरिष्ठ पत्रकार राकेश शर्मा के अनुसार पन्ना जिले में सेवाएं देने वाले आईएएस अफसरों की लम्बी सूची में शेर सिंह मीना उन चुनिंदा अफसरों में शामिल हैं जिन्हें इस जिले के लोग लंबे समय तक याद रखेंगे। अपने कथन के समर्थन में श्री शर्मा कहते हैं मौजूदा भ्रष्ट व्यवस्था में वे आमलोगों के अधिकारों के सच्चे रक्षक साबित हुए। पन्ना अनुभाग अंतर्गत राजस्व कार्यालयों में घूसखोरी पर प्रभावी अंकुश लगाया, राजस्व प्रकरणों व आमजन से जुड़े कार्यों का तत्परता से विधि अनुसार निराकरण किया, अपनी विशिष्ट कार्यशैली, विनम्रता-सहजता से जन सामान्य में प्रशासन के प्रति भरोसे को मजबूत बनाने में उनकी अहम भूमिका रही।
इसके विपरीत पन्ना में सक्रिय भू-माफियाओं, अवैध तरीके से प्लाटिंग करने वाले कॉलोनाइजरों, खनन माफियाओं, कामचोर तथा भ्रष्ट अधिकारी-कर्मचारी श्री मीना के नाम से ही पूरे समय ख़ौफ़ खाते रहे। पत्रकार श्री शर्मा कहते हैं अगर कोरोना महामारी ना आती तो शायद युवा आईएएस के कुछ और भी काम लोगों को देखने को मिलते। बहरहाल जिले से इतनी जल्दी श्री मीना का तबादला होना पन्ना के लोगों के लिए किसी बड़ी क्षति से कम नहीं है।
माफिया पर नकेल कसने वाले अफसर नहीं टिक पाते
माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई को लेकर सत्तासीनों की लोक-लुभावन भाषणबाजी की कड़वी सच्चाई उनकी कथनी और करनी के अंतर के रूप में समय-समय पर उजागर होती रही है। इनका चरित्र हाथी के दांतों की तरह होता है। यही कारण है कि नेताओं व जनप्रतिनिधियों की विश्सनीयता जनमानस के बीच तेजी से गिर रही है। बताते चलें कि मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड का पन्ना जिला प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद भौतिक विकास के मामले काफी पिछड़ा हुआ है। पन्ना की प्रचुर वन सम्पदा एवं खनिज सम्पदा को यहाँ पर सक्रिय विभिन्न दलों के राजनेता-जनप्रतिनिधि, आपराधिक तत्व व माफिया मिलकर खुलेआम लूट रहे हैं। प्रशासन से सांठगांठ और सत्ता के संरक्षण में रेत-पत्थर व हीरे के अवैध खनन का खेल यहां पर खुलेआम चल रहा है। खनन माफिया रेत-पत्थर-हीरे के लिए तमाम नियम-कानूनों धज्जियां उड़ाते हुए नदी-पहाड़ और वन भूमि को रात-दिन खोखला करने में जुटे हैं।
जिले में खनन माफिया के अलावा भू-माफिया, शिक्षा माफिया, खाद्यान्न माफिया, वन्यजीवों के अंगों के तस्कर, सागौन तस्कर, शराब माफिया, परिवहन माफिया भी जबरदस्त तरीके से सक्रिय है। प्रदेश में सरकार चाहे जिस भी दल की रही हो पन्ना में इन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस जिस भी अधिकारी ने दिखाया उसका स्थानांतरण हो गया।
थोड़ा फ्लैश बैक में जाकर देखें तो अजयगढ़ की एसडीएम रहीं सुश्री आयुषी जैन के द्वारा स्थानीय कोंग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय के रेत से भरे डम्फरों को पकड़ने की कार्रवाई को लेकर हुए विवाद के बाद कमलनाथसरकार ने उनका तबादला कर दिया था। लगभग 5-6 वर्ष पूर्व उत्तर वन मण्डल पन्ना की डीएफओ रहीं बासु कन्नौजिया ने वन भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए भू-माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया था। साथ ही खनन माफिया के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की थी। इन सबसे मचे हड़कंप के चलते शिवराज सरकार ने आनन-फानन में बासु कन्नौजिया का पन्ना से हटा दिया था। भारतीय वन सेवा की यह महिला अधिकारी पन्ना में सालभर भी नहीं रही। इसी क्रम में ईमानदार आईएएस अफसर शेर सिंह मीना का तबादला सियासतदानों की दोगली नीति का ताजा उदाहरण हैं।
स्थानांतरण पर दी गई विदाई
जिला जनसम्पर्क कार्यालय पन्ना के द्वारा बुधवार 17 फरवरी को जारी नियमित समाचार में बताया गया है कि कलेक्टर संजय कुमार मिश्र ने पन्ना में पदस्थ रहे अनुविभागीय अधिकारी राजस्व शेर सिंह मीना (आईएएस) का पन्ना से शहडोल जिले के सुहागपुर राजस्व अनुभाग स्थानान्तरित होने पर भावभीनी विदाई दी गयी। उन्होंने श्री मीना को पुष्पगुच्छ, शाल, श्रीफल भेंटकर विदाई दी। श्री मिश्र ने इस अवसर पर शुभकामनाएं देते हुए कहा कि भविष्य में आप एक अच्छे कलेक्टर बनने के साथ सचिव बनेंगे। आप निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर रहे। यही मेरी मंगल कामना है।
विदाई समारोह में शेर सिंह मीना ने अपने उद्बोधन में कहा कि मैं पढने के बाद प्रशासनिक सेवा में चयनित होकर पन्ना आया तब मुझे कार्यालयीन कामकाज का ज्ञान नहीं था। यहां आकर मैंने कार्यालयीन प्रक्रियाओं का ज्ञान अर्जित किया। पन्ना में अधिकारियों, कर्मचारियों का मुझे हमेशा सहयोग मिला। वरिष्ठ अधिकारियों ने मेरा निरंतर मार्गदर्शन किया, जोकि मेरे शासकीय सेवाकाल के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि यहां के लोग बहुत अच्छे है। उनका भी निरंतर सहयोग मिलता रहा है। कार्यक्रम में अपर कलेक्टर जे.पी. धुर्वे के साथ नवीन कलेक्ट्रेट भवन में स्थित विभिन्न विभागों के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।
इनका कहना है —
“हमारी सरकार कथनी-करनी में कहीं कोई अंतर नहीं है, सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों के स्थानांतरण होना सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया का हिस्सा है। शेर सिंह मीना जी का स्थानांतरण भी इसी प्रक्रिया तहत हुआ है, इसमें कहीं कोई असमान्य बात नहीं है। यह कहना पूर्णतः गलत व निराधार है कि मीना जी का तबादला हमारी पार्टी के नेता के खिलाफ फैसला देने की वजह से हुआ है। फैसला तो उन्होंने तथ्यों व कानून के आधार पर दिया है। पन्ना में माफिया के खिलाफ जहां तक कार्रवाई का सवाल है तो वह आगे भी जारी रहेगी।”
– रामबिहारी चौरसिया, भाजपा जिलाध्यक्ष पन्ना।
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