बड़ी कामयाबी | भारत चांद पर पहुंचा, चंद्रयान-3 ने रच दिया इतिहास

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फोटो साभार : ANI

  चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतरने वाला भारत पहला देश बना

भारत को चांद पर पहुँचने में सफलता मिल गई है। चंद्रयान-3 ने बुधवार शाम को चांद की सतह पर उतरकर इतिहास रच दिया है। पूरी तरह तय रूप से ही यह अभियान सफल रहा। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे उड़ान भरने वाले चंद्रयान-3 ने अपनी 40 दिनों की लंबी यात्रा पूरी कर ली है। विक्रम लैंडर सॉफ्ट लैंडिंग के ज़रिए चांद पर उतरा। इसके साथ ही भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश हो गया।
इसरो द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, चंद्रयान-3 के लिए मुख्य रूप से तीन उद्देश्य निर्धारित हैं। जिसमें चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग कराना, चंद्रमा की सतह कही जाने वाली रेजोलिथ पर लैंडर को उतारना और घुमाना लैंडर तथा रोवर्स से चंद्रमा की सतह पर शोध कराना शामिल है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा है, ‘सबसे कठिन हिस्से थे चंद्रमा की कक्षा में प्रक्षेपण, लैंडिंग, लैंडर को उतरने के लिए लॉन्च करना और अंतिम लैंडिंग। अब लैंडर के स्वास्थ्य का आंकलन किया जाएगा और अगले कुछ घंटों में रोवर लैंडर से बाहर आ जाएगा।’
अगले 14 दिनों तक प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह से  भेजेगा। 14 दिनों के बाद इसकी गतिविधि धीमी होने की संभावना है, यह देखते हुए कि यह सौर ऊर्जा द्वारा संचालित है। मून रोवर लैंडर विक्रम और चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर के संपर्क में रहेगा। लैंडर इसरो को डेटा रिले करेगा, जिसका रोवर से कोई सीधा संबंध नहीं है।
फोटो साभार। इसरो (ट्विटर)
चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 का उतरना बेहद खास है। यह इसलिए कि अब तक के पिछले मिशन चंद्रमा के भूमध्यरेखा क्षेत्र के आसपास उतरे हैं। इसमें उस अपोलो की लैंडिंग भी शामिल है जिसमें क्रू सदस्य भी शामिल थे। चाँद का दक्षिणी ध्रुव गड्ढों और गहरी खाइयों वाला क्षेत्र है। चंद्रमा सूर्य के सापेक्ष कुछ इस तरह स्थित है कि सूर्य की किरणें चंद्रमा के कुछ ध्रुवीय क्षेत्रों को छू भी नहीं पातीं और वहां के गड्ढों की गहराई तक नहीं पहुंच पाती हैं। ये गड्ढे ठंडी अवस्था में हैं। ऐसे क्षेत्रों में तापमान शून्य से 230 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है। ज़ाहिर है, ऐसी जगहों पर लैंडिंग करना और तकनीकी प्रयोग करना काफी मुश्किल है।
दक्षिणी ध्रुव महत्वपूर्ण है क्योंकि माना जाता है कि इस क्षेत्र में पानी की बर्फ है जो भविष्य में चंद्रमा पर मानव के बसने की संभावना को बल देता है। चंद्रयान-3 लैंडर विक्रम अपने साथ ‘प्रज्ञान’ नामक रोवर ले गया है जो चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करेगा और पानी की खोज करेगा। प्रज्ञान रोवर अपने लेजर बीम का उपयोग चंद्रमा की सतह के टुकड़े को पिघलाने के लिए करेगा और इस प्रक्रिया में उत्सर्जित गैसों का विश्लेषण करेगा। इस मिशन के माध्यम से भारत न केवल चंद्रमा की सतह के बारे में ज्ञान का खजाना हासिल करेगा, बल्कि भविष्य में मानव निवास के लिए इसकी क्षमता भी हासिल करेगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दी बधाई

चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफल लैंडिग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने अभियान की सफलता की घोषणा की। इसरो चीफ़ ने पीएम मोदी का अभिवादन करते हुए उन्हें बोलने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “मैं अपने पीएम से हमें आशीर्वाद देने को कहूंगा।” ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए दक्षिण अफ़्रीका गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैज्ञानिकों को वर्चुअली संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा, “हमारे परिवारजनों जब हम अपनी आंखों के सामने ऐसा इतिहास बनते हुए देखते हैं, जीवन धन्य हो जाता है। ऐसी ऐतिहासिक घटनाएं राष्ट्र जीवन की चेतना बन जाती हैं. ये पल अविस्मरणीय है।” उन्होंने कहा, “ये क्षण अभूतपूर्व है। ये क्षण विकसित भारत के शखनांद का है। ये क्षण नए भारत के जय घोष का है। ये क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने का है। ये क्षण जीत के चंद्रपथ पर चलने का है। ये क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है। ये क्षण भारत में नई ऊर्जा नई चेतना का है।”