* प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों चित्रकूट-कालिंजर और पन्ना को जोड़ेगी सड़क
* पन्ना से समीपी ग्राम जनकपुर तक डिवाइडर युक्त सड़क का निर्माण
* सुगम होगा यातायात, बढ़ेंगीं पर्यटन गतिविधियाँ, दुर्घटनाओं में आएगी कमी
* पुल-पुलियों का भी होगा चौड़ीकरण, आपस में जुड़ेंगे पन्ना-सतना के 27 गाँव
शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज किसी नगर, क्षेत्र, प्रदेश या देश के लिए सड़कों का वही महत्व है जो मानव शरीर में धमनियों और नसों का है, ये शरीर को गति-शक्ति देती हैं वैसे ही अच्छी सड़कें विकास को गति प्रदान करती हैं। इसलिए किसी ने सच ही कहा है कि- “अच्छी सड़कें विकास का संवाहक होती है।” मध्यप्रदेश के अति पिछड़े पन्ना जिले का आपेक्षित विकास न हो पाने का एक बड़ा कारण यहाँ सड़क यातायात को सुगम बनाने वाली गुणवत्तापूर्ण चौड़ीं सड़कों का आभाव होना है। यहाँ की ग्रामीण सड़कों को छोड़िए, नेशनल हाइवे और इंटर स्टेट हाइवे तक कई दशकों से घोर उपेक्षा के कारण बदहाल स्थिति में हैं। पन्ना जिले में पिछले कुछ सालों में सड़क हादसों का ग्राफ तेज़ी से बढ़ने और उनमें कई व्यक्तियों के असमय काल कवलित होने के पीछे यही वजह है। बहरहाल, पन्ना नगर के पिछड़ेपन को लेकर चिंतित लोगों के लिए एक अच्छी खबर है !
पन्ना की जीवन रेखा कहलाने वाली पन्ना-पहाड़ीखेरा-मझगवाँ (चित्रकूट) सड़क के चौड़ीकरण की दिशा में तेजी से काम चल रहा है। प्रसिद्ध ऐतिहासिक-धार्मिक-प्राकृतिक महत्व के पर्यटन स्थलों चित्रकूट-कालिंजर और पन्ना को जोड़ने वाली करीब 75 किलोमीटर लम्बी इस सड़क का विस्तृत सर्वेक्षण कर इसे टू-लाइन बनाने का प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग ने तैयार किया है। यह प्रस्ताव मंजूर हुआ तो सड़क की चौंड़ाई बढ़कर 7 मीटर हो जाएगी जोकि वर्तमान में सिर्फ 3.75 मीटर है। सड़क चौड़ीकरण के प्रस्ताव पर शासन की मुहर लगने के प्रति लोक निर्माण संभाग पन्ना के तकनीकी अधिकारी पूरी तरह आश्वस्त है, इसलिए उनके द्वारा पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना से हस्तांतरित करने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
पन्ना नगर की भौगोलिक स्तिथि के मद्देनजर यहाँ विकास के मार्ग में आने वाली बाधाओं और चुनौतियों को भलीभाँति समझने वाले जानकारों का मानना है कि पन्ना-पहाड़ीखेरा-चित्रकूट मार्ग का चौड़ीकरण शहर के चहुँमुखी विकास और विस्तार के लिहाज से मील का पत्थर साबित होगा। इससे जहाँ पन्ना-चित्रकूट के बीच सड़क यातायात सुगम होगा वहीं पर्यटन गतिविधियाँ बढ़ेंगी, सीमावर्ती इलाके में मध्यप्रदेश-उत्तर प्रदेश के बीच सड़क संपर्क बेहतर होगा, व्यापार-व्यवसाय भी बढ़ेगा और पन्ना-पहाड़ीखेरा-मझगवाँ के बीच सड़क हादसों में कमी आएगी।
पन्ना के विस्तार को लगेंगे पंख
सर्विदित है कि पन्ना जिला मुख्यालय तीन तरफ से जंगल और पहाड़ों से घिरा है। जिससे पन्ना का विकास बाधित है और शहर के अंदर सीमित जगह होने के परिणामस्वरूप जमीनों के दाम भी आसमान छू रहे हैं। क़स्बानुमा इस छोटे से शहर के विकास और विस्तार की एकमात्र संभवना पन्ना-पहड़ीखेरा मार्ग में ही है। इस मैदानी इलाके में पन्ना से करीब 2 किलोमीटर दूर जनकपुर में रेल्वे स्टेशन का निर्माण भी प्रस्तावित है। यहाँ समीपी ग्राम जनकपुर तक सड़क किनारे दोनों और तेजी से मकानों का निर्माण हो रहा है, जहाँ कभी खेतों में फसलें लहलहाती थीं आज वहाँ कई आवासीय कॉलोनियाँ बन रहीं है। फलस्वरूप साल दर साल इस इलाके में जमीनों की माँग बढ़ रही है। जानकारों का मानना है कि पन्ना-पहड़ीखेरा मार्ग का चौड़ीकरण होने से इस प्रक्रिया में कहीं अधिक तेजी आएगी।
पन्ना से लक्ष्मीपुर ग्राम करीब 10 किलोमीटर दूर तक सड़क के किनारे और आसपास की जमीनों की बिक्री बीघा और एकड़ में न होकर फुट में शुरू हो जाएगी। कुछ ही सालों में पन्ना के सामानांतर एक नया पन्ना (शहर) अस्तित्व में आ जाएगा। इससे पन्ना की कस्बाई छवि टूटेगी और शहर के विस्तार के साथ विकास की असीम संभावनाओं का मार्ग प्रशस्त होगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में इस मार्ग पर पड़ने वाले छोटे पुल-पुलियाँ के कारण बारिश के दिनों में कई घंटों के लिए आवागमन अवरुद्ध हो जाता है। टू-लाइन सड़क निर्माण के प्रस्ताव में सभी पुल-पुलिया 12.50 मीटर चौड़ाई का नवीन निर्माण कराया जाएगा। जिससे लोगों को बारहमासी सुगम आवागमन सुविधा मिलेगी। इसके अतिरिक्त सतना एवं पन्ना जिले के 27 गाँव आपस में जुड़ जाएँगे।
इसलिए है, लाइफ लाइन
जिला मुख्यालय पन्ना के लिए पन्ना-पहड़ीखेरा मार्ग के महत्व को इस तरह समझा जा सकता है कि सिर्फ इसी मार्ग पर चंद किलोमीटर के फासले पर गाँवों की सघन बसाहट है। जोकि पन्ना के पुरुषोत्तमपुर से शुरू होकर करीब 40 किलोमीटर दूर पहाड़ीखेरा तक फैली है। जबकि पन्ना के आसपास अन्य दिशाओं और मार्गों पर महज 2 किलोमीटर की दूरी पर ही संरक्षित और सामन्य वन क्षेत्र की सीमा शुरू हो जाती है। साथ ही पहाड़ आदि स्थित होने से गिनती के ही गाँव हैं और इनकी दूरी भी अधिक है। इसलिए पन्ना का व्यापार-व्यवसाय में बृजपुर-पहाड़ीखेरा क्षेत्र पर ही निर्भर है। कृषि प्रधान इस इलाके की पहचान उथली हीरा खदानों के लिए भी है। हीरा पट्टी धारित इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों का जीविकोपार्जन या तो कृषि से होता या फिर हीरा खदानों में मजदूरी से चलता है। इसलिए पन्ना-पहड़ीखेरा मार्ग को पन्ना की लाइफ लाइन कहा जाता है।
बढ़ेंगी पर्यटन गतिविधियाँ
बताते चलें कि पन्ना से चित्रकूट जाने के लिए सबसे कम दूरी का मार्ग पहाड़ीखेरा-मझगवाँ से ही जाता है। पन्ना-पहाड़ीखेरा-मझगवाँ का चौड़ीकरण होने पर सुगम सड़क यातयात सुविधा के चलते भगवान राम की नगरी चित्रकूट और हीरों-मंदिरों तथा बाघों के लिए विश्व विख्यात पन्ना के बीच पर्यटन गतिविधियाँ बढ़ेंगी। यहाँ के ऐतिहासिक-धार्मिक और प्राकृतिक महत्व के दर्शनीय स्थलों को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक चित्रकूट से पन्ना आएंगे। इससे पन्ना में निश्चित ही रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। यह नागौद-कालिंजर अंतरराज्यीय मार्ग को भी पहाड़ीखेरा से जोड़ता है। चूँकि कालिंजर भी एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है, जिसके अभेद किले को देखने के लिए बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष आते हैं। कालिंजर-पन्ना के बीच सड़क यातायात सुविधा बेहतर होने से वहाँ से भी पर्यटक आसानी से पन्ना आ सकेंगे। कुल मिलाकर इससे पन्ना का टूरिस्ट सर्किट मजबूत होगा। जिसका सीधा लाभ यहां के पर्यटन व्यवसाय को मिलेगा।
महत्वपूर्ण जानकारी
सड़क का नाम – पन्ना-पहाड़ीखेरा-मझगवाँ
सड़क की लम्बाई – 75 किलोमीटर
सड़क की चौड़ाई – 7 मीटर (डामरीकरण परत)
कार्य की लागत – 2 अरब लगभग
डिवाइडर युक्त सड़क – पन्ना से जनकपुर तक
वर्तमान स्तिथि – कार्य का प्रस्ताव विचाराधीन
इनका कहना है-
“पन्ना-पहाड़ीखेरा मार्ग को हस्तांतरित करने के संबंध में कुछ समय पूर्व लोक निर्माण विभाग पन्ना ने पत्राचार किया था, इस विषय पर कार्यपालन यंत्री लोनिव का मुझे फोन भी आया था। हमने अपने विभाग प्रमुख से सड़क को हस्तांतरित करने की अनुमति माँगी है, अनुमति मिलते ही इसे हस्तांतरित कर दिया जाएगा। यह बात सही है कि पन्ना-पहाड़ीखेरा की सड़क काफी सकरी है, जिसमें एक बस-ट्रक या मोटरसाइकिल के बीच क्रॉसिंग में परेशानी होती है। इस मार्ग पर ट्राफिक की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इसका चौड़ीकरण कार्य आवश्यक हो गया है।“