* मुंबई से 10 सदस्यों के ग्रुप में आया जिसमें 9 की रिपोर्ट आई निगेटिव
* जिले की सिमरिया बार्डर पर रोककर के बनौली में किया था आइसोलेट
* फर्स्ट कॉन्टेक्ट पर्सन में चिन्हित 8 व्यक्तियों की जांच हेतु सैम्पल लिए
* प्रशासन का दावा पूरी तरह सुरक्षित है पन्ना जिला घबराने की जरुरत नहीं
* कोरोना संक्रमित श्रमिक का बनौली के कोविड सेंटर में प्रारंभिक उपचार जारी
शादिक खान पन्ना।(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में कोरोना वायरस संक्रमण (कोविड-19) का पहला केस सामने आया है। देश में कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित महानगर मुंबई से तीन दिन पूर्व पन्ना लौटा एक प्रवासी श्रमिक कोरोना जांच में पॉजिटिव पाया गया। जिले की सीमावर्ती सिमरिया तहसील के बनौली ग्राम के छात्रावास में इस श्रमिक को आइसोलेशन पर रखा गया था। छात्रावास में उसके ग्रुप के 9 अन्य सदस्य और दूसरे राज्यों से आये अन्य श्रमिकों को भी आइसोलेशन में रखे जाने की चर्चा है। पन्ना के प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एल. के. तिवारी ने कोरोना पॉजिटिव केस मिलने की पुष्टि की है। प्रशासन को शनिवार 2 मई की शाम को ही इसका पता चल गया था लेकिन पत्रकारों को आधिकारिक तौर पर इसकी जानकारी देर रात्रि 11 बजे के बाद सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से जिला जनसम्पर्क कार्यालय प्रभारी सुधीर शर्मा के द्वारा दी गई। अब तक ग्रीन जोन में रहे पन्ना जिले में कोरोना पॉजिटिव पहले केस की पुष्टि के उपरांत पन्ना ऑरेन्ज जोन में आ गया है। प्रवासी श्रमिकों के घर वापसी के चलते आगे क्या स्थिति बनेगी इसे लेकर जिले के लोग खासे चिंतित हैं।
जनसम्पर्क कार्यालय प्रभारी द्वारा दी गई जानकारी में बताया गया है कि, कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति पन्ना जिले की अजयगढ़ तहसील का रहने वाला है। गुरुवार 30 अप्रैल को यह श्रमिक अपने 10 सदस्यों के ग्रुप में मुंबई से सिमरिया तहसील की बार्डर पर पहुंचा था। इन सभी प्रवासी श्रमिकों को सिमरिया में ही रोककर नजदीकी ग्राम बनौली के हॉस्टल में आइसोलेट किया गया। कोरोना जांच के लिए इनके सैम्पल लेकर सागर मेडिकल कॉलिज भेजे गए। जांच में 9 श्रमिकों की रिपोर्ट निगेटिव आई जबकि एक व्यक्ति पॉजिटिव पाया गया। हालांकि कोरोना पॉजिटिव श्रमिक अभी भी बीमारी के प्रत्यक्ष लक्षण से मुक्त है। अर्थात उसे बुखार, खांसी या साँस लेने में तकलीफ आदि नहीं है। कोरोना संक्रमित पाए गए श्रमिक का प्रारंभिक उपचार बनौली कोविड सेंटर मे शुरू किया जा चुका है। पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा, पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी एवं प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एल. के. तिवारी दलबल के साथ देर रात्रि तक बनौली ग्राम में मौजूद रहे।
सम्पर्क में आये 8 लोगों के सैम्पल लिए
कोरोना पॉजिटिव पहला केस सामने आने के बाद भी प्रशासन की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि पन्ना जिले के नागरिक पूरी तरह सुरक्षित हैं, किसी को भी घबराने की जरुरत नहीं है। क्योंकि मुंबई से लौटे प्रवासी श्रमिकों के इस ग्रुप को सिमरिया चेकपोस्ट में रोके जाने के बाद सीधे बनौली के हॉस्टल में ले जाया गया था। जिससे इनका सम्पर्क किसी रहवासी क्षेत्र में नहीं हुआ। इस आधार पर प्रशासन पन्ना जिले के सभी नागरिकों के सुरक्षित होने का दावा कर रहा है। जनसम्पर्क कार्यालय प्रभारी पन्ना शर्मा के द्वारा जारी पोस्ट में बताया गया है कि कोरोना संक्रमित व्यक्ति की फर्स्ट कॉन्टैक्ट पर्सन की हिस्ट्री निकाल ली गई है। जिसमें 8 लोग चिन्हित हुए हैं, इन सभी लोगों के सैम्पल जांच हेतु लिए गए। आठों व्यक्तियों को डॉक्टर की निगरानी में कोविड सेन्टर में रखा गया है। इसके अलावा इनके सेकेण्ड कांटेक्ट पर्सन को भी चिन्हित करके स्थानीय प्रशासन एवं पुलिस की निगरानी में आइसोलेशन में रखा गया है।
संक्रमित के उपचार की कितनी व्यवस्था
कोरोना संक्रमित प्रवासी श्रमिक को अलग रखकर उसका प्राथमिक उपचार बनौली ग्राम के कोविड सेंटर में किया जा रहा है। यह जानकारी प्रशासन की ओर दी गई है। विचारणीय प्रश्न यह है कि बनौली जैसे छोटे से गांव में जहाँ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक नहीं है वहां इतने खतरनाक संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति को क्या बेहतर उपचार एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो पाएंगी जिससे कि वह संक्रमण मुक्त हो सके ? प्रशासन के दावे के अनुसार कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति में फिलहाल बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं। लेकिन उस व्यक्ति को स्वयं के संक्रमित होने का पता चलने और प्रोटोकॉल अनुसार उसे पूरी तरह दूसरों से अलग-थलग करके संक्रमण मुक्त होने तक इलाज जारी रखने तक क्या उसकी मनोदशा और हालत आने वाले दिनों में स्थिर रह पाएगी। इस सम्बंध में दावे के साथ कोई भी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है।
सर्विदित है कि पन्ना जिला चिकित्सालय पन्ना में कोरोना संक्रमितों को भर्ती कर उपचार करने के लिए आईसोलेशन वार्ड बनाया गया है। जिसमें आपातकालीन सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होने की बात पिछले कई दिनों से प्रचारित की जा रही थी। कोरोना संक्रमित श्रमिक की तबियत अगर नासाज़ तो क्या उसे बनौली ग्राम में आइसोलेशन वार्ड जैसी सुविधाएं मिल पाएगीं। ऐसी स्थिति न बनें इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को संक्रमित श्रमिक को रेफर किये जाने पर करने पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए।
“रडार न्यूज़” ने जब इस सम्बंध एक वरिष्ठ चिकित्सक से बात की तो उन्होंने अपना नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर जो कुछ कहा वह गौर करने लायक है –“जब यह स्पष्ट हो गया है कि वह व्यक्ति कोरोना संक्रमित है तो मेरी समझ से उसे ऐसे स्थान पर रखा जाना चाहिए कि कब क्या स्थिति बदलती है तो उसे मैनेज करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हों। आगे जाकर उसका बीपी कितना डाउन होता है उसके लंग्स (फेंफड़ों) की क्या स्थिति बनती है। मेरे हिसाब से यह नहीं होना चाहिए कि जब एमरजेंसी बने तभी जाकर उसे शिफ्ट किया जाए। जब हमें मालूम है कि व्यक्ति पॉजिटिव है और आगे जाकर कई तरह की समस्याएं उसे हो सकती हैं तो मेरा मानना है कि उसे ऐसे सेंटर पर रखा जाना चाहिए कि जहां पर सभी सुविधाएं हो ताकि कॉम्प्लिकेशन को मैनेज किया जा सके। प्रॉब्लम आने पर ऐन वक्त पर शिफ्ट करने से कई बार लाइफ सेविंग टाइम बेकार चला जाता है और मरीज के शॉक में आने की आशंका भी बनी रहती है।”
विरोधाभास बना बहस का मुद्दा
पन्ना जिले में कोरोना वायरस संक्रमण का पहला मामला सामने आने के बाद जिले के स्वास्थ्य महकमे और प्रशासनिक हलकों में हड़कम्प की स्थिति देखी गई। शाम के समय आनन-फानन में अधिकारी बनौली के लिए रवाना हुए जहां संक्रमित व्यक्ति आइसोलेट है। जिम्मेदार अधिकारी इस सम्बंध पत्रकारों को जानकारी देने से बचते रहे। इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट और सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये कतिपय लोगों के द्वारा कोरोना संक्रमित प्रवासी श्रमिक का नाम-पहचान सार्वजानिक कर दी गई। इसके कुछ ही देर बाद पन्ना कलेक्टर के स्टेनो कुलदीप दिवेदी सक्रिय हुए और उन्होंने व्हाट्सएप के कई ग्रुपों में पोस्ट डालकर लोगों को नसीहत दे डाली कि नियमानुसार कोरोना संक्रमित की पहचान गोपनीय रखने के आदेश का उल्लंघन कर नाम-पहचान को उजागर किया गया है। हालाँकि तब तक इस तरह की पोस्ट सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर फ़ैल चुकी थी।
लेकिन देर रात्रि जिला जनसम्पर्क कार्यालय प्रभारी सुधीर शर्मा के द्वारा जब कोरोना केस के सम्बंध में जानकारी सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई तो उसमें संक्रमित व्यक्ति का नाम, उसके पिता का नाम एवं पता का भी उल्लेख किया गया। प्रशासन का यह विरोधाभासी कारनामा सोशल मीडिया पर बहस का मुद्दा बना रहा। इस बीच विचित्र और हास्यास्पद स्थिति उस समय निर्मित हो गई जब महज कुछ ही घण्टे बाद कलेक्टर के स्टेनो कुलदीप दिवेदी के द्वारा जनसम्पर्क कार्यालय प्रभारी पन्ना सुधीर शर्मा की उस पोस्ट को व्हाट्सएप के कई ग्रुपों में फॉरवर्ड किया गया जिसमें कोरोना संक्रमित व्यक्ति के नाम-पहचान का उल्लेख था। दूसरों को नसीहत देने के बाद स्वयं उसका पालन न करने से लोगों में इस बात को लेकर भ्रम और संशय बरकरार है कि क्या वाकई कोरोना संक्रमित की पहचान उजागर करना शासन-प्रशासन के निर्देशों का उल्लंघन है। जिम्मेदार अधिकारियों को आगे आकर इस पर स्थिति स्पष्ट किये जाने की जरुरत है।
प्रशासन की चुप्पी ने बढ़ाई चिंता
शनिवार 2 मई की शाम को पन्ना जिले में कोरोना पॉजिटिव पहला केस मिलने की सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। इस दौरान मीडियाकर्मी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, कलेक्टर सहित अन्य अधिकारियों से इस सम्बंध में विस्तृत जानकारी प्राप्त करने के लिए लगातार उनके मोबाइल फोन पर सम्पर्क करते रहे लेकिन किसी ने कुछ भी बताना तो दूर बात करना तक उचित नहीं समझा। जिससे सोशल मीडिया पर लोग कई तरह की चर्चाएं करते रहे और अफवाहें भी तेजी से फैलती रहीं हैं। स्थानीय स्तर पर कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में और सोशल मीडिया पर कोरोना केस के सम्बंध आईं ख़बरों तथा पोस्ट के बाद से लोग पन्ना जिले में कोरोना की दस्तक को लेकर काफी डरे हुए व तनावग्रस्त नजर आये।
लोगों की चिंता लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों फंसे श्रमिकों के वापस पन्ना लौटने को लेकर है। पन्ना जिले के करीब 7 हजार प्रवासी श्रमिक दूसरे राज्यों में फंसे हैं जिनके घर लौटने का सिलसिला लगातार जारी है। खचाखच भरे वाहनों में प्रतिदिन प्रवासी श्रमिक जिस तरह कोरोना के रेड जोन-ऑरेन्ज जोन वाले इलाकों से असुरक्षित तरीके से लौट रहे हैं उससे जिले में कोरोना संक्रमण के प्रसार का खतरा बढ़ गया है। उल्लेखनीय है कि पन्ना जिला 1 मई तक कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित होने के चलते ग्रीन जोन में रहा है। लेकिन पहला केस सामने आने के बाद अब पन्ना का ऑरेन्ज जोन आ गया है। जिले में श्रमिकों की वापसी के बीच आने वाले दिनों में आगे क्या स्थिति बनती यह देखना महत्वपूर्ण होगा। लेकिन इतना तय है कि लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अब पहले से कहीं अधिक सतर्कता बरतने की जरुरत है।
इनका कहना है –
“बनौली ग्राम में तो क्वारंटीन सेंटर बनाया गया था वहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक नहीं है। इस स्थिति में क्या संक्रमित को वहां बेहतर उपचार मिल पाएगा इस पर जानकारों को विचार करने की आवश्यकता है। कोरोना संक्रमित व्यक्ति को जहां पर हर समय अच्छा इलाज मिल सके और इस संक्रमण का प्रसार भी न हो ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए। यदि संभव हो तो उस व्यक्ति को सुरक्षित तरीके से रेफर कर ऐसे स्थान पर रखा जाए जहां पर उसे हर समय सभी आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं व सुविधाएं उपलब्ध हो सकें।”
– डी.के. दुबे, वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं समाजसेवी पन्ना।
“कोरोना संक्रमित व्यक्ति की सेहत पर स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी 24⤯7 घण्टे नजर रख रहे हैं। जरुरत पड़ने पर उसे तत्काल शिफ्ट किया जाएगा, मौके पर एम्बुलेंस खड़ी है।”