* प्रदेश के 24 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी हो रहे प्रभावित
* राज्य सरकार ने अपनी बनाई नीति को 3 साल से नहीं किया लागू
* NHM के संविदा कर्मचारियों ने ज्ञापन सौंपकर लिखित आश्वासन की दिलाई याद
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) कोरोना महामारी के भीषण प्रकोप के चलते जब हर तरफ हा-हाकार मचा था तब अपनी जान की परवाह न कर और अपने परिजनों के जीवन को जोखिम में डालकर रात-दिन सेवा के धर्म को पूरी निष्ठा-समर्पण तथा ईमनदारी से निभाने वाले संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी (कोरोना योद्धा) प्रदेश की शिवराज सरकार के उपेक्षा पूर्ण रवैये से दुखी हैं। संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की मुख्य मांग नियमित कर्मचारियों के वेतनमान का 90 प्रतिशत वेतन देने, सपोर्ट स्टॉफ़ एवं निष्कासित कर्मचारियों की वापसी एनएचएम में करने को लेकर सरकार की ओर से लगातार आश्वासन पर आश्वासन दिए जा रहे हैं लेकिन उन पर अमल कब होगा यह सवाल बरक़रार है।
राज्य सरकार की मंशा को लेकर सवाल उठने की वाज़िब वजह भी है, संविदा कर्मचारियों की जायज मांग को दृष्टिगत रखते हुए सरकार के द्वारा 5 जून 2018 को संविदा नीति तो कैबिनेट में पारित की गई लेकिन उसकी अनुशंसाओं को आज तक लागू नहीं किया। जिससे प्रदेश के 24 हजार संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों के हितों पर कुठाराघात हो रहा है। विदित होकि, वर्ष 2021 में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारी अपनी मांगों के निराकरण में हो रहे विलंब से परेशान होकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गए थे। हड़ताल को समाप्त कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग शीर्ष अधिकारियों ने लिखित आश्वासन दिया था कि, जून 2021 के दिव्तीय सप्ताह में संविदा नीति पर निर्णय लिया जाएगा। मगर, पिछले करीब 10 माह से लिखित आश्वासन पर भी जिम्मेदारों ने चुप्पी साध रखी है।