पन्ना टाइगर रिजर्व के परिक्षेत्र पन्ना बफर की झिन्ना बीट में मृत मिले मादा तेंदुआ शावक का शव।
* आलोचना होने पर पार्क प्रबंधन ने पांचवें दिन मीडिया से साझा की जानकारी
* गंगऊ रेंज में मादा भालू की रहस्मयी मौत से मचा हड़कंप
* जंगल की नियमित गश्त के दावों और निगरानी तंत्र की लगातार खुल रही पोल
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व (Panna Tiger Reserve) की पन्ना बफर रेंज के जंगल में मादा तेंदुआ शावक (लगभग 4 माह) का शव मिला है। तेंदुए की मौत 3-4 दिन पूर्व होने का अनुमान है, क्योंकि उसके शरीर के अधिकांश अंदरूनी अंग सड़कर ख़राब हो चुके थे। विशेषज्ञ चिकित्सकों से मृत तेंदुए का पोस्टमार्टम करवाने के बाद शव को जला दिया गया। प्रथम दृष्टया चिकित्सकों का मांनना है कि शावक की मृत्यु किसी बीमारी के कारण होना प्रतीत होता है। पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन पर इस मामले में अपनी लापरवाही को उजागर होने से रोकने के लिए तेंदुआ शावक (Leopard cub) की मौत की खबर को छिपाने-दबाने के आरोप लगे हैं। कड़ी आलोचना से घिरे पार्क प्रबंधन द्वारा शावक की मौत की आधिकारिक जानकारी घटना के पांचवें दिन यानी शुक्रवार 16 मई 2025 को मीडिया को दी गई। वहीं इसी दिन गंगऊ अभ्यारण (Gangau Sanctuary) पन्ना के परिक्षेत्र गंगऊ की बांधी बीट में मादा भालू (Female Bear) की रहस्मयी मौत होने होने की जानकारी मिली है।
पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा प्रेस में जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि, सोमवार 12 मई 2025 परिक्षेत्र पन्ना बफर की झिन्ना बीट के कक्ष क्रमांक पी-282-283 की सीमा पर वनमार्ग में एक मादा तेंदुआ शावक (आयु लगभग 4 माह) के मृत होने की सूचना वन अमले को स्थानीय ग्रामीणों से प्राप्त हुई। परिक्षेत्र अधिकारी अमर सिंह ने मौके पर पहुंचकर आसपास के इलाके की सघन सर्चिंग कराई। क्षेत्रीय वनमंडल सतना के डॉग स्क्वॉड (Dog Squad) से भी घटनास्थल की सर्चिंग कराई गई। मौके पर किसी तरह की कोई संदिग्ध गतिविधि के साक्ष्य नहीं मिले। वहीं मादा तेंदुए शावक के नाख़ून, दांत, मूंछ के बाल और खाल आदि सुरक्षित थे। अगले दिन मंगलवार 13 मई को बड़ौर में पन्ना टाइगर रिजर्व की क्षेत्र संचालक (Field Director) अंजना सुचिता तिर्की समेत अन्य अधिकारी-कर्मचारियों की मौजूदगी में वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता एवं अजयगढ़ के पशु चिकित्सक डॉ. मोतीलाल प्रजापति द्वारा तेंदुआ शावक के शव का परीक्षण किया गया। पोस्टमार्टम होने के बाद शव को जला दिया। क्षेत्र संचालक ने बताया, प्रथम दृष्टया चिकित्सकों का मानना है कि मादा तेंदुआ शावक की मृत्यु किसी बीमारी से होना प्रतीत होता है। शावक के अंगों के सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे जा चुके हैं। जांच रिपोर्ट प्राप्त होने पर ही तेंदुआ शावक की मौत की असल वजह का पता चल सकेगा।
3 दिन तक वनमार्ग पर सड़ता रहा शव
मादा तेंदुआ शावक की संदिग्ध मौत के घटनाक्रम से पन्ना टाइगर रिजर्व के नियमित गश्त के दावों की पोल खुल गई है। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर ग्रामीणों ने बताया, शव से भीषण दुर्गन्ध उठ रही थी और उसमें कीड़े पड़ चुके थे। ग्रामीणों का अनुमान है कि शावक की मृत्यु 3-4 दिन पूर्व हुई थी। यहां गौर करने वाली बात यह है कि, वनमार्ग पर मृत तेंदुए का शव 3-4 दिन तक सड़ता रहा लेकिन कथित नियमित गश्ती करने वाले मैदानी वन अमले को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। जब वनमार्ग पर पड़े को तेंदुए शावक को लेकर वन अमला कई दिन तक पूरी तरह से बेखबर रहता है तो जरा सोचिए घने जंगल या झाड़ियों के अंदर वन्यजीवों की मृत्यु होने का पता कितने दिन बाद चलता होगा और तब तक शव की क्या हालत होती होगी? जानकारों की मानें तो वन्य जीवों की मृत्यु होने पर उनके शव सही स्थिति में न मिलने के कारण पोस्टमार्टम में मृत्यु की असली वजह पता नहीं चल पाती है।
वनकर्मियों के सामने भालू ने दम तोड़ा
पन्ना टाइगर रिजर्व अंतर्गत आने वाले गंगऊ अभ्यारण के परिक्षेत्र गंगऊ में मृत मादा भालू का शव।
मादा तेंदुआ शावक की संदिग्ध मौत की खबर को छिपाने के आरोपों के बीच शुक्रवार की सुबह गंगऊ परिक्षेत्र से मादा भालू की रहस्मयी मौत की खबर आने पर पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन में जबरदस्त हड़कंप मच गया। मादा भालू (लगभग 8 वर्ष) की मौत बांधी बीट के जंगल में हुई। पन्ना टाइगर रिजर्व के उप संचालक (Deputy Director) मोहित सूद ने जानकारी देते हुए बताया कि, शुक्रवार 16 मई 2025 की सुबह मैदानी वन अमले को मादा भालू जीवित अवस्था में दिखा था। वह काफी असहज और बैचेन था। वन अमले की निगरानी के बीच चंद घंटे बाद लगभग पौने 11 बजे मादा भालू की अचानक मौत हो गई। घटनास्थल की पुलिस डॉग स्क्वॉड से सर्चिंग कराने पर किसी तरह की कोई संदिग्ध गतिविधि नहीं पाई गई। वन्यप्राणी चिकित्सक से शव का परीक्षण करवाने के बाद उसे जला दिया गया। पीटीआर प्रबंधन को प्रथम दृष्टया लगता है कि, भालू की मौत बीमार और वृद्ध होने की वजह से हुई। हालांकि पोस्टमार्टम में मादा भालू की मौत की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी। भालू के अंगों के सैंपल जांच हेतु प्रयोगशाला भेजे जा रहे हैं। जांच रिपोर्ट आने पर ही भालू की मौत के वास्तविक कारणों का पता चल सकेगा।
… तो पुनः बाघ विहीन हो सकता है पन्ना
फाइल फोटो।
पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन वन और वन्यजीवों की सतत रूप से सुरक्षा को लेकर प्रतिबद्धता तो जाहिर करता है लेकिन धरातल पर इसका असर दूर-दूर तक कहीं नजर नहीं आता। पन्ना पार्क की सुरक्षा एवं निगरानी व्यवस्था वर्तमान में सबसे लचर स्थिति में है। हालिया घटनाएं इसकी तस्दीक करती हैं। बता दें कि पन्ना टाइगर रिजर्व के पर्यटक जोन में हिनौता ग्राम की आधा दर्जन महिलाएं बिना किसी रोकटोक के नियमित रुप से घास काटने जाती थीं। इसका खुलासा तब हुआ जब हाल ही में एक वृद्ध महिला की टाइगर फैमिली के हमले में दर्दनाक हो गई। दिल दहला देने वाली इस खौफनाक घटना ने पार्क की कथित चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की जमीनी सच्चाई को उजागर कर दिया था। चंद रोज पहले कोर एरिया भैरव टेक घाटी जंगल में लगी आग को पार्क के अफसरों ने समय रहते गंभीरता से नहीं लिया। अफसरों की हद दर्जे की लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि प्रचण्ड गर्मीं में हवा के साथ तेजी से फैली आग ने जंगल के बड़े इलाके को जलाकर ख़ाक कर दिया। आग लगने की घटना से प्रत्यक्ष-परोक्ष तौर पर बेजुबान वन्यजीव भी प्रभावित हुए।
हद तो तब हो गई जब कुछ दिन पूर्व पार्क के पर्यटक जोन में स्वछंद विचरण कर रहे आवारा कुत्ते का वीडियो वायरल हुआ। पालतू और आवारा कुत्ते-बिल्ली पन्ना पार्क में रहने वाले वन्यजीवों के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। क्योंकि इनके सम्पर्क में आने पर टाइगर फैमिली समेत दूसरे वन्य प्राणियों में घातक बीमारी रैबीज, कैनाइन डिस्टेंपर, अन्य संक्रामक और गंभीर बीमारियां के फैलने जोखिम बढ़ जाता है। पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन इसकी रोकथाम के लिए पार्क की सीमा से सटे ग्रामों के कुत्ते-बिल्लियों एवं पालतू मवेशियों के टीकाकरण (Vaccination) पर प्रतिवर्ष लाखों रूपए खर्च करता है। लेकिन विडंबना यह है कि वर्तमान में पन्ना पार्क क्षेत्र में वन और वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर जिस तरह घोर लापरवाही बरतने की घटनाएं लगातार सामने आ रही उसे देखते हुए यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण न होगा अगर यही हाल रहा तो पन्ना टाइगर रिजर्व पुनः बाघ विहीन हो सकता है।