
* पन्ना जिले के रैपुरा क़स्बा में अल्प प्रवास पर पहुंचे वन मंत्री विजय शाह
* वनों की निगरानी में ड्रोन की मदद लेने की दी गई जानकारी
* विभागीय अमले से मंत्री बोले- शस्त्र के लिए आवेदन करो मिलेगा आसान लोन
शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश में वनों और वन्यजीवों के संरक्षण के लिए निगरानी की व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य चल रहा है। जल्द ही अत्याधुनिक ड्रोन कैमरा तकनीक की मदद से जंगलों की सघन निगरानी की जाएगी। ड्रोन कैमरों की मदद से आसमान से जंगल के चप्पे-चप्पे की निगरानी करते हुए हर हलचल पर पैनी नजर रखी जाएगी। जिससे वन अपराधों की प्रभावी रोकथाम संभव हो सकेगी। यह बात प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह ने पन्ना में कही। शनिवार को कटनी से चलकर दमोह जाते समय वन मंत्री विजय शाह अचानक रास्ते में कुछ समय के लिए पन्ना जिले के दूरस्थ क़स्बा रैपुरा में रुके। यहाँ वन विभाग के विश्राम गृह में मंत्री श्री शाह विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों से सीधे रूबरू हुए। आपने विभागीय अमले की हौसला अफजाई करते हुए निष्ठा और समर्पण के साथ कर्तव्य का निर्वहन के लिए प्रेरित किया।
जंगल की बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में जोखिम उठाकर सेवाएं देने वाले मैदानी अमले की व्यक्तिगत सुरक्षा चिंताओं के मद्देनजर वन मंत्री विजय शाह ने वनकर्मियों से शस्त्र के लिए डीएफओ के माध्यम कलेक्टर को आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के लिए कहा। उन्होंने बताया कि शस्त्र लाइसेंस स्वीकृत होने पर राइफल अथवा पिस्टल क्रय करने के लिए संबंधित कर्मचारी को आसान लोन दिया जाएगा। इसके पूर्व वन मंत्री विजय शाह के पन्ना जिले की सीमा में प्रवेश करने पर सर्वप्रथम दक्षिण वन मण्डल पन्ना की डीएफओ मीना कुमारी मिश्रा एवं उत्तर वन मण्डल पन्ना के डीएफओ गौरव शर्मा ने उनका स्वागत किया। रैपुरा के विश्राम गृह पहुँचने पर स्थानीय वन परिक्षेत्राधिकारी अजय कुमार मिश्रा एवं परिक्षेत्र के वन कर्मचारियों के द्वारा फूल मालाओं से वन मंत्री का स्वागत किया गया। इस अवसर आईएफएस अधिकारी आर. सी. विश्वकर्मा उपस्थित रहे।
बाघों की मौत का संज्ञान लेंगे क्या वन मंत्री

उल्लेखनीय है कि पन्ना जिले के रैपुरा क़स्बा में प्रदेश के वन मंत्री विजय शाह का आगमन ऐसे समय पर हुआ है, जबकि पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों की संदेहास्पद मौतों का मामला सुर्ख़ियों में बना है। पार्क की सुरक्षा और निगरानी व्यवस्था अत्यंत ही लचर स्थिति में होने से यहां बाघों की मौत की घटनाएं चिंताजनक तेजी से बढ़ीं हैं। बाघों की मौत की हैरान करने वाली घटनाओं पर मीडियाकर्मी, वन्यप्राणी विशेषज्ञ और जनप्रतिनिधि कई गंभीर सवाल उठा रहे हैं। दरअसल, पन्ना टाइगर रिजर्व में पिछले कुछ समय से यह देखा जा रहा है कि बाघों की मौत होने के कई दिनों बाद प्रबंधन को इसका पता चलता है, इस कारण बाघ का शव कंकाल की हालत में मिलने से उसकी मृत्यु के वास्तविक कारणों का पता नहीं लग पा रहा है।
