अव्यवस्था : गेहूँ उपार्जन की भण्डारण व्यवस्था स्थान के आभाव में बुरी तरह चरमराई, ख़रीदी केन्द्रों में खुले आसमान के नीचे असुरक्षित पड़ा 2.5 लाख़ क्विंटल गेहूँ

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पन्ना जिले के खरीदी केन्द्रों पूरे समय गेहूँ की बोरियां इसी तरह पूरे परिसर फैली हुई रखीं रहीं कहीं भी स्टेक नजर नहीं आए।

* पन्ना का गेहूँ पड़ोसी जिला कटनी में करना पड़ रहा है भण्डारित

* ओपन कैप निर्माण कार्य समय पर पूर्ण न होने से उत्पन्न हुई समस्या

* जिले में उपार्जन कार्य शुरू होने के पूर्व की तैयारियों पर की खुली पोल

शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में समर्थन मूल्य पर किसानों से जारी गेहूँ खरीदी की भण्डारण व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। खरीदे गए अनाज के सुरक्षित भण्डारण के लिए जिले में उपयुक्त स्थान का आभाव होने से 71 खरीदी केन्द्रों पर आज की स्थिति में 2 लाख 43 हजार क्विंटल से अधिक गेहूँ खुले आसमान के नीचे पूर्णतः असुरक्षित पड़ा बिन मौसम बारिश की मार झेल रहा है। इसका मूल्य करीब 45 करोड़ रुपये है। गेहूँ भण्डारण की समस्या कितनी अधिक जटिल और विकराल रूप ले चुकी इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, पन्ना जिले के गेंहू को पड़ोसी जिला कटनी के रीठी स्थित ओपन कैप में भण्डारित करना पड़ रहा है। गेहूँ उपार्जन एजेन्सी मध्य प्रदेश नागरिक आपूर्ति निगम पर इससे गेहूँ के परिवहन का लाखों रुपये का अतिरिक्त भार पड़ना तय है।
यह अराजकतापूर्ण स्थिति पन्ना जिले में ओपन कैप का समय पर निर्माण कार्य पूर्ण न होने के कारण निर्मित हुई है। “प्यास लगने पर कुँआ खोदने” वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए जिले में तीन स्थानों पर ओपन कैप निर्माण कार्य वर्तमान में जारी है। फिलहाल खरीदे गए अनाज के भण्डारण संकट ने गेहूँ उपार्जन के पूर्व की जाने वाली आवश्यक तैयारियों एवं समस्त व्यवस्थाएं समय रहते पूर्ण करने को लेकर जिले की गई घोर लापरवाही को उजागर कर दिया है। इसके लिए कौन दोषी है, कहाँ चूक हुई और किसने शिथिलता बरती इसकी उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कर सम्बंधितों की जबाबदेही तय करते हुए उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेने की जरुरत ताकि शासन की प्राथमिकता वाले इतने वृहद और महत्पूर्ण कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में इस तरह की अराजक स्थिति की पुनरावृत्ति न हो।

खरीदी केन्द्रों में नहीं बची जगह

सुंगरहा केन्द्र पर गेहूँ की बोरिया का फैलाव निर्माणाधीन कॉलिज भवन परिसर तक हो चूका है, कमोबेश अन्य केन्द्रों की भी है यही स्थिति।
पन्ना जिले में दिनाँक 16 मई 2020 तक की स्थिति में कुल 24,002 किसानों से 10 लाख 16 हजार क्विंटल से अधिक गेहूँ समर्थन पर खरीदा गया। अभी दस दिन तक और अर्थात 26 मई तक गेहूँ उपार्जन कार्य जारी रहना है। जाहिर है आने वाले दिनों में आंकड़ों में वृद्धि होगी। इस सीजन में प्रतिदिन की औसत गेहूं खरीदी करीब 60 हजार क्विंटल है। इस तरह अंतिम तिथि 26 मई तक जिले में लगभग 16 लाख क्विंटल अनाज खरीदी की संभावना जताई जा रही है।
वर्तमान में स्थित भण्डारण केन्द्रों (वेयर हाउस) में सिर्फ पाठक वेयर हाउस सिली गुनौर में कुल उपलब्ध भण्डारण क्षमता 1500 मैट्रिक टन शेष है। उधर शाहनगर, लक्ष्मीपुर, अजयगढ़ में अब तक ओपन कैपों (विशाल खुले चबूतरों) का निर्माण कार्य अब तक पूर्ण नहीं हो पाया है। इस कारण जिले के सभी 71 खरीदी केन्द्र परिसर गेहूँ के बारदानों (बोरियों) से पटे पड़े हैं। खरीदी केन्द्रों में जहाँ भी नजर दौड़ाओ वहां हर तरफ भरे हुए बारदाने ही बारदाने नजर आ रहे हैं। जिले में फिलहाल उपार्जित गेहूँ के भण्डारण के लिए पर्याप्त स्थान का आभाव होने से अधिकाँश केन्द्रों पर हजारों क्विंटल गेहूँ परिवहन के इन्तजार में खुले आसमान के नीचे पड़ा मौसम की मार झेल रहा है।
मालूम हो कि मई माह में अब तक पन्ना जिले में तीन बार तेज बारिश हो चुकी है। केन्द्रों पर अव्यवस्थित तरीके से गेहूँ से भरे बारदानों का फैलाव होने तथा बारिश से बचाव के इंतजाम नाकाफी होने की वजह से बड़ी मात्रा में उपार्जित गेहूँ बारिश के पानी में तरबतर हुआ है। अधिकांश उपार्जन केन्द्रों के हालत इतने बदतर हैं कि उनमें अब और गेहूँ रखने के लिए स्थान ही शेष नहीं बचा है। जबकि किसान प्रतिदिन अपनी उपज लेकर बिक्री हेतु पहुँच रहे हैं। केन्द्रों पर रखे गेहूँ का प्रतिदिन पर्याप्त मात्रा में सुरक्षित भण्डारण हेतु परिवहन (उठाव) न होने की वजह से अव्यवस्था फ़ैल रही है और नई खरीदी भी प्रभावित हो रही है। केन्द्रों पर पहुँचने के बाद किसान परेशान हो रहे है, उन्हें अपनी उपज की बिक्री के लिए लम्बा इंतजार करना पड़ रहा है।

बम्फर उत्पादन होने से बढ़ी बिक्री

पन्ना जिले में गेहूँ खरीदी की भण्डारण व्यवस्था चरमराने की बड़ी वजह ओपन कैपों (विशाल आकर के खुले चबूतरों) का समय पर निर्माण कार्य पूर्ण न होने के अलावा इस बार गेहूँ की रिकार्ड बिक्री भी है। पिछले वर्ष 2019 में जहाँ करीब 17 हजार किसानों ने ही समर्थन मूल्य पर अपना गेहूँ बेंचा था वहीं इस साल अब तक 24 किसान गेहूँ की बिक्री कर चुके हैं। जबकि अभी उपार्जन कार्य 26 मई तक चलना है। गेहूँ की बिक्री का ग्राफ बढ़ने की असल वजह इस साल जिले में गेहूं का बम्फर उत्पादन होना है। संयोग से इस साल रबी सीजन में मौसम किसानों पर मेहरबान रहा, गेहूँ की फसल को जब-जब सिंचाई की जरुरत थी तब-तब नियमित अंतराल में आवश्यकतानुसार अच्छी बारिश हुई है। जिसका सीधा लाभ से उत्पादन में वृद्धि के तौर नजर आ रहा है। उम्मीद से अधिक गेहूँ होने से जिले के किसान समर्थन मूल्य पर ज्यादा से ज्यादा गेहूँ बिक्री कर रहे हैं।

ओपन कैपों की क्या है स्थिति

भण्डारण हेतु फिलहाल स्थान का आभाव होने से खरीदी केन्द्रों से पर्याप्त मात्रा में गेहूँ का परिवहन न हो पाने से लाखों क्विंटल गेहूँ पड़ा है असुरक्षित।
जिले में इस साल गेहूँ उपार्जन कार्य शुरू होने के पूर्व से ही वेयर हाउसों में भण्डारण क्षमता कम मात्रा में उपलब्ध रही है। जिसे दृष्टिगत रखते हुए 5 स्थानों- शाहनगर, सिमरिया, रैपुरा, लक्ष्मीपुर, अजयगढ़ में ओपन कैप निर्माण कार्य प्रस्तावित किये गए थे। इनके निर्माण हेतु रेत का प्रबंध करने से लेकर कार्य शुरू होने में काफी विलंब हुआ। जिसका दुष्परिणाम यह है कि पन्ना जिले में उपार्जित गेहूं को फिलहाल पड़ोसी जिला कटनी के रीठी में भण्डारित करना पड़ रहा है। वहीं खरीदी केन्द्रों 2 लाख 40 हजार क्विंटल से अधिक गेहूँ भण्डारण के इंतज़ार में खुले आसमान के नीचे असुरक्षित पड़ा है। अब तक हुई कुल गेहूँ खरीदी में भण्डारण केन्द्रों के लिए परिवहन की गई मात्रा के आंकड़ों पर गौर करें तो महज 76% गेहूँ का ही परिवहन भण्डारण केन्द्रों के लिए हो पाया है। जबकि खरीदे गए अनाज की मात्रा का 90 प्रतिशत से अधिक भण्डारण होने को संतोषजनक स्थिति माना जाता है।
ओपन कैपों की बात करें तो सिमरिया और रैपुरा का निर्माण कार्य निरस्त कर दिया गया है। वर्तमान में सिर्फ तीन स्थानों पर कैपों का कार्य चल रहा है, जिनमें- लक्ष्मीपुर 15,000 मैट्रिक टन, शाहनगर 20 हजार मैट्रिक टन एवं अजयगढ़ में 10 हजार मैट्रिक टन भण्डारण क्षमता वाले ओपन कैप निर्माणाधीन हैं। शाहनगर कैप के कुछ हिस्से में भण्डारण भी हो चुका जबकि अजयगढ़ कैप का कार्य अभी शुरू ही हुआ है। मजेदार बात तो यह है कि कटनी जिले के रीठी क़स्बा स्थित ओपन कैप में पन्ना जिले को 22 हजार मैट्रिक टन अनाज भण्डारण हेतु स्थान आवंटित किया गया है जबकि अभी वहाँ सिर्फ 3-4 हजार मैट्रिक टन अनाज भण्डारण हेतु स्थान बमुश्किल उपलब्ध है। रीठी कैप का भी निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। जिससे उपार्जित गेहूँ के भण्डारण को लेकर पन्ना जिले की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है। उल्लेखनीय है कि इस सम्बंध में जब पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा से सम्पर्क किया गया तो बैठक में व्यस्त होने के कारण उनसे बात नहीं हो सकी।

गेहूँ उपार्जन-परिवहन 16 मई तक की स्थिति एक नजर में-

जिले में कुल गेहूँ खरीदी केन्द्र 
71 
गेहूँ बिक्री करने वाले किसानों की संख्या
24,002
समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी की कुल मात्रा
10,16,174.10
उपार्जन केन्द्रों से भण्डारण केन्द्रों के लिए परिवहन की मात्रा
7,73, 796.42
परिवहन हेतु शेष अनाज की मात्रा
2,43, 013. 77
परिवहन किये गए अनाज की मात्रा का प्रतिशत
76.09%
जिले में निर्माणाधीन ओपन कैपों की संख्या
03

इनका कहना है –

“जिले में गेहूँ के भण्डारण हेतु एकमात्र पाठक वेयर हाउस सिली में 1500 मैट्रिक टन के लिए स्थान उपलब्ध है, शेष सभी वेयर हाउस पैक हो चुके हैं। शाहनगर, रैपुरा, अजयगढ़ में तीन स्थानों पर ओपन कैपों का निर्माण कार्य जारी है। इसके अलावा कटनी जिले के रीठी क़स्बा के ओपन कैप में 22 हजार मैट्रिक टन अनाज भण्डारण हेतु स्थान आरक्षित किया गया है लेकिन अभी वहां उपलब्ध क्षमता महज 3-4 हजार मैट्रिक टन ही है। वर्तमान में जिले के उपार्जन केन्द्रों से रीठी और कुछ हद तक शाहनगर कैप के लिए गेहूँ परिवहन किया जा रहा है। स्थान की उपलब्धता के अभाव गेहूँ भण्डारण की व्यवस्था प्रभावित हुई है लेकिन इसमें शीघ्र ही सुधार होने की उम्मीद है।”

– शिव प्रकाश गुप्ता, जिला प्रबंधक, म. प्र. नागरिक आपूर्ति निगम, पन्ना।

“जिले में उपार्जित गेहूँ के भण्डारण की व्यवस्था स्थान की उपलब्धता के आभाव में बहुत ही पुअर स्थिति में है, इसमें कोई दो राय नहीं है। कलेक्टर साहब के विशेष प्रयासों से तीन ओपन कैपों का निर्माण कार्य प्रगति पर है। कार्य शुरू होने में थोड़ा विलंब तो हुआ है, जिससे भण्डारण व्यवस्था प्रभावित हुई है। खरीदी केन्द्रों में अभी भी बड़ी मात्रा में अनाज भण्डारण हेतु परिवहन के लिए रखा है, यह बात सही है। गेहूँ परिवहन की कमजोर व्यस्था भी इसके लिए कुछ हद तक जिम्मेदार है। 30 मई तक हमें 75 हजार मैट्रिक टन अनाज भण्डारण क्षमता उपलब्ध होने की उम्मीद है। उपार्जन केन्द्रों में रखे गेहूँ को बारिश से बचाने के लिए केन्द्र प्रभारियों को उचित प्रबंध करने हेतु निर्देशित किया गया है। कई केन्द्रों में गेहूँ इतने फैलाव में रखा है कि व्यवस्था बनाने में व्यावहारिक कठिनाई आ रही है। फिर भी व्यवस्था में सुधार के लिए हम सब मिलकर निरंतर प्रयास कर रहे हैं।”

– आर. के. श्रीवास्तव, जिला आपूर्ति अधिकारी, पन्ना।