नवरात्रि पर चैतन्य देवियों के दर्शन कर आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर रहे श्रद्धालु

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पन्ना जिले के देवेंद्रनगर क़स्बा में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के द्वारा चैतन्य देवियों की आकर्षक झांकी सजाई गई।

*    पन्ना जिले के देवेन्द्रनगर में ब्रह्माकुमारी संस्था ने सजाई चैतन्य देवियों की भव्य झांकी

*    अपने अंदर के विकार रूपी राक्षसों का संहार करें : सीता बहनजी

पन्ना। (www.radarnews.in) देवी शक्ति की उपासना के पर्व नवरात्रि के पावन उपलक्ष्य पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के राजयोग प्रशिक्षण केंद्र पन्ना के द्वारा देवेंद्रनगर क़स्बा में चैतन्य देवियों की भव्य झांकी सजाई गई है। विशेष आकर्षण का केंद्र बनी इस झांकी में पहुँचने वाले श्रद्धालुओं को नवरात्रि पर्व का आध्यात्मिक रहस्य सरल-सहज तरीके से समझाते हुए उन्हें अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत कर नर से नारायण बनने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। देवेंद्रनगर नगर सहित आसपास के ग्रामीण अंचल के भाई-बहनें यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में चैतन्य देवियों के दर्शन करने और ब्रह्माकुमारी सीता बहनजी से वास्तविक आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए पहुँच रहे हैं।

संसाररुपी कीचड़ में कमल की तरह खिलें

इस अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्था पन्ना की प्रमुख बीके सीता बहनजी ने, उपस्थित जनसमुदाय को देवियों के आध्यात्मिक रहस्य से अवगत कराते हुए बताया कि मां दुर्गा से तात्पर्य दुर्गुणों को दूर करने वाली शक्ति से है। देवियों के व्रत के साथ हमें मन से दुर्गुणों को त्यागने का संकल्प लेना चाहिए। मां लक्ष्मी वह हैं, जिसमें महान लक्ष्य होते हैं, इसलिए यह कहा जाता है कि “नर ऐसी करनी करे जो नारायण बन जाए, और नारी ऐसी करनी करे जो लक्ष्मी के समान पूजी जाए।” हमें अपने जीवन में यह लक्ष्य रखना चाहिए कि संसार रूपी कीचड़ में रहते हुए भी कमल की तरह बुराइयों और गलत संस्कारों से मुक्त रहें। बहनजी ने बताया कि, मां सरस्वती को हंस पर विराजमान, हाथ में वीणा लिए और धवल वस्त्रों में दिखाया गया है। इसका आध्यात्मिक अर्थ यह है कि कलियुग के अंत में जो आत्मा सादगी और पवित्रता का धवल वस्त्र धारण करती है और जिसके मन एवं मुख से सदा ज्ञान रूपी वीणा झंकृत होती रहती है, वही हंस के समान नीर-क्षीर विवेक कर दुर्गुणों से दूर रह पाती है।

परमात्मा दे रहे आत्मा की शक्तियों को जागृत करने की शिक्षा

ब्रह्माकुमारी सीता बहन जी नवरात्रि का अर्थ समझाते हए कहा की रात्रि अर्थात् अज्ञान, अंधकार, बुराइयों और आसुरीयता का समय। नवरात्रि का उद्देश्य है अपने भीतर घर कर चुकी बुराइयों को नव संकल्पों के साथ दूर कर जीवन में दिव्यता और पवित्रता का आह्वान करना। जागरण का अर्थ है अपनी शक्तियों का जागरण करना। देवियों को आदिशक्ति और शिव शक्ति भी कहा जाता है। कालांतर में इन शक्तियों ने शिव से योग बल द्वारा शक्ति प्राप्त की थी, इसलिए इन्हें शिव शक्ति कहा जाता है। जब संसार में अज्ञानता की रात्रि छा जाती है, तब परमात्मा आत्मा की शक्तियों को जागृत कर अंधकार को समाप्त कर ज्ञान का प्रकाश फैलाते हैं। वर्तमान समय में यही परिवर्तन का काल चल रहा है। परमात्मा धरती पर आकर आत्माओं की शक्तियों को पुनः जागृत करने की शिक्षा दे रहे हैं।

माताओं-बहनों का सम्मान करने पर मिलेगा देवी माँ का आशीर्वाद

चैतन्य देवियों की झांकी के पंडाल में नगर परिषद देवेंद्रनगर की अध्यक्ष शिवांगी गुप्ता को ब्रह्माकुमारी सीता बहन जी ने ईश्वरीय सौगात प्रदान की।
बहनजी ने आगे कहा कि हमारे समाज में नारी को देवी का रूप माना जाता है, लेकिन आज समाज एक ओर नवरात्रि के रूप में देवियों की पूजा करता है और दूसरी ओर देवियों के वास्तविक स्वरूप– नारियों का अपमान करता है। भारत की परंपराओं में नारी का स्थान सर्वोच्च है। नवरात्रि का वास्तविक अर्थ है कि केवल नौ दिनों तक नहीं, बल्कि सदा नारी शक्ति का सम्मान करना चाहिए। हम जितना सम्मान नौ देवियों को देते हैं, उतना ही हमें अपनी माताओं-बहनों का भी सम्मान करना चाहिए। तभी देवी मां प्रसन्न होकर हमें अपने आशीर्वाद से मालामाल करेंगी। आध्यात्मिक प्रवचन के इस कार्यक्रम में नगर पंचायत अध्यक्ष देवेंद्रनगर शिवांगी गुप्ता सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे। अंत में सभी ने मुक्त कंठ से कार्यक्रम की सराहना की।