फैसला | नाबालिग से बलात्कार के मामले में पुलिस ने लगाया खात्मा, न्यायालय ने किया अस्वीकार, अभियुक्त को सुनाई आजीवन कारावास की सजा और 2 लाख का अर्थदण्ड भी ठोंका
* गर्भवती हुई नाबालिग के अर्धविकसित शिशु की जन्म के तुरंत बाद हो गई थी मौत
* आरोपी ने बदलवा दिया था ब्लड सैंपल इसलिए निगेटिव आई थी डीएनए रिपोर्ट
* पुलिस ने रिपोर्ट के आधार पर न्यालय में प्रस्तुत किया था केस का खात्मा प्रतिवेदन
* पीड़िता ने अपने बयान में किया था साक्ष्यों से छेड़छाड़ होने के षड्यंत्र का खुलासा
* न्यालय ने परिस्थितियों पर विचार कर खत्मा अस्वीकार कर संज्ञान में लिया था प्रकरण
पन्ना। रडार न्यूज मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में सलेहा थाना अंतर्गत करीब 4 पूर्व एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ हुए बलात्कार के जिस प्रकरण में पुलिस ने डीएनए रिपोर्ट के आधार खत्मा लगाने (प्रकरण को समाप्त करने) की मांग की थी, उस रिपोर्ट को पीड़िता के बयानों और समग्र परिस्थितियों के आधार पर न्यालय ने संदिग्ध मानकर पुलिस की मांग को अस्वीकार करते हुए प्रकरण को न सिर्फ संज्ञान लिया, बल्कि आज इस बहुचर्चित मामले में अभियुक्त भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्डेय को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा उसे 2 लाख 2 हजार रुपए के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया गया है। विशेष न्यायाधीश पन्ना अमिताभ मिश्रा द्वारा सुनाये गए इस महत्पूर्ण फैसले की आज पन्ना में काफी चर्चा रही। उधर पीड़िता और उसके परिजन न्यालय के इस फैसले से पूरी तरह संतुष्ट हैं। विशेष न्यायधीश ने अपने इस फैसले में कई उल्लेखनीय टिप्पणी की है। प्रदेश में संभवत: इस तरह का यह पहला मामला है, जिसमें डीएनए रिपोर्ट निगेटिव होने पर पुलिस द्वारा खात्मा प्रस्तुत किया गया था लेकिन न्यायालय के द्वारा पुलिस का खात्मा प्रतिवेदन अस्वीकार कर प्रकरण को संज्ञान लिया गया।
गर्भपात होने पर दरिंदगी का चला पता
जिला लोक अभियोजन अधिकारी पन्ना आशुतोष कुमार द्विवेदी ने विशेष न्यालय द्वारा पारित निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि घटना दिनांक 7 दिसम्बर 2015 को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र देवेन्द्रनगर की स्टॉफ नर्स ने स्थानीय पुलिस थाना को इस आशय का पत्र भेजा कि एक 15 वर्षीय नाबालिग ने लगभग 5-6 महीने के अर्धविकसित शिशु को जन्म दिया था जिसकी तुरंत मृत्यु हो गई। गर्भपात के कारण प्रसूता की हालत गंभीर होने पर उसे जिला चिकित्सालय पन्ना भेजा जा रहा है। देवेन्द्रनगर थाना के द्वारा इस घटना पर मर्ग कायम किया गया। पीड़िता से पूछतांछ करने पर उसने बताया कि, आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्डेय पिता कृष्ण मोहन पाण्डेय, निवासी ग्राम कठवरिया थाना सलेहा जिला पन्ना के द्वारा उससे जबरन बलात्कार किया गया था। आरोपी द्वारा इस संबंध में किसी से बताने पर उसे व उसके परिवारवालों को जान से मारने की धमकी दी गई थी। नाबालिग अपने साथ हुई दरिंदगी के बाद गर्भवती हो गई थी, पेट दर्द होने पर माँ के द्वारा उसे इलाज हेतु देवेन्द्रनगर लाया गया था, जहॉं 5-6 माह के शिशु का गर्भपात हुआ। नवजात शिशु का शव परीक्षण और पीड़िता के मेडीकल परीक्षण उपरांत, थाना-देवेन्द्रनगर में आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्डेय के विरूद्ध बलात्कार का अपराध पंजीबद्ध किया गया तथा घटनास्थल थाना-सलेहा क्षेत्र के अन्तर्गत होने के कारण केस- डायरी संबंधित थाना को भेजी गयी।
इस कारण ख़ारिज कर दिया था खात्मा
सलेहा पुलिस ने अग्रिम विवेचना प्रारंभ करते आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्डेय, पीड़िता तथा भ्रूण के फीमर बोन का सागर की डीएनए फिंगर प्रिटिंग यूनिट से जाँच कराई गई। जाँच रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया कि पीड़िता नवजात शिशु की जैविक माता है लेकिन आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्डेय नवजात शिशु का जैविक पिता नहीं है। इसी आधार पर थाना सलेहा के द्वारा बलात्कार के प्रकरण में खात्मा लगाने हेतु प्रतिवेदन न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जिस पर विचार करने के पूर्व न्यालय ने पीड़िता व गवाहों के कथन और मेडीकल रिपोर्ट का अवलोकन किया। न्यायालय के समक्ष बयान देते समय पीड़िता ने यह बताया था कि, आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्डेय ने उससे कहा था कि, उसने ब्लड सैंपल बदलवा दिया है। जब मैं न्यायालय में कथन देने आ रही थी, तब आरोपी रास्ते में मिला और उसने धमकी दी कि, पन्ना बयान देने मत जाओ, नहीं तो ट्रेक्टर चढ़वाकर तुम लोगों को खत्म कर दूँगा। पीड़िता ने कहा था कि वह चाहती है कि, ब्लड सैंपल की दोबारा जॉंच की जाये। विद्वान न्यायधीश द्वारा इन समस्त परिस्थितियों पर विचार करते हुये बलात्कार के प्रकरण में प्रस्तुत खात्मा प्रतिवेदन को अस्वीकार करते हुये इस अपराध का संज्ञान लिया गया था।
न्यायालय ने अपराध का संज्ञान लेते समय अपने आदेश में यह भी लेख किया है कि, “कोई भी नाबालिग अविवाहित लडकी और उसके माता-पिता, सील को दांव पर लगाकर बलात्कार जैसे गंभीर अपराध में किसी को झूंठा नहीं फंसाना चाहेंगें, पीड़िता ने अपने खात्मा प्रतिवेदन कथनों में अपने साक्ष्य में यह प्रकट किया है, कि आरोपी के द्वारा पैसे तथा प्रभाव का इस्तेमाल करते हुये ब्लड सैंपल को बदलवा दिया गया है। इन परिस्थितियों में डीएनए प्रोफाइल में नकारात्मक रिपोर्ट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।”
आरोपी दया का हक़दार नहीं
न्यालय में इस प्रकरण के विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से जिला लोक अभियोजन अधिकारी पन्ना प्रवीण कुमार सिंह के द्वारा साक्षियों के कथन कराये गए। जिसमें पीड़िता और उसके माता-पिता ने आरोपित भूरी उर्फ कुंज बिहारी पाण्डेय द्वारा बलात्कार किये जाने की बात बताई गई । प्रकरण की सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश, जिला पन्ना अमिताभ मिश्रा ने अपने फैसले में अभियोजन के द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य और न्यायिक-दृष्टांतों के आधार पर आरोपी भूरी उर्फ कुंजबिहारी पाण्डेय को नाबालिग के साथ बलात्कार करने का दोषी पाया है। न्यायालय के द्वारा अभियोजन के तर्कों से सहमत होते हुए अभियुक्त भूरी उर्फ कुंज बिहारी पाण्डेय को धारा 376 भादवि व धारा 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा 2 लाख रूपये के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। धारा 506 भाग 2 में दो वर्ष का कारावास और 2000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया। न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी कहा कि, “आरोपी के द्वारा 15 वर्ष से कम उम्र की बालिका के साथ किये गये चारित्रिक अपराध की गंभीरता को देखते हुये जिसमें आहत के द्वारा एक मृत नवजात भ्रूण को जन्म दिया गया है, आरोपी दया का हकदार नहीं है।”