विशेष न्यायाधीश पन्ना अमिताभ मिश्रा ने दिया महत्वपूर्ण आदेश
डीएनए रिपोर्ट निगेटिव आने पर पुलिस ने पेश किया था खात्मा प्रतिवेदन
पन्ना। रडार न्यूज मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में नाबालिग से बलात्कार के एक प्रकरण में निगेटिव आई डीएनए रिपोर्ट को आधार बनाकर सलेहा थाना पुलिस द्वारा क्लोजर रिपोर्ट पेश करते हुए मामले में खात्मा लगाने प्रस्तुत किये गए प्रतिवेदन को न्यालय ने अस्वीकार कर दिया है। करीब तीन वर्ष पुराने इस प्रकरण की क्लोजर रिपोर्ट का गहन परीक्षण करने और पीड़िता व उसके माता-पिता के बयानों को दृष्टिगत रखते हुए विशेष न्यायाधीश पन्ना अमिताभ मिश्रा ने पाया कि आरोपी भूरी ऊर्फ कुंजबिहारी पाण्डेय पिता कृष्ण मोहन पाण्डेय के विरुद्ध मामला चलाने के पर्याप्त आधार हैं। फलस्वरूप न्यालय ने पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को ठुकराते हुए इस प्रकरण को संज्ञान लिया है। न्यालय के इस महत्वपूर्ण आदेश से बलात्कार पीड़िता और उसके परिजनों में न्याय मिलने की उम्मीद जागी है। वहीं नाबालिग ने कोर्ट से पुनः डीएनए टेस्ट कराने की मांग की है। सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी आशुतोष कुमार दिवेदी ने जानकारी देते बताया कि जिले के सलेहा थाना क्षेत्र की एक गर्भवती नाबालिग को 7 दिसम्बर 2015 को पेट दर्द के चलते सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र देवेन्दनगर में भर्ती कराया गया था। जहां उसके 5-6 माह के शिशु का गर्भपात हो गया था।
फीमर बोन और डीएनए की कराई थी जांच
स्वास्थ्य केन्द्र से मिली तहरीर के आधार पर पुलिस ने जब उक्त अविवाहित किशोरी से उसके गर्भवती होने के संबंध में पूंछतांछ की तो उसने बताया कि गांव के ही दबंग भूरी ऊर्फ कुंजबिहारी पाण्डेय पिता कृष्ण मोहन पाण्डेय ने उसके साथ बलात्कार किया था। जिसके बाद उसे गर्भ ठहर गया। इस घटना के संबंध में किसी को भी बताने पर आरोपी ने उसे व उसके परिवार वालों को जान से मारने की धमकी दी थी। इस मामले में पीड़िता के मृत शिशु का शव परीक्षण और पीड़िता के मेडीकल परीक्षण उपरांत थाना सलेहा द्वारा आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मामला पंजीबद्ध किया गया। प्रकरण की जांच करते हुए पुलिस द्वारा पीड़िता के माता-पिता और अन्य साक्षियों के बयान दर्ज किये गए। पुलिस ने मृत नवजात शिशु के फीमर बोन और आरोपी भूरी पाण्डेय एवं पीड़िता की एफएसएल सागर से डीएनए फिंगर प्रिटिंग यूनिट से जाँच कराई गई। डीएनए रिपोर्ट में यह बताया गया कि पीड़िता नवजात शिशु की जैविक माता है किन्तु आरोपी भूरी पाण्डेय नवजात शिशु का जैविक पिता नहीं है। इसी आधार पर थाना सलेहा के द्वारा प्रकरण में खात्मा प्रतिवेदन माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। इस मामले को आगे बढ़ाने के लिए आरोपी के विरुद्ध पुलिस को पर्याप्त सबूत न मिलने के कारण प्रकरण में खात्मा लगाने की अपील कोर्ट से की गई।
आरोपी ने बताया था, बदलवा दिया ब्लड सैंपल
पुलिस द्वारा क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के पूर्व इस मामले में पीड़िता व उसके माता-पिता के बयान हुए थे। अभियोजन अधिकारी प्रवीण कुमार सिंह द्वारा कथन करवाये गये थे। जिसमें पीड़िता के द्वारा आरोपी भूरी पाण्डेय के द्वारा बलात्कार किये जाने की बात बताई गयी, उसके माता-पिता के द्वारा भी न्यायालय के समक्ष हुये कथन में आरोपी भूरी पाण्डेय के द्वारा उसकी पुत्री के साथ बलात्कार किये जाने की बात बताई है। नाबालिग ने अपने कथन में यह भी बताया कि आरोपी ने उससे कहा था कि उसने ब्लड सेंपल बदलवा दिया है और जब मैं न्यायालय कथन देने आ रही थी तब आरोपी रास्ते में मिला और धमकी दिया की पन्ना बयान देने मत जाओ। नहीं तो ट्रेक्टर चढवाकर तुम लोगों को खत्म कर दूंगा। पीड़िता ने न्यालय से अनुरोध किया कि ब्लड सैंपल की दोबारा जाँच कराई जाये।
इस आधार पर दिया केस चलाने का आदेश
पुलिस के खात्मा प्रतिवेदन का अवलोकन करने के पश्चात् विशेष न्यायाधीश पन्ना अमिताभ मिश्रा ने अपने आदेश में यह लेख किया है कि- “कोई भी अविवाहित नाबालिग लड़की और उसके माता-पिता सील को दांव पर लगाकर बलात्कार जैसे गंभीर अपराध में किसी को झूंठा नहीं फंसाना चाहेंगें। पीड़िता ने खात्मा प्रतिवेदन पर अपने साक्ष्य में यह प्रकट किया है कि आरोपी के द्वारा पैसे तथा प्रभाव का इस्तेमाल करते हुये ब्लड सैंपल को बदलवा दिया गया है। इन परिस्थितियों में डीएनए प्रोफाइल में नकारात्मक रिपोर्ट की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।“ न्यायालय ने थाना सलेहा के खात्मा प्रतिवेदन को अस्वीकार करते हुये केस डायरी में संलग्न दस्तावेजी साक्ष्य, पीड़िता व उसके माता-पिता के कथनों के आधार पर आरोपी भूरी ऊर्फ कुंज बिहारी पाण्डेय के विरूद्ध धारा 376,506 भादवि एवं 5/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के अर्न्तगत अपराध का संज्ञान लिया गया है।