* प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के प्रथम बलिदानी राजा हैं शंकर शाह व रघुनाथ शाह : बुंदेला
* अपने हक़-अधिकार को लेकर सजग हुआ आदिवासी-वनवासी समाज : शिवजीत
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) सन 1857 की क्रांति के समय अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला देने वाले क्रांतिवीर महाराजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर रविवार 18 सितंबर को जिले के आदिवासी अंचल कल्दा-श्यामगिरी के पौंड़ीकला और झिन्ना ग्राम में आयोजित कार्यक्रम सर्व समाज द्वारा महान बलिदानियों का पुण्य स्मरण कर उन्हें श्रद्धांजली अर्पित की गई। इन कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोगों की उपस्थिति रही। जिले की पवई विधानसभा अंतर्गत आने वाले ग्राम पौंड़ीकला में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि फूल सिंह टेकाम रिटायर्ड डीएसपी, उधम सिंह मरकाम, कोमल सिंह मरकाम, महिपाल सिंह, धीरज सिंह, श्याम सुंदर यादव आदि ने वर्तमान समय में आदिवासी-वनवासी समाज की एकजुटता पर विशेष जोर दिया।
कविताओं से भी जगाई थी स्वाधीनता की अलख
आदिवासी वनवासी क्रांति सेना बुंदेलखंड के संयोजक के.पी. सिंह बुंदेला ने अमर शहीद महाराजा शंकर शाह व कुंवर रघुनाथ शाह के अदम्य साहस और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857 की क्रांति) में उनके अविस्मरणीय योगदान पर प्रकाश डाला। श्री बुंदेला ने बताया, गोंडवाना साम्राज्य के महाराजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में भारत के प्रथम बलिदानी है। संपूर्ण भारत में किसी भी रजवाड़े परिवार की ओर से प्रथम बलिदान इन्हीं पिता-पुत्र ने दिया था। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में राजा शंकर शाह और कुँवर रघुनाथ शाह ने अपने साहस से जन-जन में स्वाधीनता की अलख जगाने का काम किया था। इसके लिए अंग्रेजी हुकूमत ने दोनों पिता-पुत्र को तोपों से बाँधकर उनकी निर्ममता पूर्वक हत्या कर दी थी। ये दोनों पिता-पुत्र अच्छे कवि भी थे जो अपनी कविताओं के माध्यम से आमजन में देश भक्ति का जज्बा और क्रांति की अलख जगाते थे। इसके पूर्व सभी मंचासीन अतिथियों द्वारा महाराजा शंकर शाह एवं कुंवर रघुनाथ शाह के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनकी शहादत को नमन किया गया। तत्पश्चात महाराजा के बलिदान पर केन्द्रित एवं समाज को जागृत करने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए।