गाजर घास भीषण समस्या | फसलों के साथ इंसान और पशुओं के लिए भी हानिकारक

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गाजर घास उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत कृषि महाविद्यालय पन्ना के परिसर को गाजर घास से को जड़ से उखाड़कर नष्ट करते छात्र-छात्राएं।

*      एग्जिमा, एलर्जी, बुखार, दमा जैसी बीमारियां होने का रहता है खतरा

*      कृषि महाविद्यालय में गाजरघास जागरूकता अभियान चलाया गया

पन्ना। (www.radarnews.in) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निर्देशानुसार कृषि महाविद्यालय पन्ना, मध्यप्रदेश में 18वां राष्ट्रीय गाजरघास जागरूकता सप्ताह का शुभारंभ विगत 16 अगस्त को किया गया। गाजर घास उन्मूलन कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त अधिकारी-कर्मचारियों और विद्यार्थियों द्वारा महाविद्यालय परिसर में लगी गाजर घास को जड़ सहित उखाड़कर नष्ट किया गया। समस्त विद्यार्थियों द्वारा महाविद्यालय परिसर को गाजर घास से मुक्ति दिलाने के लिए शपथ भी ली गई।

गाजर घास उन्मूलन के लिए जनभागीदारी जरुरी

गाजर घास उन्मूलन कार्यक्रम सप्ताह के द्वितीय दिवस डॉ. विजय यादव, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय द्वारा गाजर घास (खरपतवार) के नियंत्रण के लिए जैवकीय नियत्रंण सहित अन्य विधियों का प्रयोग के विषय में छात्र-छात्राओं को अवगत कराया गया। उन्होंने कहा कि इस भीषण समस्या से मुक्ति पाने के लिए समाज के हर वर्ग की भागीदारी जरूरी है। गाजर घास के नियंत्रण के लिए सभी विधियों का आवश्यतानुसार उपयोग कर इस भीषण समस्या से छुटकारा मिल सकता है। गाजरघास की भयावहता को ध्यान में रखकर जनभागीदारी से इसके प्रबंधन के प्रयास करने की आवश्यकता है।

खाली स्थानों पर फलता-फूलता है साल भर

फाइल फोटो।
अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय पन्ना श्री यादव ने यह भी कहा कि गाजर घास न केवल फसलों, बल्कि मनुष्यों और पशुओं के लिए भी एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। गाजर घास पूरे वर्ष भर हर मौसम में उगता एवं फलता-फूलता रहता है। गाजर घास बहुतायत रूप से खाली स्थानों, अनुपयोगी भूमियों, औद्योगिक क्षेत्रों, सड़क के किनारों, रेलवे लाइनों, शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों आदि पर पाए जाते हैं, परन्तु अब इसका दुष्प्रभाव विभिन्न खाद्यान्न फसलों, सब्जियों एवं उद्यानिकी में भी बढ़ रहा है। गाजर घास के तेजी से फैलने के कारण अन्य उपयोगी वनस्पतियों, स्थानीय जैव विविधता एवं पर्यावरण पर गंभीर विपरीत प्रभाव भी पड़ रहा है। गाजर घास उन्मूलन कार्यक्रम सप्ताह के तृतीय दिवस इस खरपतवार के संपर्क में आने से मनुष्यों में एग्जिमा, एलर्जी, बुखार, दमा आदि जैसी बीमारियां होने के बारे में बताया गया। जानकारी दी गई कि पशुओं द्वारा इसको चारे के साथ खा लेने से उनमें विभिन्न प्रकार के रोग पैदा हो जाते हैं एवं दुधारू पशुओं के दूध में कड़वाहट आने लगती है।

खरपतवार उन्मूलन हेतु विभिन्न विधियां बताई

छात्र-छात्राओं को गाजरघास (खरपतवार) उन्मूलन की विभिन्न विधियों यांत्रिक, रासायनिक एवं विशेष रूप से जैविक कीट मैक्सिकन बीटल के द्वारा इसके नियंत्रण के की जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त गाजर घास से होने वाले दुष्प्रभावों और इसके नियंत्रण के उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। गाजरघास को खाने वाले कीट जाइगोग्रामा बाइकोलोराटा के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि इस कीट को भी गाजर घास के नियंत्रण के लिए उपयोग किया जा सकता है।