* नागरिकता संशोधन कानून को पन्ना के छात्रों ने बताया संविधान विरोधी
* इस विवादास्पद क़ानून को वापिस लेने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
* छात्रों को पहले देना था मौन धरना पर धारा 144 लागू होने पर बदला कार्यक्रम
पन्ना।(www.radarnews.in) नागरिकता संसोधन कानून-2019 और प्रस्तावित एनआरसी की आंच में पूरा देश सुलग रहा है। इस काले क़ानून का देश भर में कड़ा विरोध हो रहा है। नए नागरिकता कानून को संविधान विरोधी बताते हुए जगह-जगह छात्र-छात्राएं इसके खिलाफ आंदोलित हो रहे हैं। बीते दिनों राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली एवं अलीगढ़ सहित कुछ स्थानों पर छात्र-छात्राओं के शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन को कथित तौर पर कुचलने के लिए पुलिस के द्वारा उनके साथ बर्बरता की गई। पुलिस ने कैंपस के अंदर घुसकर छात्र-छात्राओं को जिस बेरहमी के साथ पीटा उसे लेकर देश भर के छात्र-छात्राओं में रोष व्याप्त है।
फलस्वरूप, गुरुवार को पन्ना जिला मुख्यालय में भी नागरिकता कानून के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से सांकेतिक प्रदर्शन हुआ। अजाक्स छात्र संघ पन्ना के पूर्व जिलाध्यक्ष संजय अहिरवार के नेतृत्व में छात्रों ने स्थानीय आंबेडकर चौक पर देश व संविधान को बचाने के लिए नागरिकता के काले कानून के खिलाफ सड़क पर उतरकर मुँह में काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। इस दौरान वे अपने हाथों में नारे लिखीं तख्तियां लिए रहे। तत्पश्चात पन्ना कलेक्टर की प्रतिनिधि नायब तहसीलदार ममता शर्मा को राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। जिसके माध्यम से धर्म के आधार भेदभाव करने वाले संविधान विरोधी नागरिकता कानून को वापिस लेने एवं छात्र-छात्राओं के साथ बर्बरता करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की पुरजोर मांग की गई है।
पहले समझाया फिर दी गई धमकी
उल्लेखनीय है कि विवादास्पद नागरिकता संसोधन कानून-2019 के विरोध स्वरूप अजाक्स छात्र संघ को अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष मौन धरना देना था, लेकिन गुरुवार 19 दिसम्बर को दोपहर करीब 12 बजे जब अचानक पन्ना जिले में प्रतिबंधात्मक धारा 144 को लागू किए जाने की खबर सोशाल मीडिया पर आई तो अजाक्स छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष संजय अहिरवार ने तुरंत अपना धरना रद्द कर दिया। मगर कार्यकम पूर्व घोषित होने के चलते छात्रों के द्वारा सिर्फ ज्ञापन सौंपा गया। इस धरना-प्रदर्शन को लेकर पन्ना के आंबेडकर चौक (कोतवाली चौराहा) में आज सुबह से ही पुलिस काफी मुस्तैदी से तैनात रही।
उधर, कथित तौर पर प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों ने धरना-प्रदर्शन को रद्द कराने के लिए छात्र नेता संजय अहिरवार से मोबाइल फोन पर संपर्क कर काफी समझाया गया, पर जब वह इसके लिए राजी नहीं हुआ तो उसके तथा साथियों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई करने की धमकी दी गई। इस गतिरोध के बीच कुछ देर बाद सोशल मीडिया पर जिले में धारा 144 लागू होने की सूचना आई तो छात्रों ने कानून का सम्मान और प्रशासन का सहयोग करते हुए बिना किसी देरी के अपना मौन धरना रद्द करने का ऐलान करते हुए सिर्फ ज्ञापन सौंपने तक कार्यक्रम को सीमित कर दिया। मालूम हो कि छात्र नेता संजय अहिरवार ने पुलिस एवं प्रशासन पर धमकी देने का आरोप पत्रकारों से चर्चा में लगाया है।
संविधान पर हमला है नागरिकता कानून
छात्रों द्वारा राष्ट्रपति के नाम सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि, नागरिकता संशोधन बिल के क़ानून बनने के बाद से देश के कई हिस्सों में धरना-प्रदर्शनों का दौर लगातार जारी है। दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि केन्द्र की सरकार ने बहुमत का दुरूपयोग करके जो नागरिकता संशोधन कानून बनाया है वह संविधान की मूल भावना के विपरीत है। इस कानून में धर्म के आधार पर नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है जोकि असंवैधानिक है। बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने देश का जो संविधान बनाया है वह किसी भी नागरिक के साथ धर्म-जाति-भाषा आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करता है। बाबा साहब आंबेडकर द्वारा बनाये गए धर्मनिरपेक्ष और समानता पर आधारित संविधान पर नागरिकता का काला कानून सीधा हमला करता है। इससे देश की एकता-अखंडता-शांति, सद्भावना और भाईचारा संकट में आ गया है। देश भर में नागरिक इसके खिलाफ सड़कों पर उतरकर आंदोलन कर रहे हैं। यह काला कानून आइडिया ऑफ़ इण्डिया के भी खिलाफ है।
देश को बांटने की घिनौनी साजिश
ज्ञापन सौंपने वाले छात्रों ने बताया कि वह इसका विरोध इसलिए हैं, क्योंकि नागरिकता के इस काले कानून और देश भर में प्रस्तावित एनआरसी को लागू करने के पीछे केन्द्र सरकार की मंशा राजनैतिक लाभ के लिए नागरिकों को बांटकर धुर्वीकरण करना है। इस घिनौने षड़यंत्र के खिलाफ देश भर में छात्र-छात्राएं आंदोलित हो रहे हैं। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सपनों के भारत और संविधान को बचाने के लिए देश के कई विश्विद्यालयों के छात्र-छात्राएं लगातार शांतिपूर्वक विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन इन विरोध-प्रदर्शनों को सरकार के इशारे पर कुचला जा रहा है। दिल्ली के जामिया विश्विद्यालय, अलीगढ़ के एएमयू विश्विद्यालय और असम राज्य सहित कई जगह छात्र-छात्राओं के साथ पुलिस के द्वारा बर्बरता की गई। छात्र-छात्राओं के साथ लाठी-डंडों से मारपीट की गई, कैम्पस में घुसकर पुलिस के द्वारा उन्हें बढ़ी ही निर्दयता के साथ पीटा गया है। छात्र-छात्राओं पर इस तरह अत्याचार करके शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन करने का लोकतान्त्रिक अधिकार उनसे छीना जा रहा है।
देश में चल क्या रहा है, देख रही दुनिया
ज्ञापन में यह उल्लेख किया गया है कि, न्यूज चैनलों और अखबारों के माध्यम से पूरे देश व दुनिया भर के लोगों ने छात्र-छात्राओं पर की गई पुलिस की दमनात्मक कार्यवाही को देखा है। वर्तमान में देश में जो कुछ भी हो रहा है उसमें लोकतंत्र के चारों स्तंभ जिस तरह से अपनी भूमिका निभा रहे है उसे भी लोग गौर से देख रहे हैं। राष्ट्रपति से मांग की गई है कि देश को बांटने वाले संविधान विरोधी नागरिकता संशोधन कानून को देश हित में वापिस लिया जाए एवं कैम्पस में घुसकर छात्र-छात्राओं के साथ हिंसा करने वाले दोषी पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ छात्र हित में वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाए।