तनाव मुक्त जीने की कला : “सोच बदलेगी तो जीवन बदलेगा”- ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन जी

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राजयोग प्रशिक्षण केन्द्र पन्ना में भाई-बहनों को संबोधित करते हुए ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन जी (मध्य में)।

मेडिटेशन के लाभ बताकर नियमित रूप से अभ्यास करने के लिए किया प्रेरित

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in)  स्व चिंतन के बजाय आज हम परचिंतन कर रहे हैं, यह हमारे दुख और तनाव का मूल कारण है। अर्थात कौन क्या कर रहा है, क्यों कर रहा है ? हम इसी में उलझे हुए हैं। हम संकल्प लें कि न किसी की बुराई सुनना है, न देखना और न ही उसका वर्णन करना है। मेडिटेशन अर्थात् ध्यान (राजयोग) के माध्यम से हम परचिंतन को छोड़कर स्वचिंतन/आत्मचिंतन की दिशा में मुड़ सकते हैं। मेडिटेशन से सोच में सकारात्मक बदलाव आता है जिसके स्वभाविक असर से हमारा जीवन हमेशा के लिए बदल जाता है। यह विचार ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन जी ने पन्ना में व्यक्त किए।  ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय ग्वालियर केन्द्र की संचालिका ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन जी का अपनी टीम के साथ पन्ना जिले के राजयोग प्रशिक्षण केन्द्र पर आगमन हुआ। अपने पन्ना प्रवास के दौरान उन्होंने केन्द्र पर नियमित रूप से आने वाले भाई-बहनों को संबोधित करते हुए तनाव मुक्त जीवन जीने की कला सिखाई।
ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन जी ने मौजूदा वातावरण एवं जीवनशैली में स्वयं को शान्त, तनाव मुक्त रखते हुए उन्हें खुशनुमा जीवन जीने के तरीके जैसे अनेक जटिल विषयों को बड़ी ही सरलता-सहजता से समझाते हुए बताया कि, जहां भगवान से कनेक्शन होता है लूज वहां  ही हम हो जाते हैं कन्फ्यूज़। जब नहीं होता है भगवान से कनेक्शन तभी हो जाता है टेंशन। इसलिए, अगर भगवान से कनेक्शन हो टाइट तो हर कार्य होगा राइट। परमात्मा से ठीक होगा कनेक्शन तो लोेगों से भी ठीक होगा रिलेशन।
बीके ज्योति बहन जी ने आगे समझाते हुए कहा कि आज दुख, तनाव का कारण हमारे विचार हैं, मेडिटेशन के जरिए विचारों में बदलाव लाकर हम अपने जीवन को बदल सकते हैं। आपने एक उदाहरण के माध्यम से समझाया कि- एक कुम्हार चिलम बना रहा था। पत्नी के कहने पर वह सुराही बनाने लगा तो मिट्टी ने पूंछा कि क्या हुआ ! तो कुम्हार ने कहा कि विचार बदल गया। मिट्टी ने मुस्कुराते हुए कहा कि आपके विचार बदलने से मेरा तो जीवन ही बदल गया। चिलम बन मैं खुद भी गर्म होती और लोगों को भी गर्म करती अब सुराही बन स्वयं भी शीतल रहूंगी और सभी को भी शीतल करूँगी। अर्थात् हमारे विचार, हमारी सोच बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए विचारों के शुद्धीकरण के लिए हमें प्रतिदिन मेडिटेशन अवश्य करना चाहिए।
इस अवसर पर भाई राजेश गमने जी (देवेन्द्रनगर) ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि, राजयोग (मेडिटेशन) से मानसिक रोग ठीक होने के साथ ही शारीरिक रोग भी ठीक हो जाते हैं, क्योंकि मन स्वस्थ तो तन स्वस्थ। इसके पूर्व पन्ना सेवाकेन्द्र संचालिका बी.के. सीता बहन जी के द्वारा ग्वालियर से पधारीं बीके ज्योति बहन जी एवं उनकी टीम में शामिल बी.के. ममता बहन, बी.के. प्रसाद भाई, बी.के. नन्दू भाई का फूल माला एवं पुष्प गुच्छ से आत्मीय स्वागत किया गया। आध्यात्मिक ज्ञान की इस महत्वपूर्ण चर्चा के अंत में बी.के. सीता बहन जी ने सभी उपस्थित भाई-बहनों को उन्हें बताई गई बातों को पालन करने का संकल्प कराया।