* पूर्व सूचना देने के बाद भी अपने ही कर्मचारियों से ज्ञापन लेने नहीं आए अधिकारी
* नियमितीकरण की मांग को लेकर वर्षों से ठगे जा रहे हाथी महावत और चारा कटर
* पन्ना टाईगर रिज़र्व प्रबंधन की उपेक्षा का शिकार मैदानी अमले में पनप रहा आक्रोश
* कभी लोकायुक्त पुलिस की शरण में जाने तो कभी हंगामा करने को क्यों मजबूर हो रहे कर्मचारी ?
शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्य प्रदेश के पन्ना जिला मुख्यालय में स्थित टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक कार्यालय में कल उस समय हड़कम्प मच गया जब अपनी उपेक्षा से नाराज हाथियों के महावतों ने कार्यालय के मुख्य प्रवेश द्वार पर ताला जड़ दिया। महीने के दिव्तीय शनिवार (सेकेण्ड सैटरडे) का अवकाश होने के बाबजूद पार्क कार्यालय खुला था और अंदर मौजूद कुछ कर्मचारी शासकीय कार्य निपटा रहे थे। कार्यालय के मेन गेट पर महावतों के द्वारा हंगामा करते हुए ताला डालने से अंदर मौजूद कर्मचारी और चौकीदार सकते में आ गए। इस अप्रत्याशित घटनाक्रम की भनक लगने के बाद भी पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक अपने ही कर्मचारियों से मिलने के लिए मौके पर नहीं पहुंचे। नियमितीकरण के झूठे आश्वासन पर कई साल से ठगे जा रहे अल्प वेतनभोगी महावतों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि उनकी जायज़ मांग को अगर शीघ्र पूरा नहीं किया गया तो सभी 22 महावत और चारा कटर काम बंद कर सभी हाथियों को पन्ना लाकर कार्यालय में ही छोड़ देंगे। उधर, बातचीत के जरिए इस गतिरोध को दूर करने के बजाए क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया ने प्रदर्शनकारी महावतों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कराने की बात कही है, जिससे आने वाले दिनों में पार्क प्रबंधन और मैदानी कर्मचारियों के बीच टकराव बढ़ने के आसार हैं।
इसलिए बरपा हंगामा

पन्ना टाईगर रिजर्व के कुप्रबंधन और अदूरदर्शिता के कारण एक और जहां कड़ी सुरक्षा वाले कोर क्षेत्र में बाघों की संदेहास्पद परिस्थितियों में मौत के हैरान करने वाले मामले सामने आए हैं वहीं दूसरी तरफ पार्क क्षेत्र में अवैध कटाई, अतिक्रमण सहित दूसरे वन अपराधों का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। इन समस्याओं के मूल में असल वजह पार्क प्रबंधन और मैदानी अमले के रिश्ते बेहद तल्ख़ होना है। दरअसल, परिवार से दूर जंगल की बेहद कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में 24 घण्टे की ड्यूटी कर पार्क की सुरक्षा में अहम योगदान देने वाले मैदानी कर्मचारी विभाग से जुड़ीं छोटी-छोटी समस्याओं से लम्बे समय से जूझ रहे हैं। पार्क के बड़े साहब यानी क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया के द्वारा जाने-अनजाने इनकी समस्याओं के निराकरण लगातार अनदेखी की जा रही है। इससे मैदानी अमले में व्यापक असंतोष व्याप्त है।

इसकी बानगी शनिवार 13 जून को दोपहर के समय देखने को मिली जब हाथी महावत पंचू केवट, सोन सिंह परते अपनी समस्याओं के निराकरण के सम्बंध में पार्क के अधिकारियों को ज्ञापन सौंपने के लिए हिनौता से पन्ना स्थित क्षेत्र संचालक कार्यालय पहुंचे। इनके द्वारा पूर्व सूचना देने के बाद भी अधिकारी कार्यालय में नहीं मिले। बात करने पर अधिकारियों ने छुट्टी होने का हवाला देकर इन्हें टाल दिया। अपनी उपेक्षा और कथित अपमान से आहत महावतों का कहना है कि, जब छुट्टी है तो कार्यालय क्यों खुला, कर्मचारी काम क्यों कर रहे हैं ? हमारे लिए तो कभी छुट्टी नहीं रहती ? अफसरों के इस असंवेदनशील रवैये से क्षुब्ध दोनों महावतों ने सांकेतिक विरोध-प्रदर्शन करते हुए कार्यालय क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व के एकमात्र प्रवेश और निकास द्वार पर कुछ देर के लिए ताला जड़ दिया। इस दौरान दोनों हाथी महावतों ने मौके पर मौजूद पत्रकारों से बात करते हुए उन्हें अपनी पीड़ा सुनाई।
कोरे आश्वासन तक सीमित नियमितीकरण

उल्लेखनीय है कि पन्ना टाईगर रिजर्व में छोटे-बड़े करीब डेढ़ दर्जन हाथी हैं। इनका उपयोग यहां बाघों की निगरानी, संकटग्रस्त वन्यजीवों के रेस्क्यू ऑपरेशन, नियमित गश्ती, बाघों का रेडियो कॉलर करने और बारिश के मौसम में जंगल के दुर्गम इलाकों की गश्ती आदि में होता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बाघों और दूसरे वन्यजीवों की सुरक्षा एवं निगरानी में हाथियों की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है। इन सब कार्यों को करने के लिए हाथियों करीब 12 से 15 वर्ष तक प्रशिक्षित करने से लेकर उनकी देखभाल और फिर उनसे काम लेने की जिम्मेदारी महावतों व चारा कटर की रहती है।

अस्थाई कर्मचारी के रूप में अल्प मानदेय पर कई सालों से अपनी सेवाएं दे रहे महावत और चारा कटर ने बताया कि पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के. एस. भदौरिया उन्हें नियमित करने का आश्वासन कई माह से देते रहे हैं। लेकिन उनके द्वारा कथित तौर पर इसके लिए जरुरी कार्रवाई आज तक नहीं की गई। अल्प मानदेय के कारण परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ और भविष्य की असुरक्षा से जुड़ीं चिंताओं से जूझ रहे महावत व चारा कटर नियमितीकरण के नाम पर वादाखिलाफ़ी से खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कथित तौर इन कर्मचारियों को नियमितीकरण के सपने दिखाने वाले बड़े साहब अब उनसे बात करने तक को तैयार नहीं है। अहंकार से भरे इस रवैये से उपजी संवादहीनता के कारण समस्या और भी जटिल रूप ले रही है।
मैदानी कर्मचारी हैं असली हीरो

पन्ना टाईगर रिजर्व में बाघों का उजड़े हुए संसार को आबाद हुए करीब 11 साल हो चुके हैं। यहां बाघों का कुनबा लगातार बढ़ने में सबसे अहम योगदान उन सैंकड़ों मैदानी कर्मचारियों का है जो कि अपने खुद के परिवार से दूर बेहद कठिन परिस्थितियों में रहकर वन्यजीवों और जंगल की सुरक्षा तथा निगरानी से जुड़े दायित्व का निर्वहन चौबीसों घण्टे पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ कर रहे हैं। पन्ना और बुंदेलखंड के जंगलों के बाघों से फिर से गुलजार होने की ऐतिहासिक सफलता के रियल हीरो यही मैदानी कर्मचारी हैं।

इनकी कठिन मेहनत और त्याग के फलस्वरूप ही आज पन्ना की अनूठी उपलब्धि पूरी दुनिया के लिए शोध का विषय बनीं है। लेकिन बिडम्बना यह है कि, पन्ना का पार्क जिनकी वजह से महफूज़ है वे कर्मचारी ही आज उपेक्षित हैं। पार्क प्रबंधन इनकी जायज़ समस्याओं के निराकरण को लेकर घोर उदासीनता बरत रहा है। यहां अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच सामंजस्य बिगड़ने से हालात इतने बद्तर हो चुके हैं कि अब मैदानी कर्मचारियों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए कभी लोकायुक्त पुलिस संगठन की मदद लेकर ट्रैप कार्रवाई कराने के लिए तो कभी कार्यालय के गेट पर ताला जड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
इन हालात के लिए कौन है जिम्मेदार

अभी कुछ महीने पहले ही अमानगंज रेन्ज अंतर्गत पदस्थ एक वनकर्मी को अपनी लंबित वेतन-भत्तों के भुगतान के एवज में रिश्वत की मांग से परेशान होकर लोकायुक्त पुलिस की मदद लेनी पड़ी थी। वनकर्मी की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने पन्ना टाईगर रिजर्व कार्यालय में छापामार कार्रवाई करते हुए दो लिपिकों को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति इसलिए निर्मित हुई क्योंकि बड़े साहब को अवगत कराने के बाद भी समस्या का समाधान नहीं हुआ। बहरहाल, बाघों की वंशवृद्धि की एक दशक से जारी गौरव गाथा की आड़ में पन्ना पार्क के अंदर बहुत कुछ अनुचित और आपत्तिजनक चल रहा है। भोपाल में बैठे अधिकारियों के द्वारा इसे नजरअंदाज करने से पन्ना टाइगर रिजर्व की बदनामी होने के साथ-साथ प्रबंधन को लेकर मैदानी अमले में नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है।
फोन रिसीव नहीं किया
