
* सड़कों पर उतरने को मजबूर हो रहे पन्ना जिले के अजयगढ़-धरमपुर क्षेत्र के लोग
* बड़े पैमाने पर रेत का अवैध उत्खनन होने के कारण रेत खदानों का ठेका निरस्त की मांग
* रेत माफिया को संरक्षण देने वाले अधिकारियों की भूमिका की जांच कराने सौंपा ज्ञापन
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में पिछले डेढ़ माह से नियम-कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए खुलेआम रेत की लूट का खेल जारी है। रेत के अनियंत्रित दोहन का व्यापक दुष्प्रभाव जिले के अजयगढ़-धरमपुर क्षेत्र के लोगों को झेलना पड़ रहा है। इस विनाशलीला की अनदेखी कर रहे जिला प्रशासन व पुलिस की भूमिका को लेकर अंचल के लोगों में तीव्र आक्रोश और असंतोष व्याप्त है। रेत खदानों के ठेका की आड़ में बड़े पैमाने पर जारी रेत के अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण को जानबूझकर नजरअंदाज करते हुए रेत माफिया को संरक्षण दिए जाने से हितों के टकराव की स्थिति निर्मित हो चुकी है। पिछले 4-5 दिनों के घटनाक्रम को गौर से देखने पर इस बात के साफ़ संकेत मिलते हैं। रेत की लूट के विरोध में आंदोलित हो रहे तराई अंचल के लोगों ने नियम-शर्तों के उल्लंघन का हवाला देते हुए अब रेत खदानों का ठेका निरस्त करने और निहित स्वार्थ पूर्ती के लिए इसे संरक्षण देने वाले अधिकारियों की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच की मांग शुरू कर दी है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रदेश के खनिज साधन एवं श्रम विभाग के मंत्री बृजेन्द्र प्रताप के निर्वाचन क्षेत्र पन्ना विधानसभा अंतर्गत यह सब चल रहा है। यहाँ एक नजर उन तमाम घटनाक्रमों पर जिनकी चर्चा कुछ दिनों से हर किसी की जुबान पर है-
रेत के ट्रकों की निकासी को लेकर विवाद

अजयगढ़ विकासखण्ड के ग्राम अमरछी में जप्तशुदा रेत का परिवहन कर रहे ट्रकों की निकासी को लेकर निजामपुर गांव में मंगलवार 21 जुलाई ग्रामीणों का पुलिस और ट्रक चालक से जमकर विवाद हुआ। इस मामले में ट्रक चालक मुजीब खान पुत्र अब्दुल रशीद निवासी अमरछी की रिपोर्ट पर धरमपुर थाना में निजामपुर गांव के राजा लोध, वीरन लोध, कल्लू लोध, ललवा लोध वगैरह के विरुद्ध अपराध क्रमांक 131/2020 धारा 323, 341, 327, 294, 506, 34 ताहि के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। प्रकरण के तीन आरोपियों को पुलिस ने गुरुवार 23 जुलाई को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया। न्यायालय के आदेश पर उन्हें जेल भेजा गया है। जनचर्चा अनुसार यह विवाद निजामपुर गांव के संकीर्ण रास्ते से रेत के ट्रकों को तेज रफ़्तार से निकालने को लेकर हुआ। ग्रामीणों का आरोप है कि पूर्व में ट्रकों की तेज रफ़्तार के कारण उनके गांव में कई दुर्घटनाएं घटित हो चुकी हैं। आबादी क्षेत्र से धीमी गति से निकलने को लेकर टोकने पर ट्रक चालक विवाद करते हैं।

घटना दिनांक को ग्रामीणों ने कथित तौर पर ट्रकों को रोककर जब समझाइश देने का प्रयास किया तो उनके साथ चल रहे पुलिस चौकी खोरा के प्रभारी बी. एल. पाण्डेय से उनकी तीखी नोकझोंक हो गई। ग्रामीणों का आरोप है कि रेत माफिया से मिलकर चौकी प्रभारी के द्वारा उनके साथ गाली-गलौंज करते हुए फर्जी प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है। जबकि खोरा चौकी प्रभारी बी. एल. पाण्डेय ने निजामपुर निवासी उक्त लोगों पर ट्रकों का रास्ता रोककर जबरन रुपयों की मांग करने और चालक मुजीब खान के साथ मारपीट करने की बात कही है। ग्रामीणों ने इस संबंध पन्ना में पुलिस अधीक्षक मयंक अवस्थी को एक सौंपते हुए उनसे दर्ज फर्जी आपराधिक प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
चौकी प्रभारी को रोककर किया हंगामा

अजयगढ़ के सीमावर्ती गांव चंदौरा, रामनई और जिगनी में रेत ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा के द्वारा पिछले डेढ़ माह से बड़े पैमाने पर निजी एवं शासकीय भूमि पर पूर्णतः अवैध तरीके से कई रेत खदानें संचालित की जा रही हैं। खनन-पर्यावरण सम्बंधी नियम-कानूनों और अनुबंध शर्तों का उल्लंघन करते हुए अब तक इन तीन गांवों से हजारों घनमीटर रेत निकाली जा चुकी है। वर्षाकाल में भी अवैध खनन का यह खेल बेरोकटोक जारी है। इन गांवों से निकलने वाली सम्पूर्ण रेत का अवैध परिवहन उत्तर प्रदेश के लिए हो रहा है। स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक वहाँ से प्रतिदिन 100 से अधिक ओवरलोड ट्रक रेत लेकर निकलते हैं जिससे उनके गांवों के पहुंच मार्ग और आबादी क्षेत्र के आंतरिक मार्ग तेजी से जर्जर हो रहे हैं। फलस्वरूप बारिश के मौसम में ग्रामीणों को आवागन में समस्या हो रही है।
इससे नाराज चंदौरा के वाशिंदों ने बुधवार 22 जुलाई की शाम रेत परिवहन कर ट्रकों को रोक लिया। इसकी जानकारी मिलने स्थानीय चौकी प्रभारी सुशील शुक्ला ने हमराही बल के साथ मौके पर पहुंचकर जब ट्रकों को निकलवाने का प्रयास किया तो गांव की महिलाओं एवं पुरूषों ने इसका विरोध करते हुए उन्हें भी घेरकर रोक लिया। आक्रोशित ग्रामीण के द्वारा अपनी समस्या के निदान के लिए अजयगढ़ एसडीएम को बुलाने की मांग की गई। जब इस गतिरोध की भनक अजयगढ़ और पन्ना में बैठे पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को लगी तो महकमे में हड़कम्प मच गया। आनन-फानन में रिजर्व पुलिस बल को चंदौरा के लिए रवाना किया गया। इस दौरान बेहद तनाव भरे माहौल में काफी देर तक हंगामा चलता रहा। कई घण्टे बाद देर शाम बमुश्किल विवाद शांत हुआ।
इन हालात के लिए कौन है जिम्मेदार ?

यहां अहम सवाल यह है कि निजामपुर और चंदौरा में बने इन दुर्भाग्यपूर्ण हालात के लिए जिम्मेद्दार कौन है। कोरोना संकटकाल में कई तरह के प्रतिबंधों के बीच ग्रामीणों को अपनी समस्यायों के निराकरण के लिए सड़क पर उतरने को आखिर क्यों मजबूर होना पड़ा ? आमजन के जीवन, सुरक्षा और पर्यावरण को खतरे में डालकर तथा नियम-कानूनों का खुलेआम उल्लंघन कर बहुमूल्य खनिज सम्पदा लूट रहे माफिया के हितों के संरक्षण की आखिर ऐसी क्या मजबूरी है ? इस अराजकता के पीछे कौन है ! जिसके रसूख के सामने समूचा तंत्र माफिया के सामने नतमस्तक होकर उसके लिए रेती की खेती को लाभ का धंधा बनाने में जुटा है ? पन्ना में माफियाराज को पोषित कर रही मौजूदा व्यवस्था में आम-आदमी मजाक बन चुका है। इसका एहसास उन तमाम लोगों को हो रहा जो इस अराजकता या अंधेरगर्दी के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। अजयगढ़-धरमपुर क्षेत्र के लोगों की जायज मांगों और उनकी समस्याओं की लम्बे समय तक उपेक्षा से इस क्षेत्र में सत्ताधारी दल भाजपा का समर्थन करने वाले मतदाताओं का बड़ा वर्ग उससे छिटक सकता है।
निरस्त करो रेत की लूट का ठेका

अजयगढ़ विकासखण्ड के सीमावर्ती गांव रामनई, जिगनी और बरौली के वाशिंदों ने अपने क्षेत्र में जारी रेत की लूट के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए ठेका निरस्त करने की मांग तेज कर दी है। इन गांवों में केन नदी पर रेत खदानें जिस जगह स्वीकृत हैं वहां रेत उपलब्ध न होने से रेत खदान ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा के द्वारा नदी के कछार की निजी एवं शासकीय भूमि पर स्थित प्राकृतिक टीलों का अंधाधुंध अवैध खनन कर रेत निकाली जा रही है। अतिवृष्टि की स्थिति में केन नदी की बाढ़ और जलभराव से प्राकृतिक तौर पर सुरक्षा प्रदान करने वाले रेत के विशाल भण्डार रुपी टीलों को खनन से खोखला कर ठेकेदार इनका अस्तित्व मिटाने पर आमदा है। जिससे चिंतित और परेशान रामनई, जिगनी और बरौली गांव के रहवासियों ने ठेकेदार पर रेत खनन के लिए नियम-कानूनों एवं अनुबंध शर्तों का खुला उल्लंघन करने का आरोप लगाते रेत खदान समूह का ठेका तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की है।

इसके अलावा रेत खदानों के ठेके की आड़ में रेत माफिया को अराजकता फैलाने की खुली छूट देने के मामले पन्ना के खनिज अधिकारी, अजयगढ़ एसडीएम, तहसीलदार और पुलिस अधिकारियों की भूमिका उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच की मांग की जा रही है। इस सम्बंध में इन तीनों गांवों के लोगों ने गत दिनों पन्ना आकर कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है। ग्रामीणों ने बताया कि उनके द्वारा प्रदेश के खनिज साधन विभाग के मंत्री एवं पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह के निज निवास पहुंचकर उनके स्टॉफ को आवश्यक कार्रवाई हेतु ज्ञापन दिया गया। साथ ही पूर्व मंत्री एवं लम्बे समय तक पन्ना विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वालीं सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले से पन्ना में सफरबाग स्थित उनके निज-निवास पर भेंट कर उन्हें क्षेत्र में मची रेत की लूट-खसोट के साक्ष्य दिखाते हुए ज्ञापन सौंपा गया। ग्रामीणों ने बताया कि रेत के अवैध उत्खनन की समस्या पहले भी रही लेकिन इस हद तक अराजकता कभी नहीं रही। वर्तमान में रेत की लूट की जानबूझकर हर स्तर पर अनदेखी की जा रही है।
कोंग्रेस नेता एवं परिजनों के विरुद्ध

पन्ना जिले की रेत खदानों के ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा के कर्मचारी जीतेन्द्र सिंह पुत्र राजेन्द्र प्रसाद निवासी करनाल हरियाणा हाल निवास अजयगढ़ ने जनपद पंचायत अजयगढ़ के अध्यक्ष एवं जिले के वरिष्ठ कोंग्रेस भरत मिलन पाण्डेय और उनके परिजनों पर अपनी गाड़ियों में मुफ्त में रेत लोड करने एवं हफ्ते डेढ़ लाख रूपये की डिमांड करने और उसके साथ लाठी-डण्डों मारपीट करते हुए हवाई फायर करने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। कथित तौर पर यह घटना अजयगढ़ के समीपी ग्राम बहादुरगंज में दिनांक 19 जुलाई की रात्रि की घटित होना बताया गया है। जबकि इसकी सूचना थाना पर 21 जुलाई को दोपहर 3 बजे दी गई। गौरतलब है कि बहादुरगंज ग्राम से अजयगढ़ थाना की दूरी महज 3-4 किलोमीटर है। जीतेन्द्र सिंह की रिपोर्ट पर अजयगढ़ थाना पुलिस ने कोंग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय, कल्लू पाण्डेय, उज्जवल पाण्डेय, नितिन पाण्डेय, शोल्डू पाण्डेय एवं 20-25 अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, 148, 149, 294, 323, 327, 506, 336 तहत आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध किया है।

कोंग्रेस नेता भरत मिलन पाण्डेय और उनके परिजनों पर रेत के कारोबार को लेकर विवाद करने के आरोप पहले भी लगे हैं। लेकिन इस बार एफआईआर में जिस तरह के आरोप लगाए गए और रेत के खनन को लेकर जिस तरह के दावे किये गए हैं वे लोगों के गले नहीं उतर रहे हैं। मसलन, भरत मिलन पाण्डेय के द्वारा रेत ठेकेदार के कर्मचारी से कहा गया कि हमारा महीने का खर्च पहुंचाओ, हर हफ्ते डेढ़ लाख रुपए दो अगर हफ्ता नहीं दिया तो खदान नहीं चल पाएगी। इसी तरह एफआईआर में जीतेन्द्र सिंह दावा कर है कि वर्तमान में एनजीटी के नियमानुसार उसकी कम्पनी के द्वारा रेत का खनन नहीं किया जा रहा है। जबकि इस दावे की सच्चाई एफआईआर दर्ज करने वाली अजयगढ़ थाना पुलिस से लेकर पूरे जिले को पता है।

वहीं फरियादी जीतेन्द्र के जिस लिखित आवेदन पत्र पर एफआईआर दर्ज की गई उसमें बताया गया है कि- “हमने जब घर आकर देखा जेब में रखे 52,500/- रुपए नहीं मिले जोकि उन लोगों (आरोपियों) के पास होंगे। अर्थात अप्रत्यक्ष तौर पर लूट का आरोप लगाया गया है। लेकिन इतने गंभीर आरोप को लेकर खुद अजयगढ़ पुलिस गम्भीर नहीं है। इसलिए, दर्ज एफआईआर में इस बात का उल्लेख ही नहीं किया। पुलिस महकमे के अंदरखाने की चर्चाओं पर भरोसा करें तो कई अधिकारियों-कर्मचारियों का ऐसा मानना है कि इस विवाद की कहानी को कुछ ज्यादा ही रोचक बनाने का प्रयास किया गया है। विचारणीय प्रश्न यह है कि जब इतने बड़े आरोप को पुलिस ने संदिग्ध मानते हुए एफआईआर में दर्ज करना उचित नहीं समझा तो सड़क छाप गुण्डे की तरह हफ्ता की डिमांड के आरोपों की सत्यता का सहज अनुमान लगाया जा सकता। अजयगढ़ जनपद अध्यक्ष और उनके परिजनों के विरुद्ध दर्ज इस चर्चित आपराधिक प्रकरण को कुछ लोग प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के परिणामस्वरूप बदले हुए परिदृश्य से जोड़कर भी देख रहे हैं।
इनका कहना है –
