* रेत ठेकेदार पर आतंक के बल पर कृषि भूमि से जबरन रेत खनन करने का आरोप
* भानपुर गांव के पीड़ित युवा किसान ने अवैध खदान पर अंकुश लगाने की लगाई गुहार
* आधा दर्जन गांवों में निजी एवं शासकीय भूमि पर खुलेआम संचालित हैं दर्जन भर अवैध रेत खदानें
* तमाशबीन बना जिला प्रशासन महज दो गांवों में अवैध उत्खनन के प्रकरण दर्ज करने तक सिमटी कार्रवाई
* डेढ़ माह से जारी रेत की लूट पर न तो प्रभावी अंकुश लगाया और अवैध उत्खनन कर रहीं मशीनों को जब्त भी नहीं किया
शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) शिवराज सरकार के पिछले कार्यकाल में मध्यप्रदेश की धरती से दस्यु गिरोहों के आतंक का तो काफी हद तक अंत हो गया लेकिन इस दौरान माफिया के रूप में डकैतों से कहीं अधिक खतरनाक और नुकसानदेह चुनौती उभर कर सामने आई है। विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय माफियाओं ने सत्ता प्रतिष्ठानों और प्रशासन का प्रत्यक्ष-परोक्ष संरक्षण प्राप्त कर नोट छापने के लिए हर तरफ लूट मचा रखी है। प्रदेश के पन्ना जिले में भी पिछले डेढ़ माह से एक माफिया के कारण हाहाकर की स्थिति निर्मित है। रेत ठेकेदार से रेत माफिया बने रसमीत मल्होत्रा की लूट-खसोट और मनमानी के सामने खनन, पर्यावरण समेत अन्य नियम-कानून बेमानी साबित हो रहे हैं।
पिछले डेढ़ माह से रेत ठेकेदार के द्वारा जिले के अजयगढ़ विकासखण्ड अंतर्गत छः गांवों रामनई, जिगनी, चंदौरा, बीरा, फरस्वाहा और भानपुर में निजी एवं शासकीय राजस्व भूमि पर रेत की करीब दर्जन भर अवैध खदानें धड़ल्ले से संचालित की जा रहीं हैं। लीज स्वीकृति के बगैर रेत के अवैध खनन का यह खेल कतिपय रेत खदनों के अनुबंध निष्पादन की आड़ में बेरोकटोक जारी है। पिछले सभी रिकार्ड तोड़ चुकी रेत की लूट के इस खेल में पन्ना जिला प्रशासन और रेत माफिया के बीच मिलीभगत होने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। तथ्यों पर गौर करते हुए जमीनी हकीकत को देखें तो बहुमूल्य खनिज सम्पदा की लूट की अघोषित तौर पर खुली छूट के मामले में जिम्मेदार अफसरों की भूमिका उन्हें सवालों के कठघरे खड़ा करती है।
जनाक्रोश के चलते कार्रवाई की खानपूर्ति
पन्ना जिले की 27 रेत खदानों के समूह का ठेका लेने वाले सफल बोलीदार रसमीत मल्होत्रा ने माह जून 2020 में महज पांच खदानों में खनन के लिए अनुबंध निष्पादित किया है। जिसमें शामिल रामनई एवं जिगनी खदान के स्वीकृत क्षेत्र में रेत न होने पर ठेकेदार ने केन नदी किनारे स्थित इन गांवों में मनमाने तरीके से निजी एवं शासकीय गोचर भूमि पर खनन शुरू कर दिया। नदी घाट में स्वीकृत खदानों के अनुबंध की आड़ लेकर केन के कछार क्षेत्र में आने वाले खेतों और शासकीय राजस्व भूमि में बड़े पैमाने पर पूर्णतः अवैध रूप से रेत खनन करने की शिकायत रामनई और बरौली गांव के ग्रामीणों के द्वारा पन्ना आकर कलेक्टर से की गई। गौरतलब है कि शिकायत होने के पूर्व तक राजस्व विभाग अजयगढ़ का अमला और पन्ना के खनिज विभाग के अधिकारी इस अवैध खनन की जानबूझकर अनदेखी करते रहे। मामला मीडिया में आने के बाद बेमन से कार्रवाई करते हुए रामनई में एक और जिगनी में चार स्थानों पर अवैध रेत खनन के प्रकरण पंजीबद्ध किये गए।
हालाँकि प्रकरण दर्ज होने से करीब 5 हजार घनमीटर से अधिक रेत उक्त स्थानों से निकाली जा चुकी थी। जबकि दर्ज प्रकरणों में अवैध रेत खनन की मात्रा लगभग 3 हजार घनमीटर बताई गई। रेत माफिया के सामने नतमस्तक प्रशासन ने कागजी खानापूर्ति के लिए प्रकरण तो दर्ज कर लिए लेकिन निजी एवं शासकीय भूमि पर संचालित अवैध रेत खदानों को आज तक बंद नहीं कराया गया। फलस्वरूप रामनई, जिगनी के साथ-साथ अब चंदौरा, बीरा, भानपुर और फरस्वाहा में करीब एक दर्जन स्थानों पर खुलेआम पूर्णतः अवैध तरीके से निजी एवं शासकीय भूमि पर रेत के खनन का खेल बड़े मजे से चल रहा है।
इन गांवों में ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा के द्वारा लगभग दो दर्जन से अधिक दैत्याकार मशीनों से रात-दिन रेत का खनन किया जा रहा है। ठेके की अनुबंध शर्तों, खनन, पर्यावरण, राजस्व एवं परिवहन संबंधी नियम-कानूनों की धज्जियाँ उड़ाते हुए खनन माफिया द्वारा की जा रही रेत लूट पर प्रभावी अंकुश न लगाकर जिम्मेदार इसे जानबूझकर नजरअंदाज कर रहे हैं। वहीं अवैध खनन में लगीं पोकलेन और जेसीबी मशीनों को जब्त कर पुलिस थाना में रखवाने जैसी ठोस कार्रवाई भी अब तक नहीं की गई। करोड़ों रुपए मूल्य की रेत की लूटपाट को लेकर जिम्मेदार अफसरों की अनदेखी से प्रशासन और रेत माफिया के बीच सांठगांठ होने के आरोपों को बल मिल रहा है।
खेत में जबरन खोद डाली खदान
जिले के अजयगढ़ विकासखण्ड के ग्राम भानपुर निवासी युवा किसान शारदा यादव पुत्र स्व. सीताराम यादव ने रेत ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा के मुनीम मोंटू अग्रवाल एवं साथियों पर अपने खेत में आतंक के बल पर जबरन रेत खदान खोदने का आरोप लगाया है। शारदा यादव ने बताया कि पटवारी हल्का कगरेकाबारा अंतर्गत ग्राम भानपुर उसके पिता के नाम पर दर्ज आराजी क्रमांक- 570/1 व 571/2 एवं पिता समेत अन्य परिजनों बुआ-चाचा के नाम पर संयुक्त रूप से दर्ज आराजी क्रमांक- 561 तथा 572/2 में पिछले छः दिनों से जबरन रेत का अवैध उत्खनन किया जा रहा है। इस कृषि भूमि का खातेदारों के बीच अभी तक बैधानिक तौर बंटवारा नहीं हुआ है। लेकिन पारिवारिक सहमति के आधार पर हुए आपसी बंटवारे में शारदा के पिता को भूमि का जो हिस्सा प्राप्त हुआ था उसमें मशीनों के जरिये रेत का खनन किया जा रहा है।
प्रभावित किसान ने बताया कि उसके चाचा राजा भईया यादव से मिलकर रेत ठेकेदार ने कथित तौर पर रेत खदान संचालित करने का अनुबंध किया हुआ है। आरोप है कि कृषि भूमि से रेत का खनन करने के लिए अजयगढ़ तहसील के राजस्व अमले से मिलकर रातोंरात भूमि की मनमानी तरमीम करा ली गई। जिससे संयुक्त खाते वाली भूमि का पूर्व में आपसी आधार पर हुए बंटवारे के हिस्से में बदलाव कर दिया गया। रेत माफिया और व्यवस्था के गठजोड़ की इन चालबाजियों के कारण परेशान युवा किसान ने बताया कि उसके हिस्से वाली भूमि में रेत का विशाल भंडार मौजूद है जिसे हड़पने के लिए यह षड्यंत्र किया गया है।
अजयगढ़ से पन्ना तक नहीं हुई सुनवाई
लीज स्वीकृति के बगैर भानपुर गांव में निजी भूमि पर बलपूर्वक और छलपूर्वक धड़ल्ले से जारी रेत के अवैध खनन की शिकायत प्रभावित युवक ने पन्ना कलेक्टर से की है। लेकिन जिम्मेदारों ने अब तक इसे रोकना भी उचित नहीं समझा। रेत की लूट के मामले में अजयगढ़ से लेकर पन्ना तक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों की घोर अनदेखी और चुप्पी आम आदमी को निराश कर रही है। इन हालत में शारदा जैसे लोगों के सामने विडंबना यह है कि वे अपनी पुस्तैनी जमीन को बर्बाद होने बचाने के लिए कहाँ जाएं, किसका दरवाजा खटखटाएं और किसे अपनी पीड़ा सुनाएं। न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रहे कम पढ़े-लिखे इस युवा किसान के अनुसार उसका अब तक का अनुभव यही कहता है कि पन्ना जिले इन दिनों कानून का राज नहीं बल्कि माफिया राज चल रहा है।
कृषि भूमि बर्बाद हुई तो भूखों मर जाएंगे
अजयगढ़ के भानपुर गांव में खनन माफिया बगैर किसी वैधानिक अनुमति के खेतों को खदान में तब्दील करके शारदा और उसके परिवार के जीवन यापन के एकमात्र सहारे को तबाह करने पर तुला है। वहाँ तीन पोकलेन मशीनें खेत को रेत खनन के लिए खोखला कर अब तक करीब 700 डम्फर से अधिक रेत निकाल चुकीं हैं। व्यवस्था के सहयोग और आतंक के बल पर खनन का यह खेल भानपुर में रातदिन जारी है। अवैध खनन की इस अंधी रफ़्तार के मद्देनजर अगर रेत माफिया को तुरंत सख्ती से नहीं रोका गया तो कृषि भूमि के बर्बाद होने पर प्रभावित कृषक परिवार के सामने भूखों मरने की स्थिति निर्मित हो सकती है। इस गूंगी-बहरी-अंधी और बेरहम व्यवस्था के आगे बेवश और लाचार युवा किसान शारदा यादव ने बताया कि जब उसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो मैनें अपने स्तर पर रेत माफिया को अवैध खनन करने से रोकने का काफी प्रयास किया। लेकिन वहां तैनात माफिया के गुण्डे उसे और उसके परिजनों को जान से मारने की धमकी देकर जोर जबरदस्ती खनन कर रहे हैं।
प्रकरण दर्ज कर लगाया जुर्माना
पन्ना जिले में जारी रेत के अनियंत्रित दोहन से प्रभावित ग्रामीणों के द्वारा माह जून 2020 के आखिरी सप्ताह में की गई शिकायत और इससे जुड़ीं ख़बरों पर जिले के खनिज विभाग ने कार्रवाई करते हुए अवैध उत्खनन के पांच प्रकरण दर्ज़ कर भारी-भरकम अर्थदण्ड संबंधितों पर लगाया है। बरौली और रामनई के ग्रामीणों की शिकायत पर रामनई की शासकीय गोचर भूमि खसरा क्रमांक- 2 में रेत ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा के खिलाफ 1080 घनमीटर रेत का अवैध उत्खनन करने का मामला पंजीबद्ध किया गया है। इस प्रकरण में रसमीत पर लगभग 33,75,000/- रुपए प्रशमन शुल्क और 67,50,000/-रुपए का अर्थदण्ड लगाया है। इसके आलावा जिगनी गांव में निजी भूमि पर 1600 घनमीटर रेत का अवैध खनन करने के मामले में खसरा क्रमांक-352 के भू-स्वामी वेबा बिसालिया, रामसजीवन गिल्ला, चुनवाद फूलचन्द्र, छोटेलाल के विरुद्ध अवैध खनन का प्रकरण पंजीबद्ध किया है। इनके ऊपर खनिज विभाग ने लगभग 50,00000/- लाख रुपये का प्रशमन शुल्क और 1,0000000/-(एक करोड़) रुपए का अर्थदण्ड लगाया है।
जिगनी गांव में ही निजी भूमि खसरा क्रमांक-354 भू-स्वामी फल्ले पिता रामलाल, हल्के अहीर, खसरा क्रमांक- 355 में कालका प्रसाद पिता सौखिया एवं खसरा क्रमांक- 356 में भू-स्वामी हल्की वेबा जुगरुआ कुम्हार, जागेश्ववर और शिवनंदन पर 200-200 घनमीटर रेत का अवैध खनन करने का प्रकरण दर्ज किया है। इन तीनों प्रकरणों में सम्बंधितों पर लगभग 6,25,000/- रुपए प्रशमन शुल्क और 12,50,000/- का अर्थदण्ड आरोपित किया गया है। उल्लेखनीय है कि रेत के अवैध उत्खनन के इन मामलों की जांच खनिज निरीक्षक देवेन्द्र महोबे और अजयगढ़ के राजस्व अमले द्वारा संयुक्त रूप से की गई थी। जांच में इस बात का खुलासा हुआ था कि इन किसानों ने रेत खनन के लिए रसमीत मल्होत्रा से अनुबंध किया है।
रेत की लूट पर क्यों नहीं लग पा रहा अंकुश ?
अजयगढ़ विकसखण्ड के ग्राम जिगनी और रामनई में निजी एवं शासकीय भूमि पर रेत के अवैध उत्खनन के मामले में ठेकेदार रसमीत मल्होत्रा एवं कई किसानों के विरुद्ध प्रकरण दर्ज होने और करोड़ों रूपये के जुर्माना प्रस्तावित करने के बाद भी आखिर अवैध उत्खनन अंकुश क्यों नहीं लग पा रहा है यह सवाल लगातार उठ रहा है ? शोचनीय बात तो यह है जिन स्थानों पर अवैध खनन के प्रकरण बनाए गए वहां आज भी रेत का अवैध खनन खुलेआम जारी है। इन दो गांवों से आगे बढ़कर रसमीत के द्वारा बीरा, भानपुर, चंदौरा और फरस्वाहा में भी कई स्थानों पर रेती की खेती खुलेआम कराई जा रही है। गुनौर निवासी समाजसेवी देशपाल पटेल का मानना है कि इसकी मुख्य वजह रेत की बेइंतहा लूट से होने वाले लाभ में हिस्सेदारी है। जिसके चलते जिम्मेदार अधिकारी इस पर प्रभावी अंकुश लगाने से जानबूझकर बच रहे हैं। यही वजह है कि अब तक न तो सख्ती के साथ रेत की अवैध खदानों को बंद कराया गया और ना ही खनन में जुटीं दो दर्जन से अधिक पोकलेन और जेसीबी मशीनों को जब्त कर पुलिस थाना में रखवाकर उन्हें राजसात करने सरीकी ठोस कार्रवाई की गई।
उल्टा रेत ठेकेदार की कारगुजारियों की जानकारी होने के बाद भी जिले के खनिज विभाग के अधिकारी उसके प्रति उसके नरम रूख अपनाए हुए हैं। खनिज विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली का अंदाजा इसी बात से भी लगाया जा सकता है कि जून माह में विभाग के अधिकारियों द्वारा जिगनी में अवैध खनन करते हुए बमुश्किल एक पोकलेन मशीन पकड़ी गई लेकिन उसे अजयगढ़ लाकर थाना में या समीपी चंदौरा चौकी में रखवाने के बजाए मौके पर ठेकेदार के ही कर्मचारियों की सुपुर्दगी में दे दिया गया। फलस्वरूप आज भी उक्त मशीन अवैध खनन में जुटी है। कमाल की इस कार्रवाई के दिखावे को इस तरह समझ सकते है कि, खनिज विभाग ने एक मशीन को पकड़कर अपनी कार्रवाई की खानापूर्ति भी पूरी कर ली और इससे रेत ठेकेदार का अवैध खनन भी बाधित नहीं हुआ।
प्रतिदिन 200 से 250 ट्रक रेत का परिवहन
पन्ना निवासी युवा समाजसेवी एवं एक्टिविस्ट रामबिहारी गोस्वामी अजयगढ़ क्षेत्र सहित समूचे जिले में व्याप्त अराजकता को लेकर काफी नाराज और दुखी हैं। इनका सवाल है कि कुछ माह पहले अजयगढ़ की खदानों में उतरकर सिंघम स्टाइल में छापामार कार्रवाई करते हुए मशीनें और ट्रक-डम्फर पकड़ने वाले अफसर अब कहाँ हैं ? रेत माफिया की लूट पर ये आंख-कान और मुंह बंद करके क्यों बैठे हुए हैं। उल्लेखनीय है कि रेत के मुद्दे पर आमजन के बढ़ते विरोध को देखते हुए खानपूर्ति की मंशा से प्रकरण तो दर्ज कर दिए गए लेकिन इनके अर्थदण्ड की वसूली कानूनी दावपेंच के चलते जल्द सम्भव होने वाली नहीं है। जानकार बताते हैं कि इस तरह के प्रकरण न्यायालयों में कई सालों तक चलते रहते हैं। रेत ठेकेदार और प्रशासन में बैठे लोग इस बात को भलीभांति जानते हैं। दरअसल, इस तरह की कार्रवाईयां अक्सर कानूनी पेचीदगियों से अनभिज्ञ आम आदमी को बताने और कागजी खानापूर्ति करने के लिए की जातीं है।
मजेदार बात तो यह कि अजयगढ़ में बैठे पुलिस के मैदानी अमले को भी रेत की अवैध खदानें, उनमें पिछले डेढ़ माह से रात-दिन खनन कर रहीं मशीनें और अवैध तरीके से निकाली जा रही रेत का परिवहन करने वाले ट्रक-डम्फर नजर नहीं आ रहे हैं। इसलिये पुलिस विभाग के कर्मठ अफसर पिछले कुछ दिनों से एक-दो ट्रेक्टर-ट्राली पकड़ने में अथक परिश्रम कर रहे हैं। जबकि बीरा, भानपुर, फरस्वाहा की अवैध रेत खदानों से एमपी के लिए और सीमावर्ती ग्राम जिगनी, चंदौरा, रामनई की खदानों से यूपी के लिए प्रतिदिन औसतन 200-250 ट्रक रेत का परिवहन होने की चर्चाएं हैं। पन्ना में बड़े पैमाने पर जारी रेत की लूट का इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है।