कमलनाथ जी, “पन्ना की तमन्ना पर कृपया कैंची मत चलवाइए”..! बहुप्रतीक्षित डायमंड पार्क निर्माण यहाँ तो खजुराहो में ऑक्शन सेन्टर की स्थापना क्यों ?

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सांकेतिक फोटो।

* डायमंड पार्क के आधे-अधूरे निर्माण से हीरा केन्द्र के रूप कैसे विकसित हो पाएगा पन्ना

* हीरा कारोबारियों की सुविधा के नाम पर खजुराहो की होटल मालिकों को लाभ पहुंचाने की कवायद

* हीरा खनन परियोजना मझगवाँ और पन्ना में 50 सालों से हीरों की सफलतापूर्वक हो रही नीलामी

* आधारहीन तथ्यों के सहारे डायमंड ऑक्शन और एग्जीबिशन सेन्टर को छीनने का षड़यंत्र

* पन्ना के हीरा व्यापारी संघ का ऐलान खजुराहो में हीरों की नीलामी का करेंगे विरोध

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) लम्बे इंतजार के बाद पन्ना में डायमंड पार्क निर्माण का रास्ता साफ़ हो चुका है। रविवार को खजुराहो में होने वाली बैठक में मध्य प्रदेश के खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल इसकी घोषणा कर सकते है। खनिज मंत्री इस दौरान पन्ना में देश के एकमात्र डायमंड टूरिस्ट सर्किट को मंजूरी देंगे। यह सौगात पन्ना जिले में पर्यटन गतिविधियों के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है ऐसा दावा किया जा रहा है। मुद्दतों बाद पन्ना की डायमंड पार्क की तमन्ना पूरी होने जा रही है लेकिन इसे लेकर स्थानीय जानकारों ख़ुशी कम और असंतोष ज्यादा है। इसकी बड़ी वजह पन्ना में बनने वाले डायमंड पार्क से डायमंड ऑक्शन और एग्जीबिशन सेंटर को जुदा (अलग) कर इनकी स्थापना खजुराहो में करना है। पन्ना के डायमंड पार्क से डायमंड ऑक्शन और एग्जीबिशन सेंटर को पृथक कर खजुराहो में निर्मित करने की सरकार की योजना पन्ना के लोगों को रास नहीं आ रही है। इनका मानना है कि डायमंड पार्क के अंतर्गत डायमंड प्रोसेसिंग यूनिट से ऑक्शन तथा एग्जीबिशन सेंटर को अलग किए जाने के कारण हीरे से संबंधित समग्र गतिविधियों के केन्द्र के रूप में पन्ना कैसे विकसित हो पाएगा। यह सवाल काफी हद बाजिब है।
पन्ना का महेन्द्र भवन जहाँ डायमंड पार्क का निर्माण होना प्रस्तावित है।
सर्वविदित है कि, बेशकीमती रत्न हीरा पूरे देश में सिर्फ पन्ना जिले में निकलता है। यहाँ मिलने वाले उज्जवल किस्म के हीरों की चमक की पूरी दुनिया दीवानी है। पन्ना जिले के मझगवां क़स्बा में एशिया महाद्वीप की इकलौती मैकेनाइज्ड हीरा खदान स्थित है। एनएमडीसी लिमिटेड की हीरा खनन परियोजना द्वारा कई दशकों से बड़े पैमाने पर यहां हीरों का उत्पादन किया जा रहा है। इसके अलावा पन्ना की उथली हीरा खदानों में अच्छी-खासी तादाद में हीरे मिलने का सिलसिला जारी है। यहाँ हीरों का खनन और उसकी नीलामी राजशाही ज़माने से चल रही है। इसलिए पन्ना और हीरा एक दूसरे के पर्याय बन चुके है। पूरी दुनिया में पन्ना की पहचान डायमंड सिटी के रुप में है। प्रकृति की गोद में बसा पन्ना विंध्य पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा वनाच्छादित जिला है। वन संपदा और खनिज संसाधनों की प्रचुर उपलब्धता वाले पन्ना को हीरे के रूप में प्रकृति ने अनुपम उपहार दिया है। पन्ना और मध्यप्रदेश के लिए यह गौरव की बात है। पर्यावरण संरक्षण पर आधारित विकास के लिहाज से पन्ना में डायमंड पार्क निर्माण की मांग करीब दो दशक से भी अधिक समय से हो रही है। वर्ष 2005 में इसका प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा गया था लेकिन कतिपय कारणों इसे अमान्य कर दिया गया था। पन्ना के लोग इससे निराश नहीं हुए और अपनी इस न्यायोचित मांग को लगातार उठाते रहे। क्योंकि, डायमंड पार्क की स्थापना पन्ना का अधिकार है।
खनिज साधन विभाग के सचिव नरेन्द्र सिंह परमार एवं पन्ना कलेक्टर कर्मवीर शर्मा।
प्रदेश की कमलनाथ सरकार पन्ना के विकास को गति प्रदान करने के लिए अब जबकि डायमंड पार्क की स्थापना की बहुप्रतीक्षित मांग पूरी करने का ऐलान करने जा रही है तो इस आधी-अधूरी सौगात को लेकर यहां के लोग निराश और नाराज है। इसका कारण है कि पन्ना जिले के लोग कई वर्षों से जिस डायमंड पार्क का सपना संजो रहे है उसमें डायमंड प्रोसेसिंग यूनिट (कटिंग-पॉलिशिंग-ज्वैलरी निर्माण) के साथ-साथ डायमंड ऑक्शन तथा एग्जीबिशन सेंटर भी शामिल रहा है। लेकिन प्रदेश सरकार ने डायमंड पार्क को दो हिस्सों में बाँट दिया है। इसके तहत पन्ना में सिर्फ प्रोसेसिंग यूनिट (कटिंग-पॉलिशिंग-ज्वैलरी निर्माण) की गतिविधियों की स्थापना करना है। जबकि डायमंड ऑक्शन तथा एग्जीबिशन सेंटर खजुराहो में बनाया जाएगा। इसका मतलब यह है कि हीरों की नीलामी अब खजुराहो में होगी और व्यापरियों तथा आम लोगों के अवलोकन के लिए हीरों को खजुराहों में ही प्रदर्शित किया जाएगा। पन्ना का हीरा व्यापारी संघ को इस पर सख्त एतराज है। हीरा व्यापरियों का मानना है कि मध्यप्रदेश में हीरे से जुड़ी प्रत्येक गतिविधि पन्ना में ही होनी चाहिए है। क्योंकि, हीरा सिर्फ पन्ना में है। हीरा व्यापारी संघ के अध्यक्ष श्रीनिवास रिछारिया का कहना है कि हीरों की नीलामी यदि खजुराहो में होगी तो हमसब मिलकर इसका पुरजोर विरोध करेंगे, यदि बहिष्कार भी करना पड़ेगा तो इससे पीछे नहीं हटेंगे।
फाइल फोटो।
उल्लेखनीय है कि खनिज साधन विभाग के शीर्ष अधिकारी हीरा व्यापारियों के ठहरने, हवाई एवं रेल यात्रा आदि की सुविधाओं का हवाला देकर डायमंड ऑक्शन तथा एग्जीबिशन सेंटर खजुराहो में स्थापित करने के अपने फैसले को सही ठहराने में लगे है। हीरा व्यापरी संघ पन्ना के अध्यक्ष श्रीनिवास रिछारिया इससे बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं। उनका आरोप है कि कतिपय लोग निहित स्वार्थों की पूर्ती के लिए इस तरह के कुतर्क पेश कर सरकार को गुमराह कर रहे है। इनका असल मकसद खजुराहो की होटल मालिकों को लाभ पहुँचाना है।
श्रीनिवास रिछारिया, अध्यक्ष, हीरा व्यापारी संघ पन्ना।
आपने बताया कि पन्ना जिले के मझगवां क़स्बा में एनएमडीसी लिमिटेड की हीरा खदान से निकलने वाले हीरों की नीलामी मझगवाँ में ही 50 वर्षों से सफलतापूर्वक आयोजित हो रही है है। करीब 3-4 दिनों तक चलने वाली इस नीलामी में पूरे देश से हीरा व्यापारी शामिल होते है। पन्ना में होने वाली उथली खदानों के हीरों नीलामी भी तकरीबन 200 चल रही है। इसमें भी देश भर के हीरा कारोबारी भाग लेते है। यह सब तब से चल रहा है जब पन्ना में सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं था पर आज तो हीर व्यापारियों के ठहरने के लिए अच्छे होटल है।
पन्ना के महेन्द्र भवन में कुछ माह पूर्व लगी बंदर डायमण्ड ब्लॉक के हीरों की एग्जिबिशन का फाइल फोटो।
हीरा व्यापारी संघ पन्ना के अध्यक्ष श्रीनिवास रिछारिया के अनुसार हीरा व्यापारी हीरे खरीदने के लिए सात समुंदर पार कर अफ्रीकी देशों तंजानिया, घाना, सियरा लियोन और दुबई तक जाते है। अफ्रीका महाद्वीप के देशों के जो हालात है उसके मद्देनजर पन्ना की स्थिति तो काफी बेहतर है। रहा सवाल हवाई यात्रा और रेल यात्रा सुविधा का तो अधिकांश हीरा व्यापारी पन्ना की नीलामी में शामिल होने के लिए रेल मार्ग से पहले सतना आते थे पर अब तो इसकी आधी दूरी पर खजुराहो में रेल सुविधा हो गई है। हीरा व्यापारी संघ पन्ना के अध्यक्ष श्री रिछारिया का कहना है कि महानगरों में एयरपोर्ट भी आमतौर पर 40-50 किलोमीटर दूर होते हैं इसलिए जिसे हवाई यात्रा करनी है उसे पन्ना से खजुराहो जाने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी। आपका मानना है कि प्रदेश सरकार यदि वाकई पन्ना का समग्र विकास चाहती है तो उसे अपने फैसले पर गम्भीरता पूर्वक पुनर्विचार करते हुए डायमंड ऑक्शन तथा एग्जीबिशन सेंटर यहाँ स्थापित करना चाहिए। क्योंकि डायमंड पार्क में ही हीरों की नीलामी होना बेहद जरुरी है।

इनका कहना है –

“एनएमडीसी लिमिटेड की हीरा खनन परियोजना मझगवां में कई दशकों से हीरों की नीलामी सफलतापूर्वक आयोजित की जा रही है। जिसमें देश के कोने-कोने से हीरा कारोबारी भाग लेते है। पहले यह नीलामी 5-6 दिनों तक चलती थी पर अब कुछ वर्षों से ई-ऑक्शन होने लगा है। अब हीरा व्यापारी ऑनलाइन बोली लगाने के पूर्व मझगवां आकर हीरों का अवलोकन करते हैं, यह प्रक्रिया 3 दिनों तक चलती है। मझगवां की हीरा नीलामी में शामिल होने में हीरा व्यापारियों ने आज तक कभी भी किसी तरह की कोई असुविधा या समस्या होने की बात नहीं कही है।”

– समर बहादुर सिंह, श्रमिक नेता, हीरा खनन परियोजना मझगवां।

“हीरा सिर्फ पन्ना में निकलता है इसलिए हीरे से संबंधित प्रत्येक गतिवधि पन्ना में ही होना चाहिए, डायमंड पार्क पन्ना में और डायमंड ऑक्शन तथा एग्जीबिशन सेंटर खजुराहो में स्थापित किया जाना पूर्णतः अनुचित है। इस बात को विधानसभा के शीतकालीन सत्र में उठाया जाएगा। डायमंड पार्क को दो हिस्सों में बांटने संबंधी प्रदेश सरकार का निर्णय पन्ना के हितों पर कुठाराघात है, हम इसका डटकर विरोध करेंगे।”

– बृजेन्द्र प्रताप सिंह, विधायक पन्ना।