पन्ना टाईगर रिजर्व की सुरक्षा में तस्करों ने फिर लगाई सेंध, पार्क को पहुँचाई बड़ी क्षति, संकट में आया बाघों का संसार !

0
1720
स्थल पर सागौन के पेड़ों अवैध कटाई की जाँच करने के लिए जाते एसटीएफ टीम भोपाल के अधिकारी।

* बफर क्षेत्र के जंगल में सागौन के 600 से अधिक पेड़ों की अवैध कटाई

* भोपाल से जांच करने आई एसटीएफ की टीम तो मचा हड़कम्प

* आनन-फानन में डिप्टी रेंजर और वनरक्षक को किया सस्पेंड

* मामले की जानकारी देने से दिन भर बचते रहे पार्क के अधिकारी

शादिक खान, पन्ना।(www.radarnews.in) मध्यप्रदेश का पन्ना टाईगर रिजर्व अपने कुप्रबंधन के कारण एक बार फिर सुर्खियों में है। पार्क की सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी लापरवाही उजागर होने के मद्देनजर यहाँ पुनः आबाद हुआ बाघों का संसार गम्भीर संकट से घिरा हुआ नजर आ रहा है। पन्ना टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में सागौन तस्करों ने बड़े पैमाने पर सागौन के पेड़ों का कत्लेआम किया है। इस घटना से पार्क में विचरण करने वाले बाघों, दूसरे वन्यजीवों और संरक्षित क्षेत्र के जंगल की चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था के दावों की पोल खुल गई है। बड़े पैमाने पर सागौन की अवैध कटाई के सनसनीखेज मामले का खुलासा गुरुवार को उस वक्त हुआ जब भोपाल से एसटीएफ की टीम मामले की जांच के सिलसिले में पन्ना स्थित टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के कार्यालय पहुचीं। एसटीएफ की टीम के आने से पन्ना टाईगर रिजर्व समेत जिले के वन विभाग में हड़कम्प मच गया। बमुश्किल तीन माह के अंदर यह दूसरी बड़ी घटना है जब बाहर की टीम को किसी मामले की जांच करने के लिये पन्ना आना पड़ा है। इसके पूर्व पन्ना के दक्षिण वन मंडल अंतर्गत रैपुरा रेंज में जंगली सुअर के शिकारी को रेंज कार्यालय से रूपये लेकर छोड़ने के बहुचर्चित प्रकारण की जांच करने टाईगर स्ट्राईक फोर्स सतना की टीम आई थी।

दो बीटों में हुई अवैध कटाई

सागौन की अवैध कटाई और मामले की जांच के संबध में पन्ना टाईगर रिजर्व के अधिकारी आज पूरे दिन पत्रकारों को जानकारी देने से बचते रहे। फिर भी इस सम्बध में जितनी जानकारी हांसिल हुई है उसके मुताबिक, पन्ना टाईगर रिजर्व की पन्ना बफर रेंज अंतर्गत तकरीबन 625 पेड़ों की अवैध कटाई की गई है। सागौन की अवैध कटाई बीट हरसा-बी और खजुरी अंतर्गत होना बताया जा रहा है। एसटीएफ की टीम के प्रमुख एस. के. जौहरी के साथ मौके पर पहुँचे पन्ना टाईगर रिजर्व के अधिकारी और मैदानी अमला आज दिन भर ठूंठों की गिनती और अवैध कटाईं से हुई आर्थिक क्षति का आंकलन करता रहा। उधर इस मामले के तूल पकड़ने के बाद सम्बधित रेंज के डिप्टी रेंजर गोविन्द दास सौर और बीटगार्ड अनिल कुमार प्रजापति को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

3 करोड़ से अधिक की पहुँची क्षति

पन्ना टाईगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में तस्करों द्वारा कटवाए गए सागौन के पेड़ का ठूँठ।
पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक व उप संचालक से जब अवैध कटाई से होने वाली क्षति की जानकारी चाही गई तो उन्होने आंकलन का कार्य जारी होने की बात कहते हुये फोन काट दिया। पता चला है कि सागौन की सामूहिक रूप से अवैध कटाई होने की गुप्त सूचना अथवा शिकायत किसी व्यक्ति द्वारा प्रधान मुख्य वन संरक्षक भोपाल को दी गई। फलस्वरूप इस चिंताजनक मामले को अत्यंत ही गम्भीरता से लेते हुए पीसीसीएफ ने जाँच हेतु भोपाल से एस.के. जौहरी के नेतृत्व में एसटीएफ की टीम को तत्काल पन्ना के लिए रवाना किया गया। उधर, इस मामले की भनक विभाग के शीर्ष अधिकारियों को लगने से पन्ना टाईगर रिजर्व प्रबंधन ने अपनी उदासीनता और नाकामी को छिपाने के लिए प्रथम दृष्टया छोटे कर्मचारियों पर कार्यवाही का चाबुक चलाना शुरू कर दिया है। एक अनुमान के मुताबकि बड़े पैमाने पर हुई सागौन की अवैध कटाई से वन विभाग को लगभग 3 करोड़ से अधिक की क्षति पहुँचीं है। बाजार मूल्य से यदि क्षति का आँकलन किया जाए तो यह लगभग 4 करोड़ से ज्यादा होती है।

न टाईगर बचेंगे न जंगल !

सांकेतिक फोटो।
पन्ना टाईगर रिजर्व की सुरक्षा व्यवस्था में बार-बार लग रही गम्भीर सेंध से इतना तो साफ हो चुका है कि यहाँ पर सबकुछ ठीक नहीं है। क्योंकि अभी ज्यादा समय नहीं हुआ जब लोकसभा चुनाव के समय पन्ना कोर रेंज के अंतर्गत आने वाले रमपुरा तालाब में कथित तौर पर अज्ञात शिकारियों के द्वारा बड़े पैमाने में वन्यप्रणियों का शिकार करने के उद्देश्य से तालाब के पानी में जहर घोल गया था। तालाब में बड़ी तादात मे मछलियां मरने के बाद इसकी भनक वहां तैनात मैदानी कर्मचारियों और अधिकारियों को लगी थी। इतना ही नहीं पानी में जहर घोलने के बाद कथित शिकारी बकायदा कट्टा लेकर अवैध तरीके से रमपुरा तालाब में पहुंच कर मरी हुई मछलियां एकत्र करते हुये पकडे़ गये थे। इसके अलावा लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व पन्ना टाईगर रिजर्व की गहरीघाट रेंज अंतर्गत रेडियो कॉलर वाली एक युवा बाघिन के शिकार की हैरान करने वाली घटना सामने आई थी। इस बाघिन का शिकार पन्ना टाईगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में क्लिच वायर का फंदा लगा कर किया गया था।
पन्ना टाईगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक के कार्यालय से बाहर निकलते एसटीएफ टीम भोपाल के अधिकारी।
गौर करने वाली बात यह है कि रेडियो कॉलर वाले बाघ-बाघिनों की 24 घण्टे निगरानी होती है। वाहन में सवार एक टीम इनके पीछे बकायदा एक एन्टीना लेकर इनके सिग्नल चैक करते हुये चलती है। इस तरह रेड़ियो कॉलर वाले बाघ-बाघिनों के पल-पल के मूवमेंट पर पैनी नजर रखी जाती है। बाबजूद इसके कोर क्षेत्र में बाघिन का शिकार होना पार्क की सुरक्षा व्यवस्था और निगरानी तंत्र के पूर्णतः फेल होने प्रमाण है। पार्क की सुरक्षा व्यवस्था में इसी तरह बार-बार यदि आपराधिक लापरवाही उजागर होती रही तो इन हालत में पन्ना टाईगर रिजर्व एक बार फिर बाघ विहीन हो सकता है। पार्क की सुरक्षा व्यवस्था अत्यंत ही लचर होने और यहाँ अराजकतापूर्ण स्थिति निर्मित होने का बड़ा कारण मौजूदा जिम्मेदार अधिकारियों का कुप्रबंधन जिम्मेदार है। इनका फोकस वन्यजीवों एवं वनों पर न होकर निर्माण कार्यों तथा खरीदी से होने वाली निहित स्वार्थपूर्ति पर कहीं अधिक है।