* उमा भारती राष्ट्रीय नेता नहीं सिर्फ लोधी समाज को ठिकाने लगाने वाली नेता बनीं
* पन्ना जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने की आमसभा
शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज मध्यप्रदेश सरकार में पीएचई विभाग की मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी की पिछड़े वर्ग की कद्दावर नेत्री सुश्री कुसुम सिंह मेहदेले ने अपने एक और ट्वीट से पार्टी में हड़कंप मचा दिया है। बिना किसी लाग-लपेट के बड़ी ही बेबाकी के साथ अपनी बात रखने वाली मंत्री मेहदेले ने इस बार बीजेपी की फायर ब्रांड नेत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को निशाने पर लिया है। लोधी समाज से आने वाली कुसुम सिंह मेहदेले ने अपने ही समाज की साध्वी एवं प्रख्यात नेत्री उमा भारती को उनकी मौजूदा राजनैतिक हैसियत बताई है। अपने ट्विटर हैंडल से उमा भारती की आमसभा का एक फोटो पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा है कि- “उमा भारती जी अब राष्ट्रीय नेता नहीं सिर्फ लोधी समाज को ठिकाने लगाने वाली नेता के रूप में उपयोग वाली नेता रह गईं हैं। पन्ना जिले के खोरा ग्राम में दिया गया भाषण यही कहता है। लोधी बहुल क्षेत्र में ही इनके भाषण करवाये जाते हैं।” सोमवार 19 नवंबर की शाम करीब 7 बजे किया गया यह ट्वीट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने सोमवार को पन्ना जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्रों- पवई, गुनौर और पन्ना में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में आमसभा को संबोधित करते हुए उनके लिए वोट मांगे। पवई और पन्ना विधानसभा क्षत्रे में सुश्री भारती की आमसभा लोधी बाहुल्य इलाके में क्रमशः रैपुरा क़स्बा और खोरा ग्राम में आयोजित हुई। इसके कुछ दिन पूर्व भी भाजपा की वरिष्ठ नेत्री कुसुम मेहदेले ने एक अन्य ट्वीट कर टिकिट वितरण में अपनाये गए मापदंड पर खुलकर अपनी नाराजगी-आपत्ति जाहिर करते हुए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पर तंज कसा था। उन्होंने अपने ट्वीट में मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का पूरा नाम न लिखकर सिर्फ तोमर लिखा था। अपना टिकिट काटे जाने से नाराज मंत्री मेहदेले के तेवरों की चर्चा समूचे जिले में हो रही है। आपसी बातचीत में लोग उनका टिकिट काटने के भाजपा के फैसले पर हैरानी जता रहे हैं। वाट्सएप पर संजय सिंह राजपूत नाम के व्यक्ति ने भी पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए उन्हें अवसरवादी और समाज विरोधी नेता बताया है। साथ ही उनकी भूमिका पर शर्मिंदा होने का पोस्ट किया है।
अंदरखाने नाराज हैं भाजपा के नेता
उल्लेखनीय है कि पन्ना विधानसभा सीट पर भाजपा ने इस बार अंतिम समय में अप्रत्याशित निर्णय लेते हुए मंत्री कुसुम मेहदेले का टिकिट काटकर उनके स्थान पर बृजेन्द्र प्रताप सिंह को उम्मीदवार घोषित कर दिया। पूर्व में बृजेन्द्र प्रताप सिंह को बीजेपी ने पवई सीट से उम्मीदवार घोषित किया था। लेकिन ऐन वक्त पर चौंकाने वाला निर्णय लेते हुए पार्टी नेतृत्व ने कांग्रेस के बागी और पवई सीट से समाजवादी पार्टी से पर्चा दाखिल कर चुके प्रहलाद लोधी को अपना प्रत्याशी बना दिया। इधर, बृजेन्द्र को पवई से हटाकर पन्ना भेज दिया गया। विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि समाप्ति के ठीक एक दिन पहले हुए इस हैरान करने वाले फेरबदल से पवई और पन्ना दोनों ही सीटों पर टिकिट की दौड़ में रहे भाजपा नेताओं में अंदरखाने गहरी नाराजगी और असंतोष व्याप्त है। हालांकि, मंत्री मेहदेले और पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष जयप्रकाश चतुर्वेदी को छोड़कर किसी ने भी पार्टी के निर्णय के खिलाफ खुलकर बोलने का साहस नहीं दिखाया। मंत्री कुसुम सिंह मेहदेले ने कुछ दिन पूर्व एक और ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने बृजेन्द्र प्रताप सिंह को पन्ना से टिकिट देने के निर्णय पर तथ्यात्मक तरीके से सवाल उठाये थे।
रिकार्ड मतों से जीत के बाद भी टिकिट काटा
मालूम होकि मंत्री कुसुम सिंह मेहदेले ने वर्ष 2013 में यानि पिछले विधानसभा चुनाव अपनी परंपरागत पन्ना सीट से करीब 29 हजार से अधिक रिकार्ड मतों के अंतर् से जीता था। इस चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार महेंद्र पाल वर्मा निकटम प्रतिद्वंदी रहे। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी मीना सिंह यादव तीसरे स्थान रहीं और वे अपनी जमानत भी नहीं बचा पाईं थीं। दोनों प्रत्याशियों को जितने वोट मिले थे उससे कहीं अधिक वोटों से मेहदेले ने जीत हांसिल की थी। जबकि पवई सीट से कांग्रेस के मुकेश नायक से ब्रजेन्द्र प्रताप पिछला चुनाव साढ़े ग्यारह हजार मतों के अंतर् से हार गए थे। मोदी और शिवराज की लहर के बाबजूद बृजेन्द्र को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। बाबजूद इसके मंत्री मेहदेले का पन्ना से टिकिट काटकर बृजेन्द्र को पन्ना से उम्मीदवार बनाया गया। अपने ट्वीट में कुसुम मेहदेले ने पूंछा था कि 29 हजार वोट से जीतने वाले का टिकिट काटा गया और साढ़े ग्यारह हजार वोट से हारने वाले को किस आधार पर टिकिट दिया गया। पन्ना सीट से 6 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुकीं सुश्री मेहदेले ने चार चुनाव बड़े अंतर् से जीते जबकि 2 बार उन्हें मामूली मतों के अंतर् से हार का सामना करना पड़ा है। वर्ष 2008 में वे महज 42 वोट के अंतर् से चुनाव हर गईं थीं। टिकिट वितरण से नाराज मंत्री मेहदेले ने इस बार भाजपा के चुनाव प्रचार से भी दूरी बना रखी है।
क्या चुनाव पर पड़ेगा असर !
टिकिट वितरण से हतप्रभ मंत्री कुसुम मेहदेले औपचारिक चर्चा में कई बार यह कह चुकीं है कि, मेरा टिकिट काटकर पार्टी यदि पन्ना सीट से टिकिट के दावेदार रहे दूसरे नेताओं को प्रत्याशी बनाती तो उन्हें आपत्ति नहीं होती लेकिन जिसने पन्ना में कभी काम ही नहीं किया उसे पवई से हटाकर सबको नजरअंदाज करते हुए पन्ना से टिकिट देना उचित नहीं है। उधर, पवई सीट पर टिकिट वितरण से असंतुष्ट भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष जयप्रकाश चतुर्वेदी ने तो बगावत करते हुए निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा तक दाखिल कर दिया था। लेकिन वरिष्ठ नेताओं की समझाइश के बाद उन्होंने अपना नामांकन फार्म वापिस ले लिया। बहरहाल, मंत्री कुसुम सिंह मेहदेले ने बगावत तो नहीं की लेकिन उनके द्वारा सोशल मीडिया पर उठाये जा रहे तीखे सवाल भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को असहज करने के साथ-साथ उनके मनमाने फैसलों से पन्ना जिले के पन्ना और पवई विधानसभा क्षेत्र के पार्टी कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों में व्याप्त असंतोष की प्रतिध्वनि सुनाई दे रही है। अपनों की अंदरखाने गहरी नाराजगी को देखते हुए भाजपा के दोनों प्रत्याशियों को भितरघात की आशंका सता रही है जिसे लेकर वे सकते में है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि है चुनाव परिणाम पर इसका कितना असर पड़ता है।