पन्ना जिले में जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण चरम पर है अराजकता
शादिक खान, पन्ना। रडार न्यूज मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड अंचल का अति पिछड़ा पन्ना जिला लंबे समय से भ्रष्ट अफसरों और नाकारा जनप्रतिनिधयों का चारागाह बना है। यहां व्याप्त अंधेरगर्दी चरम पर है, उत्तरदायित्व के आभाव मैदानी अमला खुलकर मनमानी कर रहा है जिसका दुष्परिणाम यह है कि शासन की महत्वकांक्षी योजनायें दम तोड़ रही है और हालात में बदलाव लाकर न्यू इंडिया बनाने की उम्मीद बेमानी साबित हो रही है। जिले में सबसे ज्यादा अराजकतापूर्ण स्थिति स्वास्थय विभाग तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में निर्मित है। जनपद पंचायत पन्ना के अंतर्गत आने वाली आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत गहदरा का मामला इसका एक उदाहरण मात्र है। यहां करीब 2-3 वर्ष पूर्व निर्मित उप स्वास्थय केंद्र भवन को पंचायत के नुमाइंदों ने शासकीय उचित मूल्य की राशन दुकान में तब्दील कर दिया है।
बीआरजीएफ योजना के तहत वर्ष 2013-14 में स्वीकृत 8 लाख रुपये की लागत वाले स्वास्थय केंद्र भवन में पिछले कई महीनों से राशन की दुकान धड़ल्ले से संचालित हो रही है। इतना ही नहीं इस भवन में सरकारी राशन सामग्री के अलावा गांव के दबंगों का अनाज व चारा आदि भंडारित है। इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी कि गहदरा का उप स्वास्थय केंद्र वर्षों से किराये के एक तंग कमरे में संचालित है जबकि उसके लिए बने भवन को निर्माण एजेंसी ने मनमाने तरीके से राशन दुकान व अनाज गोदाम में तब्दील कर दिया है। इस भवन को ग्राम पंचायत द्वारा अब तक स्वास्थय विभाग को हस्तांतरित ना करना भी समझ से परे है । उधर स्वास्थय विभाग के अधिकारी इसे लेकर बेपरवाह है।
शौंचालय निर्माण के लिए नहीं मिला राजमिस्त्री
कुछ दिन पूर्व मीडियाकर्मियों की टीम द्वारा इस मामले को प्रमुखता से उठाने पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थय अधिकारी का कर्तव्य बोध जाग गया। उन्होंने अपनी उदासीनता को छिपाने के लिए आनन-फानन में उप स्वास्थय केंद्र भवन हस्तांतरित करने के लिए सरपंच ग्राम पंचायत गहदरा को पत्र लिख दिया। इस पत्र की प्रतिलिपि वरिष्ठ अधिकारियों प्रेषित की गई ताकि बात ऊपर तक पहुंचने की स्थिति में जबाब देना आसान हो सके। मजेदार बात यह कि ग्राम पंचायत गहदरा के सचिव से पुष्पेंद्र सिंह से जब पांच साल बाद भी उक्त भवन हैंडओवर न करने का कारण पूंछा गया तो उन्होंने बताया कि शौंचालय का निर्माण न होने कि वजह भवन अधूरा है। उन्हें अब तक कोई राजमिस्त्री नहीं मिला इसलिए शौंचालय का निर्माण नहीं हो सका। पंचायत सचिव का यह जबाब असंतोषजनक होने के साथ-साथ इस बात संकेत भी है कि, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में जबाबदेही के आभाव में वे अपनी अकर्मण्यता पर पर्दा डालने के लिए निर्लज्जता के साथ सफेद झूठ बोल रहे हैं। पंचायत सचिव से जब पूंछा गया कि स्वास्थय केंद्र भवन बनाने वाले राजमिस्त्री को क्या शौंचालय बनाना नहीं आता था? जबकि पंचायतों पिछले साढ़े चार सालों सिर्फ शौंचालय ही बन रहे हैं। इससे निरुत्तर पंचायत सचिव मोबाइल पर चर्चा के दौरान हंसते हुए बोले वहां से सप्ताह भर में शौंचालय का निर्माण कराकर स्वास्थय केंद्र भवन को हैंडओवर कर दिया जायेगा। उनके अनुसार स्वास्थय केंद्र भवन में राशन दुकान सरपंच ने खुलवाई थी जिसे वहां से तत्काल हटाया जा रहा है।
अवैध क्लीनिक से चलाता है ग्राम पंचायत
पन्ना जिले की जनपद पंचायत अजयगढ़ की ग्राम पंचायत कुंवरपुर के पंचायत सचिव हरचरण पटेल का मामला हमारी व्यवस्था के खोखलेपन को उजागर करता है। यहां थोड़ी सी चढ़ोत्री चढ़ाकर किस तरह आसानी से अवैध कार्य करने की छूट मिल जाती है। जिससे हरचरण पटेल सरीके के लोग इस भ्रष्ट व्यवस्था का लाभ उठाते हुए न सिर्फ खुलेआम तमाम नियम-कानूनों की घज्जियां उड़ा रहे हैं बल्कि इंसानी जान के साथ खिलवाड़ करने का गंभीर अपराध भी कर रहे हैं। ये महाशय ग्राम भापतपुर में लंबे समय से बिना किसी वैध लाइसेंस और फार्मेसी की डिग्री के मेडीकल स्टोर सह क्लीनिक संचालित कर रहे हैं। दवायें बेंचने के अलावा हरचरण पटेल अपने अनुभव से सर्दी-जुकाम, बुखार और दर्द आदि का इलाज कर देते हैं।
पंचायत सचिव से झोलाछाप डॉक्टर बने हरचरण पटेल अपनी पंचायत के काम दवा दुकान से ही निपटाते है। कभी-कभार कोई विशेष कार्य पड़ने पर ही इनका कुंवरपुर आना होता है इसलिए सचिव से संबंधित कार्यों के लिए कुंवरपुर के लोगों को ग्राम भापतपुर तक भटकना पड़ता है। गत दिवस मीडियाकर्मियों की टीम ने भापतपुर पहुंचकर पंचायत सचिव हरचरण पटेल से जब उनकी दवा दुकान सह क्लीनिक के वैध पंजीयन तथा डिग्री के संबंध में पूंछा तो वे मौके पर कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर सके। इससे पता चलता है कि हरचरण पटेल के पास दवा दुकान का लाइसेंस भले ही न हो लेकिन पंचायत सचिव रहते हुए उनके इस गैरकानूनी कार्य पर स्वास्थय विभाग पन्ना के सीएमएचओ, अजयगढ़ बीएमओ, ड्रग इंस्पेक्टर, अजयगढ़ के जनपद पंचायत सीईओ और जिला पंचायत सीईओ को शायद किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं है, इसलिए सबकुछ बड़े मजे से चल रहा है।
इनका कहना है-
“स्वास्थय केंद्र की बिल्डिंग 2-3 वर्ष पूर्व ही बन गई थी लेकिन अभी तक विभाग को हैंडओवर नहीं हुई जिससे उप उप स्वास्थ्य केंद्र किराये के कमरे में संचालित करना पड़ रहा है। यहां की स्थिति से वरिष्ठ अधिकारी भलीभांति अवगत है।”
-विद्यावती लखेरा, एएनएम गहदरा।
“उप स्वास्थय केंद्र भवन 2-3 वर्ष पूर्व बनकर तैयार हो गया था यह किस कारण से अब तक हैंडओवर नहीं हुआ सरपंच-सचिव से बात करने पर ही पता चलेगा। जीआरएस से मेरी बात हुई थी उसने कुछ कार्य शेष होने की जानकारी दी थी। समय पर भवन का कार्य पूर्ण ना होना और उसका हस्तांतरण न होने के लिए कौन जबाबदेह, इस संबंध में क्या कह सकता हूं।“
-मुकेश शिवहरे, उपयंत्री जपं पन्ना।
“सरपंच ने सेल्समैन को व्यवहारिकता में भवन की चाबी दे दी थी, भवन का कार्य अधूरा है इसलिए हैंडओवर नहीं किया। इंजीनियर और पंचायत सचिव से मेरी बात हुई है भवन को खाली कराया जा रहा है। इसे शीघ्र ही पूर्ण कराकर हैंडओवर करने की बात कही है।”
-डॉ. एलके तिवारी, सीएमएचओ पन्ना।
“आपके माध्यम से यह हैरान करने वाली जानकारी मिली है कि कुंवरपुर पंचायत सचिव अपने मुख्यालय में न रहकर भापतपुर ग्राम में अवैध रूप से दवा दुकान चला रहा है। इसकी जांच कराकर नियमनुसार कार्रवाई की जायेगी।“