वनाधिकार पट्टों को लेकर मोहन सरकार के उदासीन रवैये से आदिवासी समुदाय नाराज

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विश्व आदिवासी अधिकार दिवस के उपलक्ष्य पर जनजाति समुदाय को वनाधिकार पट्टा प्रदान करने की मांग को लेकर ज्ञापन सौंपते जयस के पदाधिकारी।

*    पन्ना विधानसभा क्षेत्र के सैंकड़ों सुपात्र आदिवासी वनाधिकार से वंचित

*    कब्जे की भूमि से वन विभाग द्वारा बेदखल करने से उपजा आक्रोश

*    प्रभावित परिवारों को उनका हक दिलाने जयस संगठन ने दी आंदोलन की चेतावनी

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) वन अधिकार अधिनियम 2006 का मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में सुचारू तरीके से क्रियान्वयन न होने के कारण आज भी अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) एवं अन्य परंपरागत वनवासी बड़ी संख्या में कब्जे की वन भूमि पर मालिकाना हक़ रूपी अधिकार पत्र (भूमि पट्टा) पाने से वंचित हैं। आदिवासी परिवार वषों से जंगल में जहां भी अपनी झोपड़ी बनाकर परिवार के साथ रह रहे या फिर जिस वन भूमि पर खेती-किसानी करके अपना जीविकोपार्जन कर रहे हैं, उस भूमि पर उनके व्यक्तिगत दावे को मान्यता न मिलना आदिवासियों के कल्याण को लेकर सूबे की मोहन सरकार के बड़े-बड़े दावों पर सवाल खड़े करता है। वनाधिकार के व्यक्तिगत तथा सामुदायिक दावों को मान्यता दिलाने के प्रति राज्य सरकार और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता वन भूमि से आदिवासियों की बेदखली का कारण बन रही है। जिसे लेकर जिले की पन्ना विधानसभा क्षेत्र के आदिवासियों में गुस्सा देखा जा रहा है। शनिवार को डोभा ग्राम में जयस के बैनर तले जुटे आदिवासियों ने खुलकर अपनी पीड़ा जाहिर की। इस अवसर पर जयस ने मुख्यमंत्री के नाम पन्ना एसडीओपी एसपी सिंह बघेल को ज्ञापन सौंपते वनाधिकार पट्टों के मामले में कार्रवाई न होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है।

आदिवासी अधिकार दिवस पर गूंजा वनाधिकार का मुद्दा

विश्व आदिवासी अधिकार दिवस शनिवार 13 सितम्बर को जनपद पंचायत पन्ना की ग्राम पंचायत डोभा में आसपास के आधा दर्जन गांवों में रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोग एकत्र हुए। जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन के तत्वाधान में आयोजित इस कार्यक्रम में वनाधिकार के मालिकाना हक़ से वंचित सुपात्र आदिवासी परिवारों की आवाज़ को बुलंद किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जयस (JAYS) के पन्ना जिलाध्यक्ष मुकेश कुमार गौंड़ एवं विशिष्ट अतिथि मुन्ना सिंह मरकाम रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता बिजू गौड़ ने की। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा धरती आबा बिरसा मुंडा, बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। तदुपरांत आदिवासियों के आराध्य बड़ा देव का पुण्य स्मरण किया गया।

कब्जे की भूमि से बेदखल कर रहा वन विभाग

उल्लेखनीय वन भूमि में निवास करने वाले आदिवासियों तथा अन्य परंपरागत वनवासियों को उनके कब्जे की भूमि का मालिकाना हक़ प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2006 में केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली मनमोहन सिंह सरकार ने वन अधिकार अधिनियम को लागू किया था। इस ऐतिहासिक कानून के तहत देशभर में लाखों आदिवासियों को व्यक्तिगत वनाधिकार पट्टा देकर उनके कब्जे को क़ानूनी मान्यता दी गई। साथ ही वनों में रहने वालों को बेरोकटोक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मंशा से वनाधिकार के सामुदायिक दावों को मान्य किया गया। लेकिन विडंबना यह है कि पन्ना जिले में आज भी सैंकड़ों सुपात्र वनाधिकार क़ानून के लाभ से वंचित हैं। कारण वन क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय समुदायों और अन्य पारंपरिक वनवासियों के अधिकारों की रक्षा को लेकर राज्य सरकार, जिला प्रशासन एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि घोर उदासीन बरत रहे हैं। कार्यक्रम में जुटे आदिवासियों ने बताया कि वर्षों से या फिर कई पीढ़ियों से वे जिस वन भूमि पर काबिज हैं, वन विभाग द्वारा उन्हें उससे बेदखल किया जा रहा है। कब्जे की भूमि का मालिकाना हक़ देने के बजाए उल्टा वनभूमि से बेदखल किये जाने से प्रभावित आदिवासियों ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए इसे वनाधिकार कानून का खुला उल्लंघन करार दिया।

भूख हड़ताल करने की चेतावनी

अतिथियों ने अपने उद्बोधन आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार को लेकर गहरा रोष प्रकट किया है। जयस नेताओं ने राज्य सरकार पर आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा को लेकर उदासीन रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि वनाधिकार के व्यक्तिगत एवं सामुदायिक दावों को मान्यता न मिलने के कारण बड़ी संख्या में आदिवासी परिवार सम्मानपूर्वक जीवन यापन नहीं कर पा रहे हैं। वन विभाग के अफसर जंगल का कानून चलाते हुए उनके हक़-अधिकार को कुचल रहे हैं। परिणामस्वरूप वन क्षेत्र में जनजाति समुदाय के लोग न तो चैन से रह पा रहे और ना ही वे वनोपज संग्रहण तथा वन भूमि का उपयोग और प्रबंधन कर पा रहे हैं। जिससे जनजातीय समुदाय का पारम्परिक जीवन और संस्कृति पर संकट में है। जयस ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम ज्ञापन सौंपकर आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए तत्परता से वंचित परिवारों को वनाधिकार पट्टा प्रदान करने की पुरजोर मांग की है। इस संबंध में शीघ्रता से कार्रवाई न होने पर जयस ने भूख हड़ताल करने की चेतावनी दी है। कार्यक्रम में प्रकाश गौंड़ जनपद सदस्य, मनसुख गौंड़ समाना सरपंच, भीम आर्मी जिला अध्यक्ष सुनील टाइगर, रामू गौंड़ पूर्व सरपंच डोभा, एडवोकेट सोनेलाल प्रजापति, सुरेश कुमार गौंड़, रामशरण गौंड़, बीरन सिंह गौंड़, दुर्गेश अरविंद, जोगेंदर, रिंकू, बबलू गौंड़ सहित बड़ी संख्या जनजाति समुदाय के लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम सफल संचालन समाजसेवी रामविशाल गौंड़ एवं उपस्थितों का आभार प्रकट अरविंद कुमार गौंड़ ने किया।