* विधायक दल की बैठक में सीएम शिवराज ने रखा यादव के नाम का प्रस्ताव
* प्रदेश में दो डिप्टी सीएम भी होंगें- राजेन्द्र शुक्ल और जगदीश देवड़ा के नाम की चर्चा
शादिक खान, भोपाल। (www.radarnews.in) विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद करीब सप्ताह भर तक चली उठापटक के बाद आज शाम मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो गया है। प्रदेश के उज्जैन दक्षिण विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-217 से विधायक डॉ. मोहन यादव मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री होंगें। ख़बरों के अनुसार भोपाल स्थित भाजपा के प्रदेश कार्यालय में सोमवार को पार्टी के विधायक दल की बैठक केंद्रीय पर्यवेक्षकों की मौजूदगी में संपन्न हुई। जिसमें निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा जिसका सभी विधायकों ने एक स्वर में पूर्ण समर्थन किया। शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे डॉ. मोहन यादव को भाजपा ने मुख्यमंत्री चुनकर एक बार सबको चौंका दिया है। क्योंकि सीएम की रेस में उनका नाम दूर-दूर तक चर्चा में नहीं था। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में ओबीसी समुदाय से शिवराज सिंह चौहान और प्रहलाद पटेल का नाम आगे चल रहा था। लेकिन, पार्टी ने ओबीसी समीकरण को साधने के लिए स्वच्छ छवि के नए नेता को चुनना बेहतर समझा। ओबीसी वर्ग से आने वाले मोहन यादव स्वच्छ छवि के उच्च शिक्षित नेता हैं। उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का करीबी माना जाता है। यादव की छवि जुझारू और संघर्षशील नेता की रही है।
एक भी क्रिमिनल केस नहीं
बता दें कि, डॉ. मोहन यादव पहली बार 2013 में विधायक निर्वाचित हुए थे। इसके बाद 2018 में उन्होंने दूसरी बार उज्जैन की दक्षिण सीट से चुनाव जीता। वर्ष 2020 में शिवराज के नेतृत्व में एमपी में पुनः भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने पर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में कार्य करते हुए प्रदेश की सियासत में उनका कद बढ़ा। हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनाव में उज्जैन दक्षिण सीट से बीजपी के उम्मीदवार रहे मोहन यादव ने कांग्रेस के चेतन प्रेम नारायण को 12941 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया था। मोहन यादव ने 2023 निर्वाचन आयोग को दिए गए शपथ पत्र में बताया है कि उनके पास 42 करोड़ से अधिक की सम्पत्ति है। इसमें लगभग 10 करोड़ की चल और 32 करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति शामिल है। उनके ऊपर एक भी आपराधिक प्रकरण (क्रिमिनल केस) दर्ज नहीं है।
छात्र नेता के रूप में राजनीतिक सफर की शुरुआत
डॉ. मोहन यादव की वर्तमान आयु 58 वर्ष है। उनका जन्म 25 मार्च 1965 को उज्जैन में हुआ था। उनकी पत्नी का नाम श्रीमती सीमा यादव है। डॉ. यादव के परिवार में 2 पुत्र और एक पुत्री है। आपकी शैक्षणिक योग्यता बी.एस.सी., एल-एल.बी., एम.ए.(राज.विज्ञान), एम.बी.ए.,पी.एच.डी. है। मोहन यादव ने छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। वह सन् 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय में छात्रसंघ के सह-सचिव रहे। इसके बाद वर्ष 1984 में अध्यक्ष बने। सन् 1984 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) उज्जैन के नगर मंत्री एवं 1986 में विभाग प्रमुख के पद पर पहुंचे। बाद में उन्हें सन् 1988 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद मध्यप्रदेश के प्रदेश सहमंत्री एवं राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया। 1989-90 में परिषद की प्रदेश इकाई में प्रदेश मंत्री बने और फिर आगे बढ़ते हुए सन् 1991-92 में परिषद के राष्ट्रीय मंत्री के पद तक पहुंच गए। वह सन् 1993-95 में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ उज्जैन नगर के सह खण्ड कार्यवाह बने। 1997 में भारतीय जनता युवा मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने। बाद में सन् 1998 में पश्चिम रेलवे बोर्ड की सलाहकार समिति के सदस्य बनाए गए। 1999 में भाजयुमो के उज्जैन संभाग प्रभारी रहे।
कई पुरुष्कारों से भी नवाज़े गए
इसके बाद 2000-2003 में विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की कार्यपरिषद के सदस्य के रूप में कार्य किया। 2000-2003 में भाजपा का नगर जिला महामंत्री बनाया गया। 2004 में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बनाए गए। बाद में 2004-2010 में उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष (राज्य मंत्री दर्जा) के पद तक पहुंचे। 2008 से भारत स्काउट एण्ड गाइड के जिलाध्यक्ष बने। 2011-2013 में मध्यप्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम भोपाल के अध्यक्ष (केबिनेट मंत्री दर्जा) बने। इसके अलावा उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। मोहन यादव को उज्जैन के समग्र विकास हेतु अप्रवासी भारतीय संगठन शिकागो (अमेरिका) की ओर से महात्मा गांधी पुरस्कार और इस्कॉन इंटरनेशनल फाउंडेशन के द्वारा सम्मानित किया गया। मध्यप्रदेश में पर्यटन के निरंतर विकास हेतु हे 2011-2012 एवं 2012-2013 में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया गया।
सामाजिक समीकरण साधने दो डिप्टी सीएम
शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री रहे मोहन यादव राज्य में अब शिवराज सिंह चौहान की जगह लेंगे। चार बार के मुख्यमंत्री रहे शिवराज ओबीसी समुदाय से आते हैं। इसलिए यह तय माना जा रहा था बीजेपी अगर उन्हें हटाती है तो सूबे में किसी ओबीसी नेता को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। बताते चलें कि प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आबादी 50 प्रतिशत से अधिक है। उसमें भी यादव जाति की अच्छी-खासी तादाद है। मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा बहुसंख्यक ओबीसी मतदाताओं को साधने के साथ-साथ पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश तथा बिहार के यादव वोटरों को संदेश देना चाहती है कि पार्टी उनकी हितैषी है। भाजपा के साथ अगर यादव आते हैं तो पार्टी उन्हें आगे बढ़ने का मौका देगी।
भाजपा नेतृत्व नई सरकार के जरिए सूबे के सामाजिक समीकरणों साधने के साथ सभी ही क्षेत्रों में अपनी पैठ कहीं अधिक मजबूत बनाने के लिए इस बार दो डिप्टी सीएम (उप मुख्यमंत्री) बनाने का फैसला किया है। ख़बरों के अनुसार विंध्य क्षेत्र का गढ़ कहलाने वाले रीवा जिले से आने वाले बड़े ब्राह्मण नेता राजेन्द्र शुक्ल और दलित नेता जगदीश देवड़ा का नाम डिप्टी सीएम के लिए तय किया गया है। राजेन्द्र शुक्ल शिवराज सरकार में जनसम्पर्क विभाग के मंत्री रहे हैं। जगदीश देवड़ा पूर्व में गृह, वित्त और श्रम विभाग के मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। 1990 में पहली बार विधायक निर्वाचित होने बाद से अपने लगभग 33 वर्ष के लंबे राजनीतिक कार्यकाल में जगदीश देवड़ा आठवीं बार विधायक बने हैं।
सरकार बनाने का दावा किया पेश
भाजपा विधायक दल की बैठक में मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री मनोनीत किये जाने डॉ. मोहन यादव ने राजभवन पहुँचकर राज्यपाल मंगुभाई पटेल से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। उनके द्वारा विधायकों के समर्थन वाला हस्ताक्षरित पत्र राज्यपाल को सौंपा गया। इस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री एवं पर्यवेक्षक मनोहर लाल खट्टर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, नरेन्द्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ नेतागण उपस्थित रहे।