युवा सामाजिक कार्यकर्ता का जिला बदर निरस्त करने की उठी मांग

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पन्ना जिले के युवा सामाजिक कार्यकर्ता संजय अहिरवार का जिला बदर निरस्त करने की मांग को लेकर कमिश्नर सागर के नाम एसडीएम गुनौर को ज्ञापन सौंपा गया।

*    कमिश्नर सागर संभाग के नाम एसडीएम को सौंपा ज्ञापन

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) जिले के युवा एक्टिविस्ट संजय अहिरवार को जिला बदर करने के फैसले पर सवाल उठने लगे हैं। दलितों को न्याय दिलाने उनके हक़-अधिकारों को लेकर आवाज बुलंद करने वाले उच्च शिक्षित युवा नेता संजय को सक्रिय अपराधी के तौर पेश करके लोक शांति एवं जन सुरक्षा के लिए ख़तरा बताते हुए एक वर्ष की अवधि के लिए जिला बदर करने की कार्यवाही का विरोध शुरू हो गया है। पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन पर गत दिनों पन्ना कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट के द्वारा म.प्र. राज्य सुरक्षा अधिनियम 1990 की धारा 5 के तहत की गई जिला बदर की कार्यवाही को लेकर दलितों और युवाओं ने अपनी नाराजगी जाहिर की है।
युवा सामाजिक कार्यकर्ता संजय अहिरवार।
उल्लेखनीय है कि, सोमवार 25 अप्रैल को गुनौर में कमिश्नर सागर संभाग के नाम पर एसडीएम गुनौर को एक ज्ञापन सौंपा गया। जिसके माध्यम से युवा नेता संजय अहिरवार के जिला बदर को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने पुरजोर मांग की गई है। ज्ञापन में बताया गया है, संजय अहिरवार पुत्र राजेश अहिरवार निवासी ग्राम झरकुआ (तारा) थाना अमानगंज जिला पन्ना अपराधी नहीं बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता है। कानून की पढ़ाई कर रहे युवा दलित नेता की आयु अभी महज 25 वर्ष है। समाजसेवा में सदैव अग्रणी रहने के दौरान उसके ऊपर साज़िश के तहत कतिपय झूठे आपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कराए गए हैं। युवा तुर्क नेता संजय की बढ़ती सक्रियता और लोकप्रियता से परेशान राजनैतिक विरोधी कथित तौर पर उसके ऊपर पूर्व में दोबार हमले करवा चुके हैं।
वहीं कुछ लोगों का ऐसा मानना है, दलितों पर होने वाले अन्याय-अत्याचार से जुड़े मुद्दों तथा कोरोना काल में सरकारी कार्यालयों की तर्ज पर छात्र हित में छात्रावासों को खोलने की मांग को लेकर युवा नेता ने ऐतिहासिक धरना-प्रदर्शन करके कई बार पुलिस एवं जिला प्रशासन को असहज किया था। जनहित से जुड़े मुद्दों को लगातार प्रमुखता उठाने के तौर-तरीकों को लेकर प्रशासन से सीधे टकराव की स्थिति बनीं जिससे पुलिस और प्रशासन में बैठे अफसरों के अहंकार को सीधी चुनौती मिली। परिणामस्वरूप युवा नेता के खिलाफ एक के बाद एक कई प्रकरण दर्ज कर उसे खतरनाक अपराधी के तौर पेश करके जिला बदर की कार्यवाही कर दी गई। जबकि संजय के खिलाफ दर्ज किसी भी प्रकरण में उसे सजा नहीं हुई है। उधर, कुछ ऐसे भी मामले सामने आए जब सत्ताधारी दल से जुड़े आपराधिक रिकार्डधारी कतिपय प्रभावशाली लोगों के खिलाफ जिला बदर एवं एनएसए की कार्यवाही की जिम्मेदार अधिकारी के द्वारा अनुशंसा करने के कई माह बाद भी सक्षम अधिकारी संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ एक्शन लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाए।

दर्ज प्रकरणों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए

छात्रवासों को खोलने की मांग को लेकर पिछले वर्ष युवा नेता संजय अहिरवार ने अपने साथियों सहित पन्ना ने कलेक्ट्रेट भवन के बाहर रात भर धरना दिया था। (फाइल फोटो)
युवा दलित नेता संजय अहिरवार के खिलाफ की गई जिला बदर की कार्यवाही को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग को लेकर कमिश्नर सागर संभाग के नाम पर ज्ञापन सौंपने वाले युवाओं धीरेन्द्र वर्मा, रमाशंकर कोरी, कोमल प्रसाद, नसीर मोहम्मद, केश कुमार, मुन्ना आदि ने यह भी मांग उठाई है कि, युवा नेता के विरुद्ध दर्ज झूठे आपराधिक प्रकरणों की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच कराई जाए। ताकि पुलिस के द्वारा दर्ज किए गए प्रकरणों की वास्तविकता सामने आ सके।