विश्व हेपेटाइटिस दिवस : लीवर की खतरनाक और जानलेवा बीमारी के प्रति लोगों को किया जागरूक

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पन्ना के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में हेपेटाइटिस बी एंव सी, पीलिया तथा पेट संबंधी बीमारियों की जॉच हेतु आयोजित आउटरीच शिविर।

*   शिविर में पहुंचे मरीजों की जांच कर उपचार के लिए किया चिन्हित

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) विश्व में प्रतिवर्ष 28 जुलाई हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लीवर की इस जानलेवा बीमारी के प्रति लोगों को जाकरूक करना तथा रोकथाम और इलाज के लिए प्रोत्साहित करना है। हर साल दुनिया भर में लाखों लोगों की जान लेने वाली इस खतरनाक बीमारी से पन्ना जिले के लोगों को बचाने के लिए आज विश्व हेपेटाईटिस दिवस के उपलक्ष्य पर शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आउटरीच शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर में पहुंचे आधा सैंकड़ा से अधिक मरीजों की हेपेटाइटिस बी एंव सी, पीलिया तथा पेट संबंधी बीमारियों की जॉच की गई और उपचार की आवश्यकता वाले मरीजों को चिन्हित किया गया।
पन्ना के धरमसागर तालाब के समीप स्थित शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आयोजित आउटरीच शिविर का शुभारंभ बुधवार को प्रातः 10 बजे जिला चिकित्सालय पन्ना के सिविल सर्जन डॉ एल.के. तिवारी के द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. एस.के. त्रिपाठी, डॉ. जी.पी. आर्या, स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी, शहरी क्षेत्र की ऊषा कार्यकर्ता एवं आशा-ऊषा सहयोगिनी उपस्थित रहीं। शिविर में उपस्थित लोगों को डॉ. एस.के. त्रिपाठी ने हेपेटाइटिस रोग के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया कि हेपेटाइटिस वायरस से होने वाला एक जानलेवा और खतरनाक रोग है, जो लीवर को प्रभावित करता है, रोग बढ़ने पर सिरोसिस, लीवर कैंसर या जिगर फेल होने जैसी घातक बीमारियां भी हो सकती हैं। हेपेटाइटिस के 5 मुख्य प्रकार हैं जिनमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई शामिल हैं।
इस बीमारी के लक्षणों पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. त्रिपाठी ने बताया कि कम भूख लगना अथवा जी मिचलाना, अत्यधिक थकान होना, मतली, पेटदर्द और सूजना रोग की गंभीर स्थिति में पैरों में सूजन होना और पेट में तरल पदार्थ का संचित होना, रोग की अत्यंत गंभीर स्थिति में कुछ रोगियों के मुंह या नाक से खून की उल्टी से सकती है। और मूत्र का रंग गहरा हो जाना इत्यादि हेपेटाइटिस के महत्वपूर्ण लक्षण हैं।
हेपेटाइटिस रोग से बचाव के उपाय की जानकारी देते हुए डॉ. एस.के. त्रिपाठी ने बताया कि स्वच्छ व ताज़ा भोजन खाएं, पानी को उबाल कर पियें, टैटू बनवाते समय उपकरणों से सावधान रहें, सुरक्षित यौन संबंध बनाएं, गर्भवती महिला को संक्रमण होने पर उसके नवजात शिशु को HBIG का डोज लगवाएं, तैलीय-मसालेदार-माँसाहारी भारी खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें और बाजार के खाने से परहेज करना चाहिए। अगर संतुलित-पौष्टिक भोजन लिया जाए और खान-पान के तरीकों में बदलाव लाएं तो इस बीमारी से काफी हद तक बचाव संभव है लेकिन अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकती है।
शिविर में डॉ एल.के. तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व हेपेटाइटिस दिवस की वर्ष 2021 की थीम है, “हेपेटाइटिस इंतजार नहीं कर सकता..”। आपने बताया कि राज्य सरकार का लक्ष्य हेपेटाइटिस मुक्त मध्य प्रदेश बनाना है। जागरूकता के प्रसार से ही इस लक्ष्य की प्राप्ति संभव है। सिविल सर्जन डॉ. तिवारी ने इस दौरान हेपेटाइटिस के पांच मुख्य प्रकार के संबंध में जानकारी देते हुए प्रत्येक के फैलने के कारणों को विस्तार पूर्वक बताया।
उल्लेखनीय है कि हेपेटाइटिस की जांच हेतु आयोजित आउटरीच शिविर में दोपहर करीब 2 बजे तक पहुंचे 57 मरीजों की हेपेटाईटिस बी एंव सी, पीलिया तथा पेट संबंधी बीमारियों की मौके पर निः शुल्क जॉच कर उपचार की आवश्यकता वाले मरीजों को चिन्हित किया गया। जिन्हें डॉ. त्रिपाठी के द्वारा आवश्यक उपचार एवं परामर्श दिया गया। शिविर में वरिष्ठ लैब टेक्नीशियन रामनाथ ओमरे ने मरीजों की जांच में सराहनीय योगदान दिया।