पन्ना टाइगर रिजर्व : बाघिन की मौत के बाद अनाथ हुए 4 शावकों का नहीं लगा सुराग, गुजरते समय के साथ गहराने लगी सुरक्षा की चिंता

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पन्ना टाइगर रिजर्व का हिनौता स्थित प्रवेश द्वार।

मैदानी वनकर्मियों एवं 5 प्रशिक्षित हाथियों से कराई जा रही सघन जंगल सर्चिंग

लापता शावकों को लोकेट करने आधा दर्जन से अधिक कैमरा ट्रैप लगाए

पार्टनर की असमय मौत से दुखी बाघ मांद और चिता के आसपास काट रहा चक्कर

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews) बाघों के लिए प्रसिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व में शनिवार 15 मई को बीमार युवा बाघिन पी-213 (32) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होने के 24 घण्टे बाद भी उसके चार नन्हें शावकों का कोई सुराग नहीं लग सका। गुजरते समय के साथ अनाथ हुए शावकों की सुरक्षा को लेकर चिंता लगातार गहराती जा रही है।
मामले की संवेदनशीलता को दृष्टिगत रखते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन के द्वारा शावकों को खोजने के लिए बाघिन की मांद वाले इलाके में सघन सर्चिंग अभियान चलाकर करीब 2 किलोमीटर में जंगल के चप्पे-चप्पे को खंगाला जा रहा है। वृहद स्तर पर जारी सर्चिंग अभियान में आधा दर्जन से अधिक टीमें जुटीं हैं, जिसमें 40 से अधिक मैदानी वनकर्मी और 5 प्रशिक्षित हाथी शामिल हैं। शावकों को लोकेट करने के लिए कुछ स्थानों पर कैमरा ट्रैप भी लगाए गए हैं।
उधर, अपनी संगिनी (पार्टनर) के असमय काल-कवलित होने से नर बाघ पी-243 वियोग की असहनीय पीड़ा और उदासी से गुजर रहा है। दो दिन से वह बाघिन की मांद के पास कई घण्टे तक उदास बैठा रहा। बाघिन और शावकों की ख़ोज में वह उस स्थान पर भी पहुंचा जहां बाघिन का दाह संस्कार किया गया था। स्वभाव के विपरीत जंगल के राजा की इस हालत को देखकर पार्क प्रबंधन भी काफी दुखी है।
पन्ना टाइगर रिजर्व में अज्ञात गंभीर संक्रमण के चलते असमय मृत बाघिन पी-213 (32) का शव सूखे नाले में पड़ा मिला।
उल्लेखनीय है कि पन्ना टाइगर रिजर्व की गहरीघाट रेन्ज अंतर्गत कोनी बीट के कोनी नाला में शनिवार 15 मई को बीमार बाघिन पी-213 (32) मृत मिली थी। पार्क प्रबंधन को बाघिन के पैर में सूजन होने की जानकारी 12 मई को मिली थी। इसे गंभीरता से लेते हुए दूसरे ही दिन से उसका इलाज शुरू करा दिया गया था। वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता के द्वारा 13 व 14 मई को उसे 2 इंजेक्शन दिए गए। लेकिन, उसकी सेहत में कोई ख़ास सुधार नहीं हुआ। अप्रत्याशित रूप से अज्ञात कारणों के चलते उसकी मौत हो गई।
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा का कहना है, बाघिन की मौत कैसे और किस बीमारी के कारण हुई फिलहाल इस संबंध में अभी कुछ भी बता पाना संभव नहीं है। हालांकि समग्र परिस्थितियों को देखते हुए उनके द्वारा आशंका जाहिर की जा रही है कि, यह बाघिन किसी विषाणु (वायरस) के गंभीर संक्रमण का शिकार हुई है। क्योंकि सबकुछ बेहद तेजी से घटित हुआ है।
सबसे हैरानी की बात तो यह है कि बाघिन के पैर में किसी तरह की बाहरी चोट, फ्रेक्चर, कट और मवाद आदि न होने के बाद भी जानलेवा गंभीर सूजन कैसे आई ? पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट नहीं हो सका। बाघिन की मौत संक्रमण (बीमारी) से, किसी जहरीले जीव के काटने या फिर अन्य किसी कारण से हुई है, इसका पता लगाने के लिए बाघिन के पोस्टमार्टम उपरांत बिसरा आदि अवयव के सैम्पल जांच हेतु सागर, जबलपुर एवं रायबरेली उत्तर प्रदेश की लैब भेजे हैं। साथ ही मृत बाघिन का कोरोना टेस्ट कराने के लिए उसका स्वाब सैम्पल भी लिया गया है।
बाघिन की मौत का सही कारण उसके बिसरा आदि के सैम्पल की रिपोर्ट आने पर पता चलने की बात कही जा रही है। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा कहते हैं कि प्रथम दृष्टया बाघिन की मौत का कारण प्राकृतिक प्रतीत होता है। वास्तविकता क्या है यह बिसरा आदि की जांच रिपोर्ट से ही पता चलेगा।

जांच के लिए विशेष वाहक से भेजे सैम्पल

डॉ. उत्तम कुमार शर्मा, क्षेत्र संचालक, पन्ना टाइगर रिजर्व।
कोरोना वायरस संक्रमण की वैश्विक आपदा के इस दौर में जब पर्यटकों के लिए पार्क के गेट पूरी तरह से बंद हैं, ऐसे समय रेडियो कॉलर युक्त 5 वर्षीय युवा बाघिन की असमय रहस्मयी मौत से पन्ना टाइगर रिज़र्व में हड़कंप मचा है। इस घटनाक्रम के बाद से पार्क प्रबंधन मृत बाघिन के चार शावकों समेत दूसरे बाघों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट मोड में है। क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि बाघिन के बिसरा आदि की जांच तत्परता से कराने के लिए सैंपल विशेष वाहकों से भेजे जा चुके हैं। ताकि जांच रिपोर्ट यथाशीघ्र मिल सके। आपने बताया कि सभी प्रकार की जांच कराई जाएगी, जिससे मौत के कारणों की असल वजह का खुलासा हो सके। क्योंकि यदि किसी बीमारी से मौत हुई होगी तो उसे दृष्टिगत रखते हुए समय रहते जरूरी कदम उठाना होगा।

टाइगर ट्रैकिंग पार्टी की निगरानी सवालों के घेरे में

बाघिन पी-213 (32) ने अपने दूसरे लिटर में करीब 6-7 माह पूर्व चार शावकों को जन्म दिया था। इस युवा बाघिन की असमय मौत के बाद उसके नन्हें शावकों की जान बचाने के लिए सरगर्मी से उनकी खोजबीन की जा रही है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि बाघिन के बीमार होने के दौरान उसके इलाज को लेकर चिकित्सक एवं उनकी टीम की आवाजाही से उपजी असुरक्षा की भावना के चलते उसने आसपास ही कहीं शावकों को कहीं छिपा दिया है। इस बाघिन के साथ उसके शावकों को आखिरी बार प्रत्यक्ष तौर पर 10 मई को देखा गया था।
सांकेतिक फोटो।
गौरतलब है कि रेडियो कॉलर्ड बाघ-बाघिन की प्रत्यक्ष निगरानी के लिए उनके पीछे चार पहिया वाहन में टाइगर ट्रेकिंग टीम 24 घण्टे दौड़ती रहती है। चूंकि मृत युवा बाघिन पी-213 (32) रेडियो कॉलर्ड थी इसलिए उसके नन्हें शावकों का अब तक पता ना चल पाने से बाघिन की ट्रेकिंग में तैनात रही टीम की निगरानी पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। अभी शावक इतने बड़े भी नहीं हुए कि वे अपनी माँ को छोड़कर ज्याद दूर जाएं या फिर ज्यादा देर तक उसके बगैर रह पाएं।
उधर, बाघिन को अचानक हमेशा के लिए खोने और अपने बच्चों (शावकों) से बिछड़ने से नर बाघ पी-243 काफी दुखी नजर आ रहा है। उसकी सुस्ती-उदासी समेत अन्य गतिविधियों के मद्देनजर क्षेत्र संचालक उत्तम कुमार शर्मा का मानना है कि नर बाघ को अपने पार्टनर की मौत गहरा आघात पहुंचा है। शावकों के लोकेट होने के बाद यह देखना काफी महत्वपूर्ण होगा कि यह उनके साथ सामान्य होकर सिंगल पैरेंट की अपनी जिम्मेदारी को उठता है या नहीं।