8 मार्च को पूरे विश्व में महिला दिवस मनाया जाता है। इस दिन सरकारों व स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से अनेक कार्यक्रम आयोजित करके महिलाओं की स्थिति, उनके अधिकारों, महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों और महिला सशक्तिकरण हेतु किये जाने वाले प्रयासों पर चर्चाएं होती है। महिलाओं के योगदान को सराहा जाता है साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने वाली महिलाओं से जुड़े प्रेरक प्रसंगों की बात होती है। बेशक हमारे देश में महिलाओं की स्थिति पहले से काफी बेहतर हुई है लेकिन सिक्के के दूसरे पहलू की तरह स्याह सच्चाई यह भी है कि आज वास्तविक जीवन में बहुत सारी महिलाओं को मारपीट, प्रताड़ना, अत्याचार अपमान, धमकी यौन शोषण और अन्य हिंसात्मक घटनाओं का हर दिन सामना करना पड़ता है। कई मामलों में तो हिंसा का पता ही नहीं चलता है क्योंकि शोषित व प्रताड़ित महिलाएं इसके बारे में चर्चा करने से घबराती, डरती व झिझकती हैं।
महिलाओं को इस अँधेरे कुएं से बाहर निकलने के लिए अपने क़ानूनी अधिकारों को समझना होगा और अपने हक के लिए आवाज़ उठाते हुए उन्हें पाने के लिए आगे आना होगा। महिला दिवस के अवसर पर इस लेख के जरिये समाज की आधी आबादी की विधिक साक्षरता के लिए उन्हें प्राप्त कुछ महत्वपूर्ण कानूनी अधिकारों/प्रावधानों का बहुत संक्षेप में यहां उल्लेख किया जा रहा है –
महिलाओं के लिए बने कुछ विशेष क़ानून
*गिरफ्तारी*– महिलाओं को सूरज ढलने के बाद ओर सूरज उगने के पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
*धारा 154 IPC*– इसके तहत महिला को यह अधिकार है कि वह किसी आपत्तिजनक सवाल का जवाब किसी प्राइवेट जगह पर रिकॉर्ड करके दे सकती है इस दौरान उसके साथ एक महिला कांस्टेबल का होना ज़रूरी है।
*धारा 228A IPC*– महिलाओं से जुड़ी जानकारी पहचान गुप्त रखी जाये।
*धारा 294 IPC*– किसी महिला को अश्लील शब्द बोलना, अश्लील इशारे करने या अश्लील हरकतें करना भी अपराध हैं।
*धारा 312-315 IPC*– जबरन गर्भधारण या गर्भपात के लिए मजबूर करने पर 3-10 वर्ष तक सज़ा।
*धारा 354 IPC*– कोई भी व्यक्ति अगर किसी महिला के मान सम्मान को ठेस पहुंचाने की कोशिश करता है तो इसके तहत कार्यवाही की जाती हैं जिसमे 1-5 वर्ष तक की सज़ा हैं।
*धारा 354A IPC*– किसी महिला का लैंगिक उत्पीड़न करने पर 3 वर्ष तक की सज़ा है।
*धारा 354B IPC*– महिला को निर्वस्त्र करने के आशय से हमला करने पर 3-7 वर्ष तक की सज़ा हैं।
*धारा 354C IPC*– किसी महिला को प्राइवेट कार्य के दौरान देखने, फोटो लेने, प्रसारित करने पर 3-7 वर्ष तक की सज़ा हैं।
*धारा 354D IPC*– महिला का इंटरनेट, ईमेल या व्यक्तिगत रूप से उसकी सम्मति के बिना पीछा करना या संपर्क करने पर 5 वर्ष तक की सज़ा हैं।
*धारा 366 IPC*– महिला को विवाह के लिए विवश करने के लिए अपहरण करने पर 10 वर्ष तक कि सज़ा हैं।
*धारा 493 IPC*– शादी का वादा कर शारीरिक शोषण करने पर 10 वर्ष तक कि सज़ा हैं।
*धारा 498A IPC*– किसी महिला को उसके पति या उसके रिश्तेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता कर दहेज, मूल्यवान प्रतिभूति की मांग कर प्रताड़ित करने पर 3 वर्ष तक की सज़ा हैं।
इसी प्रकार भारतीय दण्ड संहिता के तहत महिलाओं को विशेष प्रावधानों से संरक्षण प्रदान किया गया हैं।
*धारा 125 CRPC*– इस धारा के अंतर्गत यदि किसी विवाहित महिला का उसके पति द्वारा परित्याग कर दिया जाता है तो पत्नी अपने पति से जीवनयापन करने भरण पोषण प्राप्त करने की अधिकारी होती हैं। इसके अतिरिक्त यही कोई महिला ससुराल में ससुराल वालों द्वारा हिंसा की शिकार होती है तो उनके रोकथाम के लिए भी *घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005* बनाया गया है। इसके अलावा कार्य के दौरान महिलाओं के साथ होने वाले यौन हिंसा के विरुद्ध *यौन शोषण (रोकथाम, निषेध एवं निवारण) अधिनियम 2013* के अंतर्गत कार्यस्थल पर महिला के साथ यौन शोषण करना एक दंडनीय अपराध है।
विवेकराज बहुत्रा
एडवोकेट एवं सोशल एक्टिविस्ट
भोपाल। सम्पर्क- 9425709681
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