गप-शप : जाँच कराएंगे पर रिपोर्ट नहीं बताएंगे !

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मारे यहाँ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच अफसरों के लिए कमाई का जरिया बन चुकी है। जब कभी किसी मामले में बड़ी गड़बड़ी या फिर जिम्मेदारों की लापरवाही सामने आने पर हंगामा खड़ा होता है तो मामले को शांत कराने के लिए तुरंत जांच के आदेश जारी कर दिए जाते हैं। शीर्ष अफसरों की इस संवेदनशीलता को देखकर प्रभावित आमजन को एकबारगी यह लगता है, उनके साथ अब वाकई न्याय होगा ! मगर अधिकाँश प्रकरणों में ऐसा होता नहीं है। मीडिया की सुर्ख़ियों और लोगों की स्मृति से मामले के ओझल होते ही खेल हो जाता है। अपवाद स्वरूप किसी मामले में लम्बे इन्तजार के बाद निष्पक्ष जांच अगर हो भी गई तो उस पर कार्रवाई कराने में चप्पलें घिस जाती हैं।
यहां पर इतना सब जिक्र सिर्फ इसलिए किया ताकि जांच के आदेश से पैदा होने वाली खुशफहमी भरी तीरंदाजी से बाहर निकलकर उन बहुचर्चित मामलों की सुध ले सकें जिनमें जांच के आदेश दिए गए थे। पन्ना के बाहरी इलाके में स्थित नयापुरा-मुड़िया पहाड़ की बेशकीमती जमीन को कथित तौर पर हड़पने का प्रकरण, बस स्टेण्ड की नवनिर्मित सीसी सड़क के घटिया कार्य को छिपाने के लिए उसके ऊपर डामरीकरण कराने एवं नेशनल हाइवे के चौड़ीकरण के नाम पर कराये गए औचित्यहीन भू-अधिग्रहण के मामले की जांच का आज तक पता नहीं चल सका। यह हाल तब है जबकि सम्बंधित प्रकरणों की जाँच के लिए समयसीमा निर्धारित की गई थी। अब नये अर्थों में शायद यही सुशासन है।

अफवाह फ़ैलाने में सबसे तेज़ निकले नपा सीएमओ

नगर पालिका परिषद पन्ना में पिछले कुछ सालों से सत्ताधारी दल के नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों पर मुख्य नगर पालिका अधिकारी की पोस्टिंग की जा रही है। बीते 5-6 सालों में नगर के लोगों का एक से बढ़कर एक सीएमओ से पाला पड़ा है। इनमें कोई ठेकेदार निकला तो किसी ने इवेंट मैनेजमेंट के दम पर हवा-हवाई किले खड़े करने का करतब दिखाया। मध्यप्रदेश के बेहतरीन प्रशासनिक चरागाह में शामिल पन्ना कुछ को इतना रास आया कि वे इस जिले का मोह छोड़ नहीं पा रहे हैं। लेकिन नगर पालिका पन्ना के मौजूदा सीएमओ यशवंत वर्मा की बात निराली है। पवई के रास्ते पन्ना में लैंडिंग करने वाले वर्मा जी पिछले दिनों दूर की कौंड़ी खोज लाए। उन्होंने 7 जनवरी 2021 को एक विवादित आदेश जारी कर बताया कि “वर्तमान में बर्ड फ्लू नामक बीमारी फ़ैल रही है जिस कारण से कई लोगों की मृत्यु हो रही है।”
कोरोना संकटकाल में बर्ड फ्लू के खतरे की आहट के बीच आए इस भ्रामक और कपोल-कल्पित आदेश ने खबरिया चैनलों से भी तेज़ सनसनी/अफवाह फ़ैलाने का काम किया। फिलहाल बर्ड फ्लू से देश या प्रदेश में एक भी व्यक्ति की मौत होने की खबर नहीं है। कोरोना के कारण लोगों में जहाँ पहले से ही डर और घबराहट का माहौल है वहाँ सीएमओ के इस आदेश ने उन्हें कहीं अधिक भयभीत करने और अफवाह फ़ैलाने का काम किया है। हैरानी की बात तो यह है कि बेहद महत्वपूर्ण पद पर बैठे अफसर की इस आपराधिक लापरवाही पर जिम्मेदार मौन हैं। सिर्फ सीएमओ के आदेश को निरस्त करके जिम्मेदारों ने अपने कर्तव्यों इतिश्री कर ली है। फर्ज कीजिए अगर यह कृत्य किसी आम आदमी ने किया होता तो वह अब तक कहाँ होता ?

कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना

भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर महिला नेत्री एवं पूर्व मंत्री सुश्री कुसुम सिंह महदेले ने बीते दिनों पन्ना में अपने निज निवास सफरबाग में पत्रकारों को आमंत्रित कर नेशनल हाइवे क्रमांक-39 के निर्माण कार्य की गुणवत्ता एवं उसके चौड़ीकरण का मुद्दा उठाते हुए जांच की मांग की। करीब पाँच दशक से बीजेपी में सक्रिय अनुभवी नेत्री सुश्री महदेले “जिज्जी” जनहित के मुद्दों, गरीबों एवं कमजोर तबकों के अधिकारों से जुड़े मसलों को लेकर हमेशा से ही मुखर रहीं है। बहरहाल मीडिया से काफी समय बाद जिज्जी जब इस तरह मुखातिब हुईं तो प्रशासनिक व राजनैतिक हलकों में खलबली मच गई। सर्वविदित है कि पिछले दिनों यह खुलासा हुआ था कि पन्ना नगर में नेशनल हाइवे की चौड़ाई बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर भू-अर्जन कराया गया था।
निर्माण एजेंसी ने जिन लोगों की जमीनों का अधिग्रहण किया था वे आज भी उन्हीं के कब्जे में हैं। उक्त भूमियों का सड़क के चौड़ीकरण में उपयोग किए बगैर ही निर्माण एजेन्सी सड़क बना डाली। इस तरह कुछ लोगों करोड़ों रुपए का भू-अर्जन मुआवजा भी मिल गया और उनकी एक इंच जमीन भी नहीं गई। सियासत और इसके दांवपेंच समझने वालों को लगता है, सुश्री महदेले को पन्ना की चुनावी राजनीति से अपनी जबरिया विदाई की कसक अब तक साल रही है। शायद इसलिए उन्होंने नेशनल हाइवे के मुद्दे को नए सिरे से हवा देकर कहीं पे निगाहें-कहीं पे निशाने की तर्ज पर कुछ लोगों को असहज किया है। बताते चलें कि मुआवजा पाने वालों की सूची में पन्ना विधायक एवं प्रदेश के खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह का नाम भी शामिल है।

प्रशासन को ढूंडे नहीं मिल रहे माफिया

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जब से खुद को खतरनाक मूड में बताते हुए मसल पॉवर और रसूख का इस्तेमाल करके अवैध गतिविधियां संचालित करने वाले माफियाओं-गुण्डों को मध्यप्रदेश छोड़ने और दस फीट नीचे जमीन में गाड़ने की चेतावनी दी तब से लगता है कि पन्ना जिले में सक्रिय रहे सभी माफिया, गुण्डे, बदमाश भूमिगत हो गए हैं। शायद इसीलिये पन्ना जिला प्रशासन को रेत-पत्थर माफिया अब भी ढूँढे नहीं मिल रहे हैं। हीरा-सागौन-शराब तस्कर, राजनैतिक दलों से जुड़े भू-माफिया, परिवहन तथा शिक्षा माफिया भी लगता है सीएम के दबंग अंदाज वाली चेतावनी मात्र सुनकर भय के कारण कहीं दुबक गए है। इसलिए आमआदमी को ही माफिया बताकर अभियान के तहत कार्रवाई की खानापूर्ति का घालमेल चल रहा है। इसके उलट सच्चाई यह है कि माफियाओं-गुण्डों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पन्ना जिला प्रशासन सांसत में है।
जिम्मेदार अधिकारी इस तरह का अभिनय कर रहे हैं जैसे कि, पन्ना में रेत-पत्थर माफिया और भू-माफिया सक्रिय ही नहीं है। यह अलग बात है कि रेत ठेके की आड़ में बड़े पैमाने पर खुलेआम रेत की लूट का खेल बेरोकटोक चल रहा है। राजनैतिक लोग व आपराधिक तत्व पहाड़ों को खोखला कर अवैध पत्थर खदानें चला रहे हैं। भू-माफिया प्रसाशनिक सांठगांठ के चलते बेशकीमती सरकारी भूमियों पर काबिज हैं। वहीं कतिपय ताकतवर लोग अपने बंधुआ श्रमिकों के नाम पर पत्थर खदान, बड़े प्रतिष्ठान संचालित कर रहे हैं और उनके नाम पर बैंकों से लिए गए लोन का भी उपभोग कर रहे हैं। लेकिन इन तमाम जानकारियों के बाद भी प्रशासनिक अधिकारी हाथ-हाथ रखे बैठे हैं। क्योंकि मैदानी पोस्टिंग की मलाई की छानने के लिए राजनैतिक आकाओं की कठपुतली बने इन अफसरों में प्रभावशाली लोगों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने का नैतिक साहस ही नहीं है।
                                                                                                    शादिक खान