उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय उद्यान का मतलब यह नही होना चाहिए कि क्षेत्र का विकास अवरूद्ध हो जाए। राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र से निकलने वाली सड़कों को बनाने की स्वीकृति देने के साथ अन्य विकास कार्य भी किए जाना चाहिए। वर्तमान में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान का नाम दुनियाभर में स्थापित हुआ है क्योंकि यहां वन्य जीवों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। इसके साथ ही विकास कार्य होंगे तो लोगों को सुविधाए मिलेंगी। लोगों में राष्ट्रीय उद्यान के प्रति लगाव बढेगा जिससे उद्यान का संरक्षण भी होगा।
क्षेत्र संचालक पन्ना टाइगर रिजर्व उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पार्क में पर्यटन से होने वाली आय का 25 प्रतिशत राशि बफर जोन में रहने वाले लोगों पर खर्च की जाती है। जिससे पर्यटन को बढावा मिले और यहां के लोग जंगल को सुरक्षित रखें। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय उद्यान में प्रवेश टिकट विक्रय का केन्द्र पन्ना नगर के डायमण्ड चैराहे पर प्रारंभ किया जा रहा है। उन्होंने पार्क के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।
इस अवसर पर रघु चुंढावत के सौजन्य से इको विकास समिति झिन्ना को जिप्सी वाहन उपलब्ध कराया गया। इसके अलावा इको विकास समिति झिन्ना सुकई पाल, गणेश सिंह यादव, परमलाल यादव को 50-50 हजार रूपये के पौधे वितरित किए गए। वहीं वनाधिकार पत्रों का वितरण किया गया। इनमें खेत सिंह, पूजा देवी, प्रेम सिंह, वीरेन्द्र सिंह एवं अनुरूद्ध सिंह को किए गए। इसके अलावा सुकई पाल, विश्वनाथ पटेल, लक्ष्मण पटेल, लक्ष्मी केवट एवं भागचन्द्र पटेल को पौधे वितरित किए गए।