* वन्यप्राणी चिकित्सक ने दो दिन किया इलाज फिर नहीं बच सकी जान
* बाघिन के 4 नन्हें शावकों को बचाने उनकी सर्चिंग में जुटा पार्क का अमला
* युवा बाघिन की असमय मौत के बाद पार्क प्रबंधन अलर्ट
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) बाघों के कोरोना से संक्रमित होने की ख़बरों के बीच मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से आज एक दुखद और चिंताजनक ख़बर आई है। पन्ना पार्क की गहरीघाट रेन्ज अंतर्गत एक युवा बाघिन अज्ञात गंभीर संक्रमण के कारण असमय काल-कवलित हो गई। मृत बाघिन पी-213 (32) चार नन्हें शावकों की माँ थी। यह रेडियो कॉलर्ड बाघिन लगभग 5 वर्ष की थी। उसके आगे के बाएं पैर में कुछ दिनों से असमान्य सूजन थी। इस कारण वह चलने-फिरने में भी असमर्थ हो चुकी थी।
पार्क के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता के द्वारा दो दिन तक बाघिन का इलाज किया गया लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उसे बचाया नहीं जा सका। बाघिन के पैर में किसी तरह की बाहरी चोट, फ्रेक्चर, कट और मवाद न होने के बाद भी जानलेवा गंभीर सूजन कैसे आई फिलहाल इसका पता नहीं चल सका। पार्क के अधिकारियों ने बाघिन पी-213 (32) की मौत किसी गंभीर संक्रमण के कारण होने की आशंका जताई है।
इस घटना के बाद पार्क प्रबंधन अन्य बाघों की सुरक्षा को लेकर अलर्ट हो गया है। बाघिन की मौत संक्रमण (बीमारी) से हुई या फिर कोई और कारण है, इसका पता लगाने के लिए बाघिन के पोस्टमार्टम उपरांत बिसरा आदि अवयव के सैम्पल जांच हेतु सागर, जबलपुर एवं रायबरेली उत्तर प्रदेश की लैब को भेजे जा रहे हैं। साथ ही मृत बाघिन का कोरोना टेस्ट कराने के लिए उसका स्वाब सैम्पल भी लिया गया है।
पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक डॉ. उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि पार्क की गहरीघाट रेन्ज की कोनी बीट के कोनी नाला में आज बाघिन पी-213 (32) मृत अवस्था में पाई गई है। उसके आगे के बाएं पैर में सूजन होने की जानकारी 12 मई को मिली थी, जिसे गंभीरता से लेते हुए लगातार दो दिन 13 एवं 14 मई को पार्क के वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता के द्वारा इलाज किया गया। लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका।
क्षेत्र संचालक डॉ. शर्मा ने आशंका जताई है कि किसी अज्ञात गंभीर संक्रमण के कारण युवा बाघिन की मौत हुई है । क्योंकि, सबकुछ बेहद तेजी से हुआ महज 3-4 के अंदर ही उसकी असमय मृत्यु हो गई। बाघिन के पैर में किसी तरह की बाहरी चोट, फ्रेक्चर, कट और मवाद आदि न होने के बाद भी जानलेवा गंभीर सूजन कैसे आई ? पोस्टमार्टम रिपोर्ट से यह स्पष्ट नहीं हो सका। बाघिन की मौत का सही कारण उसके बिसरा आदि के सैम्पल की रिपोर्ट आने पर पता चलने की बात कही जा रही है। पोस्टमार्टम के बाद बाघिन के शव का जंगल में ही दाह संस्कार किया गया।
शावकों का पता लगाने सर्चिंग जारी
बाघिन पी-213 (32) ने अपने दूसरे लिटर में करीब 6 माह पूर्व चार शावकों को जन्म दिया था। युवा बाघिन की असमय मौत के बाद उसके नन्हें शावकों की जान बचाने के लिए सरगर्मी से उनकी खोजबीन की जा रही है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि बाघिन के बीमार होने के दौरान उसके इलाज को लेकर चिकित्सक एवं उनकी टीम की आवाजाही से उपजी असुरक्षा की भावना के चलते उसने आसपास ही शावकों को कहीं छिपा दिया है।
गौरतलब है कि रेडियो कॉलर्ड बाघ-बाघिन की प्रत्यक्ष निगरानी के लिए उनके पीछे चार पहिया वाहन में टाइगर ट्रेकिंग टीम 24 घण्टे दौड़ती रहती है। चूंकि मृत युवा बाघिन पी-213 (32) रेडियो कॉलर्ड थी इसलिए उसके नन्हें शावकों का अब तक पता ना चल पाने से बाघिन की निगरानी में तैनात रही टीम के काम करने के तौर-तरीकों पर सवाल उठना स्वाभाविक है। अभी शावक इतने बड़े भी नहीं हुए कि वे अपनी माँ को छोड़कर ज्याद दूर जाएं या फिर ज्यादा देर तक उसके बगैर रह पाएं। पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र संचालक डॉ. उत्तम कुमार शर्मा ने बताया कि शावकों की खोजबीन का कार्य मैदानी अमले के द्वारा प्राथमिकता के साथ किया जा रहा है। आपने कहा कि शावकों को लोकेट करने बाद आगामी कुछ महीनों तक विशेष निगरानी में उनका लालन-पालन किया जाएगा।