देशव्यापी लॉकडाउन के चलते मजदूर हुए मजबूर, महानगरों से दो दिन में वापस पन्ना लौटे ढाई हजार श्रमिक, कोरोना संक्रमण की अनदेखी कर बसों में भूसे की तरह भरा गया

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लॉकडाउन के चलते महानगरों से वापस लौटे मजदूरों को बसों में इस तरह भरकर पन्ना लाया गया।

* अधिकाँश श्रमिकों को सिर पर गठरी रखकर सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चलना पड़ा

* पन्ना पहुँचने पर प्रशासन ने की भोजन, आवास, स्क्रीनिंग, परिवहन की व्यवस्था

* प्रवासी श्रमिकों को नेताओं और समाजसेवियों ने भी बाँटा नाश्ता और भोजन

शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) नोवल कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर खतरे को देखते हुए इससे बचाव के लिए पूरे देश में पिछले पाँच दिनों से लॉकडाउन चल रहा है, जिसकी वजह से दूसरे राज्यों एवं जिलों में फंसे प्रवासी श्रमिकों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। कोरोना और भूख की वजह से श्रमिकों का देशभर से पलायन शुरू हो गया है। काम की तलाश में महानगरों में गए श्रमिक अब वापस अपने घरों की ओर लौटने लगे हैं। लेकिन लॉकडाउन के चलते यातायात व्यवस्था और सार्वजानिक परिवहन सेवा बंद होने से श्रमिकों की समस्या और अधिक बढ़ गई है। घबराहट और चिंता से घिरे श्रमिक अपने सिर पर गठरी रखकर भूखे-प्यासे सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चलने के बाद बसों में भूसे की तरह भरकर पन्ना पहुँच रहे हैं। पिछले दो दिनों से इनके आने का सिलसिला जारी है। सरकारी आँकड़ों के अनुसार सिर्फ दो दिनों में अलग-अलग स्थानों से लगभग ढाई हजार श्रमिक जिले में पहुंच चुके हैं।
छतरपुर से आने वालीं बसों में इन गरीब मजदूरों को जिस तरह ठूँस-ठूँस कर भेजा जा रहा है उससे कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव हेतु जारी दिशा-निर्देशों का माखौल उड़ रहा है। प्रवासी श्रमिकों की वापसी की दर्दनाक तस्वीरें इनकी बेबसी को बयां करने के साथ सिस्टम की संवेदनहीनता और आपराधिक लापरवाही को उजागर करती हैं। बसों में निर्धारित यात्री क्षमता से दो से तीन गुना अधिक मजदूरों को बैठाकर पन्ना भेजने वाले पड़ोसी जिलों के अफसरों ने कोरोना महामारी से बचाव के लिए बेहद जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग को मजाक बना दिया है। ऐसा करके न सिर्फ गरीब श्रमिकों की फ़जीहत की गई बल्कि उनके जीवन और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ भी किया गया।
कोरोना वायरस संक्रमण फैलने के खतरे को नजरअंदाज कर प्रवासी श्रमिकों को पन्ना से उनके क्षेत्रों में इस तरह भेजा गया।
पन्ना से इन श्रमिकों को जब उनके गृह क्षेत्र के नजदीकी छात्रावास के लिए बसों से रवाना किया गया तब भी उन्हें भेड़-बकरियों की तरह भरकर भेजा गया। कुल मिलाकर रविवार और सोमवार को दूसरे राज्यों एवं जिलों से जिन हालात में प्रवासी मजदूर वापस पन्ना लौटे और फिर अपने गृह क्षेत्र के लिए रवाना हुए उसके मद्देनजर जिले में कोरोना वायरस संक्रमण फैलने का डर लोगों को सताने लगा है।

पंजीयन कर स्क्रीनिंग की गई 

कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम हेतु देश में लाॅकडाउन होने के उपरांत अन्य राज्यों एवं जिलों में फंसे श्रमिकों के जिले में आने के उपरांत उन्हें पन्ना के बाहरी इलाके पुराना पन्ना स्थित छात्रावास में बने अस्थाई कैम्प में ठहराया गया। जहाँ स्वास्थ्य विभाग एवं जिला प्रशासन की टीमों के द्वारा श्रमिकों का पंजीकरण कर स्क्रीनिंग करने के साथ भोजन एवं आवास की व्यवस्था की गयी। सभी श्रमिकों को उनके तहसील क्षेत्र भेजने के लिए 11 वाहन लगाए गए। इन सभी श्रमिकों को जिले में स्थापित 40 छात्रावासों में रूकने की व्यवस्था की गयी है। अब तक लगभग ढाई हजार श्रमिक जिले में पहुंच चुके हैं।

आइसोलेशन में रखने की है व्यवस्था

बाहर से लौटे श्रमिकों के नाश्ता-भोजन एवं उनकी स्क्रीनिंग की व्यवस्था प्रशासन, नेताओं और समाजसेवियों के द्वारा की गई
कलेक्टर कर्मवीर शर्मा के निर्देशानुसार प्रत्येक श्रमिक का पंजीयन के दौरान उनकी सम्पूर्ण जानकारी दर्ज करने के साथ विशेष तौर से जिन श्रमिकों को खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ, गले में दर्द आदि होने की जानकारी दर्ज की गयी। इन सभी श्रमिकों की स्क्रीनिंग स्वास्थ्य विभाग के दल द्वारा की जा रही है। स्क्रीनिंग के उपरांत कोई भी श्रमिक संदेस्पद श्रेणी में आता है उसे आइसोलेशन में रखने की व्यवस्था की गयी है। श्रमिकों को उनके क्षेत्र में पहुंचाकर निकटतम छात्रावासों में रखने की व्यवस्था की गयी है।

स्वस्थ श्रमिकों को उनके घर पहुँचाया जाएगा

पलायन से वापस लौटने वाले श्रमिकों के लिए शाहनगर, रैपुरा, पवई, कलेही, मोहन्द्रा, कुवंरपुरा, बनौली (सिमरिया तहसील), सिंगवारा, अमानगंज, सुनवानीकला, सलेहा, कल्दा, गुनौर, बिलधाडी, सरवारा, खोरा, अजयगढ, बरियारपुर, नरदहा, पन्ना नगर के विभिन्न स्थानों पर स्थापित 15 छात्रावासों एवं बड़ागांव देवेन्द्रनगर में आवास की व्यवस्था की गयी है। इन सभी श्रमिकों को अस्थाई आवास में रहने तक भोजन एवं उपचार की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है। इन श्रमिकों में सामान्य पाए जाने वाले श्रमिकों को उनके गृहग्राम तक पहुंचाने की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है।