तेंदुआ, भालू और चीतल का हुआ शिकार
दक्षित वन मण्डल पन्ना के पवई वन परिक्षेत्र की घटना
वनकर्मियों की हड़ताल से बेकाबू हुए हालात
पन्ना/ अजीत बढ़ौलिया, पवई (रडार न्यूज) भीषण तपिश भरी गर्मी में जंगल के जल श्रोतों में शातिर शिकारियों की सक्रियता बढ़ गई है। प्यास से तड़पते वन्यजीव पानी की तलाश में जैसे ही जल श्रोतों के आसपास पहुंचते है, शिकारियों के बिछाये जाल में फंस जाते है। सबसे बुरी स्थिति दक्षिण वन मण्डल पन्ना के पवई, मोहन्द्रा, रैपुरा, कल्दा व शाहनगर वन परिक्षेत्रों की है, यहां बड़े पैमाने पर शिकार की घटनायें हो रही हैं। शिकार की घटनाओं का ताजा मामला पवई रेंज का है, जहां तेंदुआ, भालू और चीतल का शिकार हुआ है। आश्चर्य की बात तो यह है कि शिकार की इन घटनाओं से वन विभाग के आला अधिकारी अनजान हैं। जिला मुख्यालय पन्ना से पत्रकारों का दल जब जंगल में पहुंचा तब अधिकारियों को शिकार होने की भनक लगी और घटना स्थल पता करने के लिए सक्रिय हुए। उल्लेखनीय है कि पवई से लगभग 13 किलोमीटर दूर शिकारपुरा बीट अंतर्गत वनोपज जांच नाका धामू से आधा किलोमीटर दूर दक्षिण दिशा में स्थित तलैया में पानी पीने आये तेंदुए का शिकार होने का मामला प्रकाश में आया है। स्थानीय ग्रामीणों के साथ पत्रकारों का दल जब मौके पर पहुंचा तो जंगल में क्षत-विक्षत व सड़ चुके तेंदुए का शव झाड़ियों के बीच पड़ा मिला। शव की स्थिति व भीषण दुर्गन्ध को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा था कि शिकार की यह घटना तीन से चार दिन पुरानी है। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि तलैया के समीप मुख्य लाईन से विद्युत तार बिछाकर तेंदुए का शिकार किया गया है। इसी तरह शिकारपुरा बीट के ही अंतर्गत चादा घाटी के नीचे चेक डेम के नजदीक एक वयस्क भालू का भी शिकार दो से तीन दिन पूर्व हुआ है। शिकार की इन दोनों ही बड़ी घटनाओं से वन विभाग के आला अधिकारी बुधवार 30 मई तक अनजान रहे। गौरतलब है कि शिकार की दोनों ही घटनायें पवई मुख्यालय के समीप की है, फिर भी वन अधिकारियों को भनक नहीं लग पाई। इससे साफ जाहिर होता है कि इस भीषण गर्मी में प्यास से तड़पते और पानी की तालाश में दर-दर भटक रहे वन्य प्रांणियों की सुरक्षा भगवान भरोसे है।
ऐसे में न जंगल बचेंगे न जानवर-
म.प्र. वन कर्मचारी, अधिकारी संयुक्त मोर्चा की पूर्व घोषित अनिश्चित कालीन हड़ताल की जानकारी के बाद भी पन्ना के दोनों सामान्य वन मण्डल उत्तर एवं दक्षिण के जिम्मेदार अधिकारियों ने वन्य प्रांणियों व जंगल की सुरक्षा के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किये। यही वजह है कि जंगल में शिकारी व माफिया बेखौफ होकर घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। प्रशिक्षित मैदानी वन अमले की गैरमौजूदगी से हालात दिनों दिन तेजी से बिगड़ रहे हैं। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों दक्षिण वन मण्डल पन्ना के रैपुरा-मोहन्द्रा वन परिक्षेत्र के सीमावर्ती ग्रामों में पानी की तलाश में घुसे तेंदुए ने 20 लोगों पर हमला हमला किया था, जिनमें तीन की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। अन्य घटना में पन्ना शहर के समीप मनकी-जरधोवा के जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ने गये श्रमिक बेटूलाल आदिवासी को बाघ ने अपना शिकार बना लिया था।
बेजुवानों की जान ले रही प्यास-
भीषण सूखा की त्राशदी झेल रहे पन्ना जिले के जंगलों और आबादी क्षेत्रों में जल श्रोतों के सूखने से हाहाकार मचने लगा है। इसे अदूरदर्शिता ही कहा जायेगा कि पन्ना जिला जल अभाव ग्रस्त घोषित होने के बावजूद प्रचण्ड गर्मी के इन मुश्किल दिनों में वन्यजीवों की प्यास बुझाने के लिए सामान्य वन मण्डल उत्तर व दक्षिण के अधिकारियों द्वारा जरूरी इंतजाम नहीं किये गये। जबकि सामान्य वन क्षेत्रों का अधिकांश हिस्से के प्राकृतिक जल श्रोत पूर्णतः सूख चुके हैं। नतीजतन पानी की तलाश में भटकते हुए वन्यजीवों के आबादी क्षेत्रों में पहुंचने से वन्य प्रांणियों व मानव के बीच संघर्ष की स्थिति निर्मित हो रही है। इस मौके का फायदा उठाने के लिए जल श्रोतों के आसपास पेशेवर शिकारी सक्रिय हो गये हैं, यह स्थिति अत्यधिक चिन्तनीय है।
चीतल के प्यासे बच्चे का कुत्तों ने किया शिकार-
प्यास से बेहाल वन्य जीवों के आबादी क्षेत्र में आने पर वे आवारा कुत्तों का भी शिकार बन रहे है। पवई कस्बे के निकट बेंदी हार में पानी की तलाश करते हुए आये चीतलों के झुण्ड में से एक प्यासे बच्चे को आवारा कुत्तों ने अपना शिकार बना लिया। आसपास मौजूद लोगों के मौके पर पहुंचने से आवारा कुत्ते चीतल को खा नहीं पाये। शिकार की यह घटना पवई मुख्यालय के पास की होने के कारण वन विभाग के अधिकारियों के संज्ञान में आ गई। चीतल के शव का पोस्ट मार्टम कराने के बाद वन अधिकारियों ने उसे जलवा दिया।
इनका कहना है-
‘‘पवई वन परिक्षेत्र के अंतर्गत तेंदुआ, भालू व चीतल के शिकार कि जानकारी मिली है। पोस्टमार्टम होेने के बाद ही ज्ञात होगा कि शिकार किस तरह से हुआ है। प्रथम दृष्टया शिकार के इन मामलों में किसी की लापरवाही तय कर पाना मुश्किल है।‘‘
–मीना मिश्रा, डीएफओ दक्षिण वन मण्डल पन्ना
इनका कहना है-
-‘‘शिकार की घटनाएं बेहद गंभीर मामला है। मैं पवई जा रहा हूं, संबंधित अधिकारियों से शिकार की घटनाओं की जानकारी ली जायेगी। एनटीसीए के मापदण्डों के अनुसार जांच कराई जायेगी। जांच में जो भी तथ्य सामने आयेगें उसके अनुसार जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्ध एक्शन लिया जायेगा।‘‘
-राघवेन्द्र श्रीवास्तव, मुख्य वन संरक्षक वृत्त छतरपुर
buy propranolol generic – order clopidogrel 75mg pills methotrexate price
buy amoxil without a prescription – valsartan price order combivent 100 mcg generic
azithromycin 250mg generic – nebivolol 20mg drug order generic nebivolol 20mg
buy augmentin 375mg online cheap – atbioinfo buy ampicillin without a prescription