* उत्तर वन मण्डल पन्ना अंतर्गत धरमपुर रेन्ज का मामला
* सोता रहा मैदानी वन अमला सप्ताह भर बाद लगी भनक
* पन्ना में अब महफूज़ नहीं वन्यजीव, वृक्ष और बहुमूल्य खनिज संपदा
* जिले जंगलों में सक्रिय है शिकारी, वन्यजीव तस्कर और खनन माफिया
* दो वर्ष में डेढ़ दर्जन तेन्दुओं, दो बाघों सहित अन्य वन्यजीवों का हुआ शिकार
शादिक खान, पन्ना। (www.radarnews.in) मध्य प्रदेश का पन्ना जिला बेजुबान वन्यजीवों के शिकार की बढ़ती घटनाओं एवं दूसरे वन अपराधों को लेकर लम्बे समय सुर्ख़ियों में बना है। जिले के जंगलों में शिकारी गिरोहों और वन्यजीव तस्करों के सक्रिय होने से यहाँ के उत्तर-दक्षिण वन मण्डल व टाईगर रिजर्व अंतर्गत शिकार की घटनाएं लगातार सामने आ रहीं हैं। निरीह वन्य प्राणियों के शिकार और वनों की विनाशलीला पर रोक लगाने में वन विभाग के अफसर अब तक नाकाम साबित हुए हैं। इनके प्रयासों में दृढ़ इच्छाशक्ति, रणनीति और आपसी समन्वय का आभाव साफ़ नजर आता है। फील्ड में वनों की सुरक्षा एवं निगरानी व्यवस्था लगभग ठप्प होने से हालात बेकाबू हो चुके हैं। परिणामस्वरूप शिकार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं।
ताजा मामला पन्ना जिले के उत्तर वन मण्डल की धरमपुर रेन्ज अंतर्गत सामने आया है। यहाँ की कुड़रा बीट के वन कक्ष क्रमाँक -53 में प्राचीन बीहर के समीप सप्ताह भर पुराना एक वन्यजीव का क्षत-विक्षत शव मिला है, मृत वन्यजीव तेंदुआ है या लकड़बग्घा अधिकारिक तौर यह स्पष्ट नहीं हो सका। लेकिन जानकार उसे तेंदुआ बता रहे हैं। घटनास्थल पर मिले साक्ष्यों से इतना तय है कि उक्त तेंदुए का शिकार किया गया है। शिकार की घटना को अंजाम देने के लिए जंगल में विधुत तार बिछाकर उसमें करंट प्रवाहित किया गया लेकिन इसकी भनक तक मैदानी अमले और वन विभाग के अफसरों को नहीं लगी।
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शिकार की इस हैरान करने वाली घटना का खुलासा रविवार 23 फरवरी को तब हुआ जब दूरस्थ पहुँच विहीन ग्राम कुड़रा के जंगल में कुछ ग्रामीण लकड़ियां लेने गए। धरमपुर-कुड़रा के बीच जंगल में स्थित प्राचीन बीहर के समीप भीषण दुर्गन्ध आने पर ग्रामीणों ने जब समीप जाकर देखा तो मौके पर तेंदुए का कंकालनुमा क्षत-विक्षत शव पड़ा था। ग्रामीणों के द्वारा इसकी सूचना शाम के समय धरमपुर रेंजर बी.के. विश्वकर्मा को दी गई। रविवार देर शाम को धरमपुर रेंजर मैदानी अमले के साथ मौके पर पहुंचे लेकिन तब तक काफी अंधेरा हो चुका था। वन्यजीव के शव की सुरक्षा की दृष्टि से रात्रि में मैदानी अमले को तैनात किया गया।
अगले दिन सोमवार 24 फरवरी की सुबह धरमपुर रेंजर बी.के. विश्वकर्मा पुनः कुड़रा के जंगल पहुँचे। घटना की गंभीरता को देखते हुए उत्तर वन मण्डल पन्ना की डीएफओ मीना मिश्रा व उप वनमण्डलाधिकारी नरेन्द्र सिंह ने मौके पर पहुंचकर घटनास्थल का जायजा लिया। शिकार की सनसनीखेज घटना के खुलासे एवं अज्ञात शिकारियों का सुराग लगाने के लिए प्रशिक्षित डॉग की मदद ली गई। प्रशिक्षित डॉग मौके की गंध लेकर कुछ घरों तक गया जिसके आधार पर कुछ संदिग्धों की पहचान हुई है। संदिग्धों के घर पर न मिलने से सर्च वारंट जारी कर इनके घरों की तलाशी ली जा रही है।
क्लिच वायर के फंदा और चीतल के सींग मिले
एक संदिग्ध के घर के बाहरी हिस्से में वन अमले को तलाशी के दौरान कई आपत्तिजनक चीजें मिलीं हैं। जिनमें वन्यजीवों के शिकार में प्रयुक्त होने वाला क्लिच वायर का फंदा, चीतल के सींग और सेही के काँटे आदि शामिल हैं। उक्त सामग्री बरामद होने की पुष्टि उत्तर वन मण्डल पन्ना के उप वनमण्डलाधिकारी नरेन्द्र सिंह ने की है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि संदिग्ध व्यक्ति घर पर नहीं है, उसके घर पर ताला पड़ा है। घर के अंदर की तलाशी लेने के लिए सर्च वारंट जारी कर किया जा चुका है, उसकी पत्नी को वारंट तामील कराकर आज ही अंदर की तलाशी ली जाएगी। समाचार लिखे जाने तक इस मामले में एक भी आरोपी की गिरफ़्तारी नहीं हो सकी थी।
जंगल में गड़ी मिलीं खूंटियाँ
धरमपुर रेन्ज की कुड़रा बीट अंतर्गत जिस स्थान क्षत-विक्षत हालत में तेंदुए का शव मिला हैं, वहीं जमीन में कई खूंटियाँ गड़ी पाई गईं। जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि इन्हीं खूँटियों के जरिए बीहर (जलस्रोत) के आसपास करंट का जाल बिछाया गया ताकि पानी पीने के लिए आने वाले वन्यजीवों को आसानी से निशाना बनाया जा सके। इस करंट की चपेट में आने से ही तेंदुए की मौत हुई है। अज्ञात शिकारी तेंदुए की खाल निकालकर उसके पंजे भी काट ले गए। इस घटना ने वन विभाग में व्याप्त अराजकता की पोल खोलकर रख दी है। मृत तेंदुए का शव जंगल में सप्ताह भर तक सड़ता रहा लेकिन इसकी भनक तक मैदानी वन अमले को नहीं लगी।
इससे पता चलता है कि फील्ड स्टॉफ वनों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर कितना सजग और ईमानदार है। अधिकाँश वनकर्मी जंगल में रहकर ड्यूटी करने के बजाए अपने घरों में आराम फरमाते हैं, जिससे जंगल की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। मैदानी अमले की गतिविधियों की निगरानी करने वाले जिम्मेदार अधिकारी भी बेपरवाह बने है। इस लचर स्थिति का लाभ उठाते हुए शिकारी बैखोफ होकर शिकार की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। अपुष्ट सूत्रों से पता चला है जिस स्थान पर तेंदुआ मृत मिला वहां आसपास बड़ी तादाद में वन्यजीवों के अवशेष बिखरे पड़े हैं। जिससे यह संभावना जताई जा रही है कि वहाँ नियमित रूप से शिकार होता है। कुड़रा का जंगल पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश की सीमा के नजदीक होने से वहाँ यूपी के शिकारियों के भी आने की चर्चाएं हैं।
बाघ और तेंदुए निशाने पर
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